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    न गोला-बारूद, न हौसला... युद्ध हुआ तो भारत के सामने 4 दिन भी टिक नहीं पाएगा पाकिस्तान, पढ़ें क्या है सबसे बड़ी वजह

    By Agency Edited By: Piyush Kumar
    Updated: Sat, 03 May 2025 10:43 PM (IST)

    Pahalgam Terror Attack भारत और पाकिस्तान के बीच अगर दोनों देशों में युद्ध की नौबत आती है तो पड़ोसी देश भारत के सामने चार दिन भी टिक नहीं पाएगा। पाकिस्तान के गोला-बारूद भंडार केवल 96 घंटे के उच्च-तीव्रता वाले संघर्ष को झेल सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि गोला-बारूद की कमी के कारण पाकिस्तानी शीर्ष सैन्य अधिकारी काफी हद तक घबराहट की स्थिति में हैं।

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    युद्ध की नौबत आती है तो पाकिस्तान भारत के सामने चार दिन भी टिक नहीं पाएगा।(फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, एएनआइ। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अगर दोनों देशों में युद्ध की नौबत आती है तो पड़ोसी देश भारत के सामने चार दिन भी टिक नहीं पाएगा। इसकी वजह यह मानी जा रही है कि पाकिस्तान की सेना गोला-बारूद की भारी कमी से जूझ रही है।

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    इसके परिणामस्वरूप उसकी युद्ध क्षमताएं केवल चार दिन तक सीमित हो गई हैं। इस कमी का कारण यूक्रेन के साथ पाकिस्तान के हाल ही में किए गए हथियारों के सौदे हैं जिसके तहत इसने युद्धरत यूक्रेन को हथियार निर्यात किए।

    पाकिस्तान का गोला-बारूद भंडार है सीमित

    सूत्रों का कहना है कि सेना को गोला-बारूद आपूर्ति करने वाली पाकिस्तान आयुध फैक्टरी को बढ़ती वैश्विक मांग और पुरानी उत्पादन सुविधाओं के बीच आपूर्ति को फिर से पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। नतीजतन, पाकिस्तान के गोला-बारूद भंडार केवल 96 घंटे के 'उच्च-तीव्रता वाले' संघर्ष को झेल सकते हैं। इससे उसकी युद्ध क्षमताएं सीमित हो जाती है।

    संख्या एवं मात्रा की दृष्टि से भारत की श्रेष्ठता का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान की सैन्य क्षमता तोपखाने और बख्तरबंद इकाइयों पर टिकी है। अपने एम109 हावित्जर के लिए पर्याप्त 155 मिमी के गोले या अपने बीएम-21 सिस्टम के लिए 122 मिमी रॉकेट के बिना भारतीय आक्रमण को विफल करने की पाकिस्तानी सेना की क्षमता गंभीर रूप से कमजोर है।

    गोला-बारूद की कमी से जूझ रही पाकिस्तानी सेना 

    सूत्रों का कहना है कि गोला-बारूद की कमी के कारण पाकिस्तानी शीर्ष सैन्य अधिकारी काफी हद तक घबराहट की स्थिति में हैं। गौरतलब है कि दो मई को विशेष कोर कमांडरों के सम्मेलन में कई अन्य बातों के अलावा इस पर भी चर्चा की गई थी।

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