SC: शांत नहीं हो रहा बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण का मामला, अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा विपक्ष
बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अचानक विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण कराने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों की मुहिम को अब अदालत के दरवाजे ले जाने की कांग्रेस ने तैयारी तेज कर दी है। पार्टी के कानूनी सलाहकार अभिषेक मनु सिंघवी के साथ कई पुराने दिग्गजों से भी इस मुद्दे पर विचार विमर्श चल रहा है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बिहार में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अचानक विशेष सघन मतदाता सूची पुनरीक्षण कराने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों की मुहिम को अब अदालत के दरवाजे ले जाने की कांग्रेस ने तैयारी तेज कर दी है।
बिहार चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं
विपक्षी आइएनडीआइए गठबंधन के दलों के अनुरोध के बावजूद चुनाव आयोग के पुनरीक्षण स्थगित करने से इनकार के बाद पार्टी के शीर्ष कानूनी सलाहकार बिहार चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं होने के मद्देनजर शीर्ष अदालत जाने को ही अब प्रभावी विकल्प देख रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार बिहार की मतदाता सूची का पुनरीक्षण केवल राज्य का मसला नहीं है बल्कि मतदान के अधिकार से जुड़ा संवैधानिक मसला है। इसलिए इसे संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी जाएगी।
पार्टी के कानूनी सलाहकार अभिषेक मनु सिंघवी कर रहे विचार विमर्श
पार्टी के कानूनी सलाहकार अभिषेक मनु सिंघवी के साथ कई पुराने दिग्गजों से भी इस मुद्दे पर विचार विमर्श चल रहा है। चुनाव आयोग के कदम के खिलाफ विपक्ष राजनीतिक लड़ाई संयुक्त रूप से लड़ रहा है और चुनाव आयोग से मिलने उनका साझा प्रतिनिधिमंडल भी गया था लेकिन कानूनी लड़ाई संभवत: सभी दल अलग अलग लड़ने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
पुनरीक्षण को चुनौती देने के लिए चल रहा विचार विमर्श
समझा जाता है कि कानूनी विकल्पों का दायरा और संभावनाएं बनाए रखने के लिए विपक्षी खेमे के दल अपनी अपनी कानूनी टीम के जरिए पुनरीक्षण को चुनौती देने के लिए आधार तैयार कर रहे हैं। इसमें वरिष्ठ नामी वकील कपिल सिब्बल, प्रशांत भूषण, विवेक तन्खा आदि इस मसले पर कांग्रेस समेत अलग अलग दलों को कानूनी मशविरा दे रहे हैं।
चुनाव आयोग के अपने फैसले से पीछे हटने से इनकार के बाद कांग्रेस ने गुरुवार को उस पर आक्रामक हमला शुरू कर दिया था। पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने शुक्रवार को इसे जारी रखते हुए आयोग के साथ ही मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह सरकार लोगों को नारकीय हालत में पहुंचाने की विशेषज्ञ है।
अनावश्यक जल्दबाजी ठीक नहीं
विशेष पुनरीक्षण अभियान लाखों लोगों को मताधिकार से वंचित करने का सुनियोजित अभियान है। अनावश्यक जल्दबाजी ठीक नहीं है। विपक्ष द्वारा उठाई गई वाजिब चिंताओं का समाधान करने के बजाए उन्हें पूरी तरह खारिज कर दिया जाना यह दर्शाता है कि बिहार की पूरी चुनाव प्रणाली को ध्वस्त करने का स्पष्ट प्रयास किया जा रहा है। वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी दल इसे किसी कीमत पर होने नहीं देंगे।
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