छत्त्तीसगढ़ में नक्सलवाद के चलते 15 साल से बंद 300 से ज्यादा स्कूलों में फिर बजेगी घंटी
छत्त्तीसगढ़ दसवीं बोर्ड के आए परिणाम में लाल आतंक के लिए देश-दुनिया में पहचाने जाने वाले सुकमा और दंतेवाड़ा जिले के बच्चे शिक्षादूत बनकर उभरे हैं।
गणेश मिश्रा, बीजापुर। सलवा जुडूम और नक्सलवाद के चलते 15 साल से बंद स्कूलों को ग्रामीणों की पहल पर फिर से शुरू करने की कवायद तेज हो गई है। ग्रामीणों के साथ शिक्षक व विभागीय अधिकारी तैयारी में लगे हुए हैं। पिछले साल भी अभियान के तहत जिले में 58 स्कूलों में पढ़़ाई शुरू की गई थी। इस वर्ष बीजापुर ब्लॉक में पदमुर पंचायत के पेद्दाजोजेर से इस मुहिम की शुरुआत की जाएगी।
नक्सली हिंसा के चलते दक्षिण बस्तर के 300 से ज्यादा स्कूल बंद थे
पंद्रह साल पहले नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए सलवा जुडूम अभियान और नक्सली हिंसा के चलते दक्षिण बस्तर के 300 से ज्यादा स्कूल बंद करा दिए थे। नक्सलियों ने दर्जनों स्कूल भवनों को ढहा दिया था। दो साल से ऐसे स्कूलों को दोबारा खोलने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले सत्र में ग्रामीणों ने स्कूलों के लिए खुद झोपड़ियां तैयार की थीं। स्थानीय शिक्षितों को ज्ञानदूत शिक्षक बनाया गया और उन्हें अध्यापन की जिम्मेदारी सौंपी गई। नक्सल प्रभावित गांव पेद्दाजोजेर में जुलाई में स्कूल खोलने की तैयारी की जा रही है।
फोर्स ना रुक पाए इसलिए माओवादियों ने स्कूल भवनों को ढहा दिया था
दरअसल, अंदरूनी इलाकों में स्कूल भवनों को माओवादियों ने इसलिए ढहा दिया था, ताकि फोर्स वहां ना रुक पाए। इसके चलते 139 स्कूल बंद पड़े थे। इन स्कूलों में भोपालपटनम क्षेत्र के नेशनल पार्क में 19, उसूर में छह और बीजापुर में पांच स्कूल समेत करीब 58 स्कूलों को शुरू किया गया था।
ग्रामीणों की पहल पर बंद पड़े स्कूलों को नए सिरे से शुरू करने की तैयारी- बीईओ
बीजापुर के बीईओ मोहम्मद जाकिर खान ने बताया कि ग्रामीणों की पहल पर बंद पड़े स्कूलों को नए सिरे से शुरू करने की तैयारी की जा रही है। ग्रामीणों द्वारा बच्चों की संख्या का सर्वे किया जा रहा है। शुरुआती स्कूल संचालन के लिए जन सहयोग से झोपड़ी भी तैयार की जा रही है। प्रशासन द्वारा बाद में पक्के भवन का निर्माण करवाया जाएगा।
लाल आतंक के इलाके में ज्ञान की ज्योति
छत्त्तीसगढ़ दसवीं बोर्ड के मंगलवार को आए परिणाम में लाल आतंक के लिए देश-दुनिया में पहचाने जाने वाले सुकमा और दंतेवाड़ा जिले के बच्चे शिक्षादूत बनकर उभरे हैं। सुकमा जिले के 90 और दंतेवाड़ा के 85 फीसद परीक्षार्थियों ने सफलता हासिल की है। सुकमा का प्रतिशत प्रदेश में प्रथम स्थान पर था। इससे उम्मीद की जा रही है कि लाल आतंक के इस इलाके में ज्ञान की ज्योति जलने से बड़ा बदलाव आएगा।