ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मास्त्र साबित हुए 'ब्रह्मोस' और 'आकाशतीर', DRDO चीफ ने बताया कैसे उड़ी पाकिस्तान की नींद
डीआरडीओ अध्यक्ष समीर वी. कामत ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइलों और आकाशतीर रक्षा प्रणालियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुखोई मार्क वन से प्रक्षेपित ब्रह्मोस मिसाइल मुख्य हथियार थी। आकाशतीर प्रणाली ने खतरों की पहचान की और स्वदेशी तकनीक से भारत अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है।

पीटीआई, पुणे। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष समीर वी. कामत ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ भारत के सैन्य प्रहार 'ऑपरेशन सिंदूर' में ब्रह्मोस मिसाइलों और ड्रोन-रोधी आकाशतीर रक्षा प्रणालियों ने अहम भूमिका निभाई थी।
वायुसेना के शक्तिशाली बहुद्देशीय लड़ाकू विमान सुखोई मार्क वन से प्रक्षेपित ब्रह्मोस मिसाइलों को मुख्य हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया था।
ब्रह्मोस और आकाशतीर प्रणाली का किया गया था इस्तेमाल
'ऑपरेशन सिंदूर' रक्षा क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता, रणनीतिक दूरदर्शिता और स्वदेशी तकनीकी ताकत के दम पर अपनी क्षमता का प्रमाण है।
डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (डीआइएटी) के 14वें दीक्षा समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पश्चिमी सीमाओं पर अत्यधिक समन्वित तथा बहुआयामी सैन्य अभियान ने न केवल सैनिकों के साहस को, बल्कि उनके तकनीकी कौशल को भी उजागर किया।
उन्होंने कहा, ''आक्रामक हथियारों की बात करें तो ब्रह्मोस मुख्य हथियार था जिसे सुखोई मार्क वन से लॉंच किया गया था। रक्षात्मक हथियार प्रणालियों की बात करें तो ड्रोन-रोधी आकाशतीर प्रणाली और मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एमआरएसएएम) का इस्तेमाल किया गया।''
'स्वीदेशी तकनीक के जरिए भारत अपनी सुरक्षा करने में सक्षम'
उन्होंने बताया कि कैसे 'आकाशतीर' ने भारत की ओर आने वाले किसी भी खतरे की पहचान करने और यह तय करने में मदद की कि ऐसे खतरों को बेअसर करने के लिए किस तरह के हथियार का इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ''ऑपरेशन सिंदूर एक मिशन से कहीं बढ़कर था।
यह आत्मनिर्भरता, रणनीतिक दूरदर्शिता और स्वदेशी तकनीकी ताकत के जरिए भारत की मजबूती से खड़े होने की क्षमता का प्रतीक था। यह दुनिया के लिए एक संदेश था कि भारत में स्वदेशी तकनीक के जरिए अपनी सीमाओं की रक्षा करने की क्षमता है।''
डीआरडीओ प्रमुख ने कहा कि सेंसर, मानवरहित ड्रोन और सुरक्षित संचार से लेकर एआइ-आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली और सटीकता से प्रहार करने वाले हथियारों तक - स्वदेशी उपकरणों एवं शस्त्रों ने इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्होंने कहा कि इस अभियान के लिए तैनात सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम, एडब्ल्यूएनसी एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम और आकाशतीर प्रणाली - ये सभी भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा विकसित की गई हैं।
उन्होंने कहा कि डीआइएटी जैसी संस्थाओं ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने सात मई को पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था।
यह भी पढ़ें- 4 आतंकी, 5 इंस्टाग्राम अकाउंट और 'जिहाद' फैलाने की साजिश... अल कायदा की मास्टरमाइंड शमा परवीन तक कैसे पहुंची पुलिस?
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।