NTA में सुधार की रफ्तार धीमी, NEET और UGC परीक्षाएं कैसे होंगे फूलप्रूफ; क्या है समिति का प्लान?
नीट-यूजी व यूजीसी नेट जैसी परीक्षाओं में पिछले साल सामने आयी अनियमितताओं के बाद भले ही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को फुलप्रूफ बनाने की नए सिरे से पहल शुरू की गई है लेकिन इसकी रफ्तार इतनी धीमी है कि इसे इस लक्ष्य को हासिल करने में अभी और समय लगेगा। जेईई मेन की परीक्षा में इस बार भी गलत प्रश्नों के मुद्दे ने तूल पकड़ा था।

जेएनएन,नई दिल्ली। नीट-यूजी व यूजीसी नेट जैसी परीक्षाओं में पिछले साल सामने आयी अनियमितताओं के बाद भले ही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को फुलप्रूफ बनाने की नए सिरे से पहल शुरू की गई है लेकिन इसकी रफ्तार इतनी धीमी है कि इसे इस लक्ष्य को हासिल करने में अभी और समय लगेगा।
वैसे तो इनमें सुधार के लिए अधिकार प्राप्त समिति 900 से अधिक सिफारिशें की है, इनमें से त्रुटिरहित प्रश्नपत्र तैयार करना, प्रश्नपत्र को डिजिटल तरीके से सेंटर तक पहुंचाना, परीक्षाओं के लिए आउटसोर्सिंग से बचने जैसी अधिकांश सिफारिशें ऐसी भी थी जिन्हें एनटीए को 2025 की परीक्षा में अमल में लाना था। जो शायद एनटीए नहीं कर पायी।
इस बार भी गलत प्रश्नों के मुद्दे ने पकड़ा तूल
जेईई मेन की परीक्षा में इस बार भी गलत प्रश्नों के मुद्दे ने तूल पकड़ा था। विवाद बढ़ने पर एनटीए को इस दौरान अपने कई प्रश्नों को बाद में वापस भी लेना पड़ा था। नीट-यूजी, यूजीसी नेट जैसी परीक्षाओं की घड़ी फिर आ गई है। नीट-यूजी की परीक्षा इस हफ्ते यानी चार मई को देश भर में होने जा रही है।
पिछले साल नीट-यूजी के प्रश्नपत्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने के तौर-तरीके पर सवाल उठे थे। इसके बाद सुधार को लेकर गठित अधिकार प्राप्त समिति ने प्रश्न पत्रों को डिजिटल तरीके से परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने की सुझाव दिया था। देखना होगा कि प्रश्न पत्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने के लिए एनटीए इस बार कौन सा तरीका अपनाता है।
क्या है खामी?
एनटीए में गड़बड़ियों के पीछे जो एक और बड़ी खामी सामने आयी थी, वह परीक्षा को कराने के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसियों का इस्तेमाल था। समिति ने एनटीए को परीक्षाओं के लिए स्थाई या फिर सरकारी कर्मचारियों को लगाने का सुझाव दिया था।
एनटीए सूत्रों के मुताबिक समिति की सिफारिश के बाद एनटीए ने उच्चस्तर पर 16 नए स्थाई पदों को सृजित किया है। बावजूद इसके अभी भी एनटीए में अधिकांश अधिकारी-कर्मचारी संविदा पर है या वे वहां प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे है। परीक्षाओं में गड़बड़ी के पीछे एनटीए की ओर से निजी शैक्षणिक संस्थानों को परीक्षा केंद्र बनाने की भी एक बड़ा मुद्दा था।
'सिर्फ सरकारी संस्थानों को बना सकते हैं परीक्षा केंद्र'
समिति ने अपनी सिफारिश में एनटीए को साफ कहा था कि वे सिर्फ सरकारी संस्थानों को ही परीक्षा केंद्र बना सकते है। इसका चुनाव के पहले जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक की अनुमति जरूरी होगी।
सूत्रों की मानें एनटीए ने इस बार परीक्षा केंद्रों के चयन में सतर्कता दिखाई है और राज्यों में जिला अधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर परीक्षा केंद्रों को बनाया है। अब तक एनटीए निजी एजेंसियों की सिफारिश पर ही किसी भी निजी सेंटर या शैक्षणिक संस्थान को परीक्षा केंद्र बना देती थी।
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