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    'नारी शक्ति के नारे का खोखलापन उजागर', मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को एंट्री नहीं देने पर भड़का विपक्ष

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 08:55 PM (IST)

    तालिबान के प्रवक्ता मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को प्रवेश न मिलने पर विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है। विपक्ष ने इसे 'आपकी नारी शक्ति' के नारे का खोखलापन बताया और सरकार पर कथनी और करनी में अंतर रखने का आरोप लगाया। विपक्षी दलों ने इस घटना को महिला विरोधी बताया है।

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    मुत्ताकी की पीसी में महिला पत्रकारों की नो एंट्री पर बवाल।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत दौरे पर आए अफगानिस्तान के तालिबान शासन के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कांफ्रेंस में महिला पत्रकारों को प्रवेश नहीं देने के मुद्दे को महिलाओं का अपमान बताते हुए विपक्ष ने इसे अस्वीकार्य बताते हुए सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया है।

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    लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने इस प्रकरण में सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह इस बात का संकेत है कि वर्तमान सरकार महिलाओं के अधिकारों के लिए खड़ा नहीं हो सकती। कांग्रेस के साथ ही तृणमूल कांग्रेस, राजद, शिवसेना यूबीटी जैसे अन्य विपक्षी दलों ने भी अफगान विदेशमंत्री के तालिबान की रीति-नीति के अनुसार चलने की इजाजत दिए जाने को लेकर सरकार की आलोचना की है।

    प्रियंका गांधी ने उठाया मुद्दा

    अफगानी विदेशमंत्री की पत्रकार वार्ता में महिला पत्रकारों को नहीं बुलाने के मुद्दे को शनिवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोशल मीडिया पर उठाया तो इसका समर्थन करते हुए नेता विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला। प्रियंका के एक्स पोस्ट को टैग करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि ''श्रीमान मोदी जब आप महिला पत्रकारों को सार्वजनिक मंचों से बाहर रखने की अनुमति देते हैं, तो आप भारत की हर महिला को यह बता रहे होते हैं कि आप उनके लिए खड़े होने के लिए बहुत कमजोर हैं। हमारे देश में महिलाओं को हर क्षेत्र में समान भागीदारी का अधिकार है। इस तरह के भेदभाव के सामने आपकी चुप्पी नारी शक्ति पर आपके नारों के खोखलेपन को उजागर करती है।"

    मालूम हो कि मुत्ताकी ने शुक्रवार को विदेशमंत्री एस जयशंकर से अपनी आधिकारिक मुलाकात-बातचीत के बाद नई दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में एक प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें कुछ चुनिंदा पुरूष पत्रकारों को बुलाया गया और स्वयं पहल करते हुए वहां पहुंची महिला पत्रकारों को प्रवेश नहीं दिया गया। प्रियंका गांधी ने मुद्दा उठाते हुए कहा, ''प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कृपया तालिबान के प्रतिनिधि के भारत दौरे पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस से महिला पत्रकारों को हटाए जाने पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। यदि महिलाओं के अधिकारों के प्रति आपकी मान्यता एक चुनाव से दूसरे चुनाव तक अपनी सुविधानुसार दिखावा मात्र नहीं है, तो फिर भारत की कुछ सबसे सक्षम महिलाओं का अपमान हमारे देश में कैसे होने दिया गया, जबकि महिलाएं ही इसकी रीढ़ और गौरव हैं।''

    जयराम रमेश ने क्या कहा?

    कांग्रेस की ओर से संचार महासचिव जयराम रमेश ने आधिकारिक प्रतिक्रिया देते हुए अपने पोस्ट में कहा कि भारत में महिला पत्रकारों पर (तालिबान) प्रतिबंध। यह चौंकाने वाला और अस्वीकार्य है कि भारत सरकार ने इस पर सहमति जताई और वह भी नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की पूर्व संध्या पर। जयराम ने एक अन्य पोस्ट में कहा जरा सोचिए अगर कांग्रेस सरकार ने तालिबान से उसी तरह संपर्क साधा होता जिस तरह मोदी सरकार ने किया है तो भाजपा और उसके इकोसिस्टम की प्रतिक्रिया क्या होती।

    पी. चिदंबरम ने क्या कहा?

    कांग्रेस नेता पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि महिला पत्रकारों को बाहर रखने की घटना से वे स्तब्ध हैं और उनका निजी मत है कि इसका पता चलते ही पुरुष पत्रकारों को तब बाहर चले जाना चाहिए था।

    टीएमसी ने क्या कहा?

    तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि तालिबान के मंत्री को प्रेस कांफ्रेंस से महिला पत्रकारों को बाहर रखने की अनुमति देकर सरकार ने हर भारतीय महिला का अपमान किया है और ये रीढ़ विहीन पाखंडियों का शर्मनाक समूह है। राजद प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि तालिबानी विदेशमंत्री को ऐसी छूट देकर भारत ने अपनी नैतिक और कूटनीतिक स्थिति से समझौता किया है। यह एक सामान्य चूक नहीं है बल्कि समानता, प्रेस की स्वतंत्रता और लैंगिक न्याय के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का प्रतीकात्मक समर्पण है।

    शिवसेना यूबीटी की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने लैंगिग भेदभाव की सोच वाले तालिबानी नेता को इस तरह की अनुमति देने पर सवाल उठाते हुए कहा कि विदेश मंत्रालय यह बताएगा कि उनके प्रतिनिधिमंडल की मनमानी के आगे झुकने की क्या जरूरत थी।

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