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    योग: उत्पति, इतिहास और उसका विकास

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Tue, 14 Jun 2016 04:03 PM (IST)

    ऐसा माना जाता है कि योग की शुरूआत सभ्यताकाल और पौराणिक काल से ही हो चुकी है। जिसके कई साक्ष्य मौजूद है।

    योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृति शब्द युज (वाईयूजे) से हुई है। जिसका मतलब है- जे से ज्वाइन यानि जड़ना, वाई से योक यानि मिलाना और यू से युनाइट मतलब एक साथ। योग शास्त्रों के मुताबिक, योग का मानव के मस्तिष्क और शरीर के बीच वैसा सीधा ही संबंध है जैसा जैसा मानव का प्रकृति से है।

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    योग का मकसद आत्मज्ञान और सभी तरह की शारीरिक परेशानियों से पार पाना है। यह विश्व का सबसे पुराना विज्ञान है जिसकी उत्पत्ति भारत से ही हुई है। योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में बेहद महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, आध्यामिक विकास में भी योग का खास स्थान है।

    ऐसा कहा जा रहा है कि योग की शुरूआत सभ्यताकाल और पौराणिक काल से ही हो चुकी है। भगवान शिव को योग का सबसे पहला गुरू माना जाता है। ऐसा मान्यता है कि योग करीब 2700 बी.सी. साल पहले के हिन्दू घाटी सभ्यता की अमर देन है। मानवीय मूल्य योग साधाना की आधारभूत पहचान रही है।

    हिंदू घाटी सभ्यता के ऐसी कई प्रमाण और जीवाश्म हैं जिसमें योग साधना और उसकी मौजूदगी को दर्शाया गया है, जिससे ये साफ पता चलता है कि प्राचीन भारत में भी योग की मौजूदगी थी। लैंगिक चिन्ह और देवी माता के मूर्ति की बनावट उस वक्त के योग तंत्र को दर्शाता है।

    योग की मौजूदगी लोक संस्कृति, हिंदू घाटी सभ्यताकाल, वैदिक और उपनिषद् धरोहरों, बौद्ध, जैन के रीति-रिवाजों और रामायण-महाभात काव्यों में भी वर्णित है। ऐसा कहा जाता है कि सूर्य नमस्कार भी योग साधाना से ही प्रभावित है। इसके अलावा, दक्षिण एशिया के आध्यामिक परंपराओं में भी इस योग का वर्णन किया गया है। ये वह समय था जब योग गुरू के द्वारा इसके बारे में शिक्षा दी जाती थी और इसके आध्यात्मिक मूल्य को खास महत्व दिया जाता था।

    यह उस समय उपासना और योग साधना का एक हिस्सा हुआ करता था जो उस समय के रीति-रिवाजों में समाहित था। सूर्य को वैदिक काल में सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता था। पूर्व वैदिक काल(2700 बीसी) और उसके बाद पातंजलि युग में भी योग होने के ऐतिहासिक साक्ष्य मौजूद है। जिन माध्यमों से हम उस युग में योग अभ्यास और उसके बारे में तथ्यों को हासिल करते हैं वो सभी वेदों, उपनिषदों, स्मृतियों, बुद्दों की शिक्षा, जैन और पुराणनों का काव्य में वर्णित है।

    मोटे तौर पर अगर देखें तो 500 बी.सी. से लेकर 800 ए.डी तक को शास्त्रीय युग कहा गया और इस दौरान इतिहास में सबसे ज्यादा योग का विकास और फैलाव हुआ। इस युग में ही योग सूत्र पर व्यास की कथा और भगवदगीता सामने आए। ये समय सबसे ज्यादा दो भारतीय धार्मिक उपदेशक के नाम रहा और वो थे- महावीर और बुद्ध।