Parliament Winter Session: संसद में चीन पर चर्चा को लेकर और आक्रामक होगा विपक्ष, रणनीति में कर सकता है बदलाव
तवांग में चीनी सैनिकों के साथ झड़प समेत लंबे समय से चल रहे एलएसी गतिरोध मुद्दे पर संसद में चर्चा के लिए वाकआउट कर दबाव बनाने की रणनीति कारगर साबित होता नहीं देख विपक्षी दल अब सरकार के खिलाफ हमले की तैयारी में जुट गए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तवांग में चीनी सैनिकों के साथ झड़प समेत लंबे समय से चल रहे एलएसी गतिरोध मुद्दे पर संसद में चर्चा के लिए वाकआउट कर दबाव बनाने की रणनीति कारगर साबित होता नहीं देख विपक्षी दल अब सरकार के खिलाफ हमले की तैयारी में जुट गए हैं। सरकार की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक बहस नहीं हो सकती है। जबकि कांग्रेस जवाहर लाल नेहरू के समय में चर्चा का हवाला देकर बहस की मांग कर रही है।
विपक्षी दल और आक्रामक रुख दिखाने की तैयारी में
बताया जाता है कि विपक्षी दल संसद में और आक्रामक रुख दिखाने की तैयारी में है। आशंका है कि अब संसद की कार्यवाही बाधित होगी। दरअसल विपक्ष सदन के अंदर रहकर अपना विरोध प्रदर्शन करेगा। विपक्षी दलों की अगुआई कर रही कांग्रेस ने रविवार को एलएसी पर चीनी अतिक्रमण को लेकर लगातार प्रधानमंत्री और सरकार पर जिस तरह के तीखे सवाल दागे वह भी इस हफ्ते सदन में चीन के मुद्दे पर सियासी टकराव बढ़ने की ओर इशारा कर रहा है।
तवांग संघर्ष को बनाया मुद्दा
एलएसी के टकराव को लेकर अब सदन में सरकार से सीधे भिड़ने की विपक्ष की तैयारी की एक वजह यह भी है कि संसद का सत्र 23 दिसंबर को ही खत्म किए जाने के पूरे संकेत हैं और चीन के मुद्दे पर चर्चा को सरकार ने चालू हफ्ते की कार्यसूची में शामिल नहीं होने दिया है। ऐसे में विपक्षी दल आक्रामक तेवरों के जरिए बहस का दबाव बनाने का आखिरी दांव चलेंगे। चीन के साथ टकराव की ताजा घटना के बाद विपक्षी दल सरकार के संसद में संक्षिप्त जवाब से संतुष्ट नहीं है और इस बार तृणमूल कांग्रेस ही नहीं आम आदमी पार्टी भी कांग्रेस के साथ संयुक्त रणनीति पर अब तक सहमत दिखी है।
विपक्ष सरकार पर लगा रहे हैं आरोप
संसद में विपक्ष के तेवर तीखे होने का साफ संकेत देते हुए रविवार को कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कहा कि ऐसी जानकारी मिल रही है कि चीन की ओर से पूर्वी क्षेत्र में बार-बार बड़े पैमाने पर घुसपैठ हो रही है मगर सरकार संसद में चर्चा से भाग रही है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी पहली बार चीनी अतिक्रमण के मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए भाजपा सरकार पर सवाल दाग विपक्ष के आक्रामक होते सुर का ही संकेत दिया।
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