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    'ऑपरेशन सिंदूर की सफलता आतंकवाद निरोधी रणनीति में एक निर्णायक पल', चाणक्य डिफेंस डायलॉग में बोलीं राष्ट्रपति मुर्मु

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 08:30 PM (IST)

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता को आतंकवाद विरोधी रणनीति में निर्णायक बताया। उन्होंने भारतीय सेना की रणनीतिक क्षमता और जिम्मेदारी की प्रशंसा की। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की सेना ने हर चुनौती का सामना करने में लचीलापन दिखाया है। 'वसुधैव कुटुंबकम' की भावना के साथ, भारत शांति और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

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    राष्ट्रपति ने सेना की रणनीतिक क्षमता सराही। फाइल फोटो

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सैन्य बलों की रणनीतिक कौशल, प्रहार क्षमता से लेकर जिम्मेदारी के साथ लक्ष्य हासिल करने के बहुमुखी आयामों की प्रशंसा की है।

    राष्ट्रपति के अनुसार ऑपरेशन सिंदूर की हालिया सफलता हमारी आतंकवाद विरोधी और प्रतिरोध की रणनीति में एक निर्णायक पल है। इस आपेरशन के दौरान दुनिया ने न सिर्फ भारत की सैन्य क्षमता को देखा बल्कि जिम्मेदारी से शांति के लिए प्रयास करने के हमारी नैतिक स्पष्टता से भी रूबरू हुई। बेशक भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए हमारी सशस्त्र सेनाओं ने अपने पेशवर तरीके के साथ ही देशभक्ति की मिसाल पेश की है।

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    'ऑपरेशन सिंदूर' आतंकवाद निरोधी रणनीति में निर्णायक

    भारतीय सेना की ओर से आयोजित चाणक्य डिफेंस डायलाग के तीसरे संस्करण के औपचारिक उदघाटन सत्र को यहां संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि चाहे परंपरागत खतरे हो, आतंकवाद या फिर मानवीय सहायता का मसला हमारी सेनाओं ने सभी तरह की चुनौती से निपटने के लिए हमारी सेनाओं ने कमाल का लचीलापन और अपनी दृढ़ता दिखाई है।

    वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल में हो रहे तेज बदलाव की चर्चा करते हुए कहा पावर सेंटर्स के बीच टकराव, टेक्नोलॉजी में रुकावट और बदलते गठबंधनों से अतंर्राष्ट्रीय व्यवस्था को फिर से लिखा जा रहा है। प्रतिस्पर्धा के नए डोमेन साइबर, स्पेस, सूचना और काग्निटिव वारफेयर शांति और टकराव के बीच की लाइनों को धुंधला बना रहे हैं।

    राष्ट्रपति ने सेना की रणनीतिक क्षमता सराही

    राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि वसुधैव कुटुंबकम की भारत की संस्कृति से प्रेरित होकर हमने दिखाया है कि रणनीतिक स्वतंत्रता वैश्विक जिम्मेदारी के साथ रह सकती है। हमारी कूटनीति, अर्थव्यवस्था और सेनाएं मिलकर एक ऐसे भारत को दिखाते हैं जो शांति चाहता है, लेकिन अपनी सीमाओं और अपने नागरिकों की रक्षा के लिए पूरी ताकत तथा दृढ़ता के साथ तैयार भी है।

    रूपांतरण दशक के विजन के अनुकूल सेना में परिणाम देने वाले गुणात्मक बदलाव पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अभी ढांचागत सुधार कर सैन्य सिद्धांतों को फिर से तय कर किया जा रहा है और उन्हें विश्वास है कि ये रक्षा सुधार भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगे।

    राष्ट्रपति ने भरोसा जताया कि चाणक्य डिफेंस डायलग-2025 की चर्चा और नतीजे नीतियां बनाने वालों को हमारी राष्ट्रीय पॉलिसी की भविष्य की रूपरेखा बनाने के लिए बहुमूल्य जानकारी देंगे।