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    P Chidambaram: 'धर्मनिरपेक्षता शब्द को अब तुष्टीकरण कहा जा रहा है', एक कार्यक्रम में बोले पी चिदंबरम

    By Jagran NewsEdited By: Jeet Kumar
    Updated: Mon, 27 Nov 2023 06:35 AM (IST)

    चिदंबरम ने कहा कि एक राजनीतिक दल लगातार हिंदुओं के अलावा किसी अन्य को उम्मीदवार बनाने से इन्कार करता आ रहा है और इसकी मूल संरचना अखंड भारत हिंदू राष्ट ...और पढ़ें

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    पी चिदंबरम बोले धर्मनिरपेक्षता शब्द को अब तुष्टीकरण कहा जा रहा है

    राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि धर्मनिरपेक्षता शब्द को अब तुष्टीकरण कहा जा रहा है। चिदंबरम ने यहां सेंट जेवियर्स विश्वविद्यालय में ‘लोकतंत्र का भविष्य’ विषय पर एक व्याख्यान में कहा कि धर्मनिरपेक्षता शब्द की गलत व्याख्या की जा रही है। उन्होंने कहा कि तुष्टीकरण शब्द (धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा) को बदनाम करने का एक प्रयास है।

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    उन्होंने कहा कि यदि आप हिंदू नहीं हैं, तो आप आधे नागरिक हैं। यदि आप मुसलमान हैं, तो आप नागरिक नहीं हैं। चुनाव में धर्म का जिक्र नहीं होना चाहिए। लेकिन आज चुनाव में यह काफी हद तक हो रहा है। धर्म आस्था पर आधारित होना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि एक राजनीतिक दल लगातार हिंदुओं के अलावा किसी अन्य को उम्मीदवार बनाने से इन्कार करता आ रहा है और इसकी मूल संरचना अखंड भारत, हिंदू राष्ट्र लगती है। धर्म ही निर्णायक कारक नजर आता है। उन्होंने कहा कि देश केंद्रीकरण की ओर बढ़ रहा है जो लोकतंत्र के विपरीत है। हम लोकतंत्र को बढ़ावा देने वाले संस्थानों को कमजोर कर रहे हैं।

    जातिवार गणना जरूरी

    चिदंबरम ने कहा कि किसी भी आरक्षण के लाभ के संदर्भ में कोई निर्णय लेने से पहले जातिवार सर्वेक्षण जरूरी है और इसे केंद्र सरकार को जनगणना के साथ कराना चाहिए। भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जनगणना नहीं कराई है जो 2021 में होनी चाहिए थी, वह 2024 के आम चुनाव के बाद तक इसे टाल सकती है। उनका यह बयान बिहार सरकार द्वारा जातिवार सर्वेक्षण कराने और वंचित वर्गों के लिए 65 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश करने के कुछ दिनों बाद आया है।

    चिदंबरम ने कहा कि राष्ट्रीय जनगणना केवल केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। राज्य सरकारें राष्ट्रीय जनगणना नहीं करा सकती हैं। इसलिए जातिवार गणना करने का फैसला किया है क्योंकि इसके बिना पता करना संभव नहीं है कि कितने लोग आरक्षण के लाभ से दूर हैं।