Operation Sindoor के बाद सेना ने भारतीय ड्रोन कंपनियों को दिया 4000 करोड़ का ऑर्डर, पढ़ें आखिर क्या है वजह
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से भारतीय ड्रोन उद्योग को बढ़ावा मिल रहा है। सेना और रक्षा विभाग द्वारा ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग के लगभग 4000 करोड़ के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। आगामी 26 मई को सेना ने ड्रोन कंपनियों को प्रदर्शनी के लिए बुलाया है।

राजीव कुमार, नई दिल्ली। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद ड्रोन इंडस्ट्री को बड़ा बूस्ट मिलने जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि अगले एक से डेढ़ साल में भारतीय ड्रोन कंपनियों को कम से कम 4000 करोड़ के ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग के आर्डर सेना व रक्षा विभाग की तरफ से मिल सकते हैं।
ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों से सेना व रक्षा विभाग की तरफ से लगातार पूछताछ की जा रही है जिसे देखते हुए कंपनियां अपने उत्पादन के विस्तार में जुट गई है। सेना की तरफ से आगामी 26 मई को ड्रोन कंपनियों को अपने-अपने ड्रोन की नुमाइश करने के लिए आमंत्रित किया गया है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद घरेलू ड्रोन सेक्टर के विकास को नई ऊर्जा मिली
ड्रोन मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ने से ड्रोन निर्माण से जुड़े कंपोनेंट्स का भी कारोबार बढ़ेगा। भारत में ड्रोन उद्योग का पूरा कारोबार फिलहाल 2.7 अरब डालर का है जो वर्ष 2030 तक 13 अरब डालर तक जाने की संभावना है। ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष स्मित शाह ने बताया कि आपरेशन सिंदूर के बाद घरेलू ड्रोन सेक्टर के विकास को नई ऊर्जा मिली है। आगामी 12-24 महीने में ड्रोन इंडस्ट्री को 4000 करोड़ तक के नए आर्डर मिल सकते हैं।
सरकार ड्रोन के मेक इन इंडिया को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव के माध्यम से पहले से प्रोत्साहित कर रही है और अब ड्रोन के सामरिक महत्व को देखते हुए निश्चित रूप से इसके मैन्यूफैक्चरिंग को और प्रोत्साहन मिलेगा। ड्रोन निर्माता कंपनी आयोटेक वर्ल्ड एविगेशन के निदेशक दीपक भारद्वाज ने बताया कि आपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा विभाग व सेना की तरफ से ड्रोन को लेकर लगातार पूछताछ हो रही है और उन्हें जल्द ही बड़े आर्डर मिलने की उम्मीद है।
भारत में 400 से अधिक ड्रोन निर्माता कंपनी काम कर रही
आगामी 26 मई को इस सिलसिले में आर्मी की तरफ से ड्रोन निर्माता कंपनियों को ड्रोन की प्रदर्शनी के लिए बुलाया गया है। उन्होंने बताया कि उनकी तरह अन्य ड्रोन निर्माता कंपनियों ने भी अपनी उत्पादन क्षमता का विस्तार शुरू कर दिया है। भारत में 400 से अधिक ड्रोन निर्माता कंपनी काम कर रही है। ड्रोन का निर्माण बढ़ने से इसमें इस्तेमाल होने वाले संवेदनशील कंपोनेंट्स के निर्माण का भी विस्तार होगा क्योंकि इस प्रकार के कंपोनेंट्स के लिए आयात पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है।
हालांकि अब ड्रोन में इस्तेमाल होने वाले 70 प्रतिशत कंपोनेंट्स का निर्माण भारत में हो रहा है। अभी मुख्य रूप से खेती, मै¨पग और कुछ उद्योग से जुड़े सेक्टर के लिए ही ड्रोन का निर्माण किया जा रहा है। भारद्वाज ने बताया कि ड्रोन निर्माता कंपनियों को सबसे बड़ी दिक्कत फंड की आ रही है। पीएलआई के तहत सिर्फ 120 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था जो काफी कम है।
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