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    ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तानी एअरफोर्स को पांच साल पीछे धकेला, चार दिनों में ऐसे 'आतंकिस्तान' का हाल हुआ बेहाल

    By Agency Edited By: Piyush Kumar
    Updated: Wed, 28 May 2025 11:20 PM (IST)

    ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारतीय वायुसेना ने क्रूज मिसाइलों और लंबी दूरी के हथियारों का उपयोग करके पाकिस्तानी वायुसेना को पंगु बना दिया। हमलों से पाकिस्तानी वायुसेना कम से कम पांच वर्ष पीछे चली गई। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी पंजाब में रडार स्टेशनों को निशाना बनाया और कई को ध्वस्त कर दिया। रडार नेटवर्क ध्वस्त होने से पाकिस्तानी वायुसेना के विमान सीमा से दूर उड़ान भर रहे थे।

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    'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद सैन्य संघर्ष में पाकिस्तान की सेना की हालत हुई खराब।(फाइल फोटो)

    एएनआई, नई दिल्ली। पाकिस्तान के विरुद्ध 'ऑपरेशन सिंदूर' में भारतीय वायुसेना ने हवा से मार करने वाली क्रूज मिसाइलों, लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों और विभिन्न प्रकार के अन्य हथियारों का इस्तेमाल किया।

    इससे पाकिस्तानी वायुसेना चार दिनों में ही पंगु और कोई भी निर्णय लेने में अक्षम हो गई। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करे, क्या न करे। इसी कारण उसे भारत के साथ संघर्ष विराम को मजबूर होना पड़ा।

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    इन हमलों से पाकिस्तानी वायुसेना कम से कम पांच वर्ष पीछे पहुंच गई है। साथ ही उसके तुर्किए एवं चीन निर्मित हथियारों को भी काफी नुकसान हुआ है जो रूस निर्मित पुराने पेछोरा व ओएसए-एके वायु रक्षा प्रणालियों के समक्ष भी नहीं टिक सके।

    सैन्य संघर्ष में भारतीय वायुसेना ने बेहद कुशलता से अभियान चलाया

    ऑपरेशन के दौरान निर्णय लेने की प्रक्रिया से जुड़े रहे सूत्रों ने बताया कि चार दिनों के संघर्ष के दौरान भारतीय वायुसेना ने बेहद कुशलता से अभियान का संचालन किया जिससे पाकिस्तानी वायुसेना को हवा और जमीन दोनों पर जबर्दस्त नुकसान हुआ। दोनों ओर से बड़ी कार्रवाई 9-10 मई की रात में हुई जो 10 मई की दोपहर तक जारी रही।

    इस दौरान भारत ने पूरे पाकिस्तान में स्थित एयरबेसों को निशाना बनाया और कड़ा संदेश दिया कि हम कहीं भी हमला कर सकते हैं और आप कुछ नहीं कर सकते।

    पाकिस्तान का पलटवार हुआ फेल 

    भारत द्वारा छह-सात मई की रात में पाकिस्तानी पंजाब स्थित बहावलपुर व मुरीदके समेत विभिन्न आतंकी शिविरों को निशाना बनाने के बाद पाकिस्तान ने भारत में सैन्य ठिकानों पर मिसाइलें दागकर पलटवार किया था, लेकिन मजबूत बहु-स्तरीय वायुरक्षा प्रणाली की वजह से यह विफल हो गया।

    जवाब में भारतीय वायुसेना ने फैसला किया कि वह सबसे पहले भारतीय सीमा पर तैनात पाकिस्तानी सेना के वायु रक्षा नेटवर्क से निपटेगी जिनमें पुराने अमेरिकी व चीनी रडार एवं एचक्यू-9 (250 किलोमीटर रेंज) समेत चीन निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें शामिल थीं।

    भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के रडार स्टेशनों को किया धवस्त 

    सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी पंजाब में रडार स्टेशनों को निशाना बनाया और हारोप व हार्पी आत्मघाती ड्रोन का इस्तेमाल करके उनमें से चार-पांच को ध्वस्त कर दिया। इनके अलावा चीनी वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली के लांच स्थल को भी नष्ट कर दिया।

    लाहौर समेत वायु रक्षा नेटवर्क को निशाना बनाने से सात-आठ मई और उसके बाद की भारतीय गतिविधियों की निगरानी करने की पाकिस्तानी क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो गई।

    प्रमुख इलाकों में रडार नेटवर्क ध्वस्त होने से पंगु हो चुकी पाकिस्तानी वायुसेना के विमान सुदर्शन एस-400, सक्षम, शौर्य, समर और आकाश वायु रक्षा प्रणालियों से बचने के लिए सीमा से काफी अंदर उड़ान भर रहे थे।

    पाकिस्तान के सारे हमले को भारतीय एअर डिफेंस ने किया फेल 

    आठ मई की शाम को पाकिस्तान ने भारतीय वायु रक्षा नेटवर्क को चकमा देने के लिए काफी संख्या में तुर्किए एवं चीन निर्मित ड्रोन से हमला किया, लेकिन सियाचिन से नलिया तक बेहद सक्रिय भारतीय वायु रक्षा नेटवर्क ने उसे विफल कर दिया।

    इसमें कम कैलिबर की एल-70 व जेडयू-23 एयर डिफेंस गन शामिल थीं जिन्होंने पाकिस्तानी ड्रोन को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया। भारतीय थलसेना ने भी जम्मू-कश्मीर में तोपों व राकेट लांचरों का इस्तेमाल करके पाकिस्तानी सेना को जबर्दस्त नुकसान पहुंचाया।नौ मई को भारतीय वायुसेना ने आक्रामक रुख अपनाया और पाकिस्तानी वायुसेना के चकलाला, सरगोधा एवं मुरीद एयरबेस पर उसके कमांड एंड कंट्रोल सेंटरों को नष्ट कर दिया।

    यही से पाकिस्तानी हवाई रक्षा नेटवर्क को युद्धक्षेत्र की तस्वीरें मिल रही थीं। इन सेंटरों को नष्ट करने में भारत ने दुनिया की सबसे तेज हवा से मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों रैंपेज व स्कैल्प समेत तीन बड़े हथियारों का इस्तेमाल किया।

    पिछले पांच-दस वर्षों में मिराज, राफेल, सुखोई-30 और मिग-29 विमानों को इन मिसाइलों से लैस किया गया है। इन सेंटरों के नष्ट होने से पाकिस्तानी वायुसेना युद्धक्षेत्र की पूरी तस्वीर से रूबरू नहीं हो पा रही थी क्योंकि उनके एडवांस अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम एयरक्राफ्ट और ग्राउंड स्टेशनों में कोई संपर्क नहीं हो पा रहा था। 

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