तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को चिदंबरम ने UPA सरकार को दे दिया क्रेडिट, बोले- मोदी सरकार क्यों ले रही श्रेय
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार ने मुबंई हमले के गुनहगार आतंकी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया न तो शुरू की थी और न ही उसने इसमें कोई नई सफलता हासिल की है। यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय हुए कूटनीतिक प्रयासों का परिणाम है। इसकी सच्चाई और मोदी सरकार के दावे बहुत अलग है।

पीटीआई, नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार ने मुबंई हमले के गुनहगार आतंकी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया न तो शुरू की थी और न ही उसने इसमें कोई नई सफलता हासिल की है। यह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय हुए कूटनीतिक प्रयासों का परिणाम है।
मोदी सरकार क्यों ले रही श्रेय- चिदंबरम
उन्होंने एक बयान में कहा कि 26-11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य आरोपितों में से एक तहव्वुर राणा को 10 अप्रैल 2025 को भारत को प्रत्यर्पित किया गया। मोदी सरकार इसका श्रेय ले रही है। इसकी सच्चाई उनके दावों से बहुत अलग है।
उनके अनुसार, इस दिशा में पहली बड़ी कार्रवाई 11 नवंबर 2009 को हुई थी, जब एनआइए ने नई दिल्ली में डेविड कोलमैन हेडली, राणा और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया।
2009 में राणा को शिकागो से उस समय गिरफ्तार किया था
पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि उसी महीने कनाडा के विदेश मंत्री ने भारत के साथ खुफिया सहयोग की पुष्टि की, जो संप्रग सरकार की कुशल विदेश नीति का परिणाम था। एफबीआइ ने 2009 में राणा को शिकागो से उस समय गिरफ्तार किया, जब वह कोपेनहेगन में आतंकी हमले की साजिश में लश्कर-ए-तैयबा की मदद कर रहा था।
26-11 हमले में सीधे शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया था
हालांकि जून 2011 में अमेरिकी अदालत ने उसे 26-11 हमले में सीधे शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया, लेकिन अन्य आतंकी साजिशों में दोषी पाकर उसे 14 साल की सजा सुनाई। पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि संप्रग सरकार ने इस निर्णय पर सार्वजनिक रूप से निराशा जताई और कूटनीतिक दबाव बनाए रखा।
चिदंबरम ने कहा कि कानूनी अड़चनों के बाद भी संप्रग सरकार ने संस्थागत कूटनीति और विधिक प्रक्रियाओं के माध्यम से लगातार प्रयास जारी रखा।
एनआइए ने जांच शुरू की
2011 में एनआइए की एक तीन सदस्यीय टीम अमेरिका गई और हेडली से पूछताछ की। कानूनी सहायता संधि के तहत अमेरिका ने जांच के अहम सुबूत भारत को सौंपे, जो दिसंबर 2011 में दायर एनआइए के आरोपपत्र का हिस्सा बने। इसी तरह अनेकों प्रयास किए गए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने राणा के प्रत्यर्पण का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है।
अन्य विपक्षी दलों ने प्रत्यर्पण का किया स्वागत
अन्य विपक्षी दलों ने भी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का स्वागत किया है। राकांपा (शरदचंद्र पवार) के नेता जयंत पाटिल ने कहा कि राणा के प्रत्यर्पण से पाकिस्तान का असली चेहरा सामने आ जाएगा। शिवसेना (यूबीटी) की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि राणा का प्रत्यर्पण आतंकी हमले मारे गए लोगों के स्वजन को राहत देने वाला है। उन्हें अब न्याय मिलेगा। अब डेविड हेडली और हाफिज सईद को भी यहां लाकर सजा देनी चाहिए।
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