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    एसआइआर को परोक्ष एनआरसी मान रहा विपक्ष, आगामी संसद सत्र चुनाव आयोग की करेगा मोर्चाबंदी

    Updated: Sat, 01 Nov 2025 05:58 AM (IST)

     सुप्रीम कोर्ट भले ही एसआइआर को चुनाव आयोग का अधिकार बता चुका है, लेकिन विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए बिहार के बाद 12 राज्यों में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षणयानिएसआइआर कराने के चुनाव आयोग के एलान को परोक्ष रूप से एनआरसी (नेशनल रजिस्टर आफसिटिजन्स) का अभियान मान रहा है।

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    एसआइआर को परोक्ष एनआरसी मान रहा विपक्ष (फोटो- इंस्टाग्राम INC )

    संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट भले ही एसआइआर को चुनाव आयोग का अधिकार बता चुका है, लेकिन विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए बिहार के बाद 12 राज्यों में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण यानि एसआइआर कराने के चुनाव आयोग के एलान को परोक्ष रूप से एनआरसी (नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स) का अभियान मान रहा है।

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     संसद के शीत सत्र में एसआइआर के खिलाफ मोर्चाबंदी

    इसके मद्देनजर ही विपक्षी पार्टियां संसद के शीत सत्र में एसआइआर के खिलाफ एकजुट होकर मोर्चाबंदी करने की कसरत में जुट गई हैं। कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक से लेकर वामपंथी दलों के रणनीतिकार दर्जनभर राज्यों में एसआइआर के एलान के बाद संयुक्त रणनीति को लेकर आपसी चर्चा कर रहे हैं।

    विपक्षी दलों का साफ मानना है कि सीधे तौर पर एनआरसी लाने की बजाय केंद्र सरकार चुनाव आयोग के जरिये एसआइआर को नागरिकता प्रमाणित करने का जरिया बनाना चाहती है। इसलिए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार विपक्ष की ओर से महाभियोग प्रस्ताव लाने की सियासी फायरिंग लाइन पर हैं।

    एनआरसी कराने का सरकार का गेम प्लान स्पष्ट

    आइएनडीआइए के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने शुक्रवार को अनौपचारिक बातचीत के दौरान कहा कि एसआइआर के बहाने चुनाव आयोग के जरिये राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी कराने का सरकार का गेम प्लान स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है। संसद, राजनीति दलों और लोगों से चर्चा के बिना एनआरसी कराने के लिए सरकार एसआइआर को माध्यम बना रही है और चुनाव आयोग को इसके लिए औजार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

     नागरिकता निर्धारित करने का अधिकार चुनाव आयोग के पास नहीं

    उन्होंने कहा कि जनगणना होने वाली है, जिसमें एनपीआर यानि नेशनल पापुलेशन रजिस्टर होगा जो जनसंख्या बताएगा। जबकि एनआरसी में केवल नागरिक होंगे। एसआइआर पर सवाल उठाते हुए विपक्षी रणनीतिकार ने कहा कि नागरिकता निर्धारित करने का अधिकार चुनाव आयोग के पास नहीं है पर एसआइआर की पहल का लक्ष्य यही है।

    कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भी विपक्षी खेमे के नेताओं की ऐसी आशंकाओं को सही ठहराते हुए कहा कि ममता बनर्जी, एमके स्टालिन से लेकर पिनरई विजयन जैसे मुख्यमंत्रियों ने एसआइआर को पिछले दरवाजे से एनआरसी लागू करने की कोशिश बताने से गुरेज नहीं किया है।

    चुनाव आयोग नागरिकता तय नहीं कर सकता

    चुनाव आयोग नागरिकता तय नहीं कर सकता। इसीलिए मुख्य चुनाव आयुक्त बिहार में एसआइआर पर विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं दे रहे। उनके अनुसार, सरकार एसआइआर को तीन डी यानि डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट की अवधारणा बता रही लनेकिन चुनाव आयोग अभी तक इसका जवाब नहीं दे रहा कि बिहार में उसने कितने घुसपैठिए डिटेक्ट कर उन्हें डिलीट किया।

    एसआइआर को लेकर कांग्रेस, राजद तथा सीपीआइएमएल जैसे दलों ने बहुत सारी शिकायतें दीं हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें स्वीकार नहीं किया और झूठ बोला जा रहा कि कोई शिकायत नहीं आई।

    आयोग पर पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप

    आयोग पर पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि इसके मद्देनजर ही ज्ञानेश कुमार के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने का विकल्प खुला रखा गया है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्षी दल संयुक्त रूप से इस दिशा में अगले कदमों पर निर्णय करेंगे।