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Operation Blue Star: 83 जवान शहीद, भिंडरावाले समेत 493 लोगों की मौत... 39 साल पहले आज के दिन क्या हुआ था?

6th June1984 तारीख भारत के इतिहास में हमेशा याद की जाएगी। करीब 39 साल पहले आज के ही दिन सिख धर्म के सबसे पवित्र धार्मिक स्थल स्वर्ण मंदिर पर भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) को अंजाम दिया था। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...

By Achyut KumarEdited By: Achyut KumarPublished: Tue, 06 Jun 2023 09:27 AM (IST)Updated: Tue, 06 Jun 2023 10:20 AM (IST)
Operation Blue Star: 83 जवान शहीद, भिंडरावाले समेत 493 लोगों की मौत... 39 साल पहले आज के दिन क्या हुआ था?
Operation Blue Star: ऑपरेशन ब्लू स्टार क्यों चलाया गया, किसने किया इसका नेतृत्व, कौन थे जरनैल सिंह भिंडरावाले?

Operation Blue Star Anniversary: ऑपरेशन ब्लू स्टार की आज बरसी है। आज से 39 साल पहले छह जून 1984 को भारतीय सेना ने अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को दमदमी टकसाल के नेता और खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उसके अनुयायियों से मुक्त कराने के लिए एक विशेष अभियान चलाया था, जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) के नाम से जाना जाता है। यह ऑपरेशन इसलिए चलाया गया, क्योंकि पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं। 

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ऑपरेशन ब्लू स्टार की कमान किसे दी गई?

ऑपरेशन ब्लू स्टार की कमान लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बरार को सौंपी गई थी। उन्हें इसके बारे में 31 मई 1984 की शाम को पता चला, जब वे पत्नी के साथ छुट्टियां मनाने के लिए मनाली निकलने वाले थे। उस समय पंजाब अलगाववाद की आग में जल रहा था। स्वर्ण मंदिर पर भिंडरावाले ने कब्जा कर लिया था। ऐसे में उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाने को मंजूरी दी। 

कुलदीप बरार बताते हैं,

मेरे पास शाम को फोन आता है कि मुझे अगले दिन पहली जून की सुबह चंडी मंदिर एक मीटिंग के लिए पहुंचना है। एक जून को ही हमें मनाली निकलना था। मैंने टिकट भी बुक ली थी। हम जहाज पकड़ने के लिए दिल्ली जा रहे थे, लेकिन फोन आने के बाद मैं मेरठ से दिल्ली सड़क मार्ग से गया और फिर वहां से प्लेन से चंडीगढ़ और पश्चिम कमान के मुख्यालय पहुंचा। यहां पता चला कि मुझे ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम देना है और जल्द से जल्द अमृतसर पहुंचना है, क्योंकि वहां के हालात बेहद खराब हैं। अगर वहां की कानून व्यवस्था को ठीक नहीं किया गया तो पंजाब हाथ से निकल जाएगा।

भिंडरावाले को कांग्रेस ने दिया बढ़ावा

  • ऐसा कहा जाता है कि भिंडरावाले को कांग्रेस ने ही बढ़ावा दिया था, क्योंकि वह अकालियों के सामने सिखों की मांग उठाने वाले ऐसे शख्स को खड़ा करना चाहती थी, जो उसको मिलने वाले समर्थन में सेंध लगा सके।
  • भिंडरावाले ने पहले तो विवादित मुद्दों पर बयान देना शुरू किया, लेकिन बाद में उसने केंद्र सरकार पर भी हमला बोलना शुरू कर दिया, जिससे पंजाब में हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगीं।
  • भिंडरावाले ने 1982 में चौक गुरुद्वारा को छोड़ दिया और स्वर्ण मंदिर में गुरुनानक निवास आकर रहने लगा, जिसके कुछ महीनों बाद वह अकाल तख्त से अपने विचार व्यक्त करना शुरू कर दिया।

लेफ्टिनेंट जनरल बरार ने सैनिकों में भरा जोश

ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम देने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बरार ने सैनिकों में जोश भरा। उन्होंने कहा कि स्वर्ण मंदिर के अंदर जाते समय हमें यह बिल्कुल नहीं सोचना चाहिए कि हम किसी पवित्र जगह पर जाकर उसे बर्बाद करने जा रहे हैं। बल्कि यह सोचना चाहिेए कि हम उसकी सफाई करने जा रहे हैं।

पैराशूट रेजिमेंट ने ऑपरेशन का किया नेतृत्व

  • ऑपरेशन ब्लू स्टार का नेतृत्व पैराशूट रेजिमेंट के जनरल सुंदरजी, जनरल दयाल और जनरल बरार कर रहे थे। तीनों की कोशिश थी कि इस पूरी मुहिम को रात के अंधेरे में अंजाम दिया जाए। इसलिए उन्होंने दस बजे के आसपास स्वर्ण मंदिर पर हमला बोल दिया।
  • अकाल तख्त की ओर सैनिक बढ़ने लगे, लेकिन तभी उन पर दोनों तरफ से ऑटोमैटिक हथियारों से गोलीबारी होनी शुरू हो गई। इस हमले में कई कमांडो मारे गए।
  • कमांडो की मदद करने आए लेफ्टिनेंट कर्नल इसरार रहीम खां के नेतृत्व में दसवीं बटालियन के गार्ड्स ने दोनों तरफ के मशीनगनों के ठिकानों को निष्क्रिय कर दिया, लेकिन तभी फिर से गोलीबारी शुरू हो गई।सरोवर के दूसरी ओर से गोलीबारी होने लगी। 
  • कर्नल इसरार खां ने सरोवर के पार भवन पर गोली चलाने की अनुमति मांगी, लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया। 
  • भिंडरावाले की प्लानिंग और किलेबंदी इतनी मजबूत थी कि सेना के लिए उससे पार पाना मुश्किल लगने लगा। अलगाववादी जमीन के नीचे मेन होल से निकलकर मशीनगन से फायर कर रहे थे, जिससे कई सैनिकों के पैर में गोली लगी।

ऐसे मारा गया भिंडरावाले

जनरल बरार ने आर्म्ड पर्सनल कैरियर के इस्तेमाल का फैसला किया, लेकिन यह जैसे ही अकाल तख्त की ओर बढ़ा, इसे रॉकेट लान्चर से उड़ा दिया गया जिसके चलते मजबूर होकर उन्हें टैंकों का इस्तेमाल करना पड़ा। टैंक से अकाल तख्त के ऊपर वाले हिस्से पर कम से कम 80 गोले बरसाए गए, जिससे लोग बाहर निकलने लगे। फायरिंग भी बंद हो गई। जवानों ने अंदर जाकर तलाशी ली तो भिंडरावाले की मौत का पता चला।

ऑपरेशन ब्लू स्टार में 493 लोगों की हुई थी मौत

ऑपरेशन ब्लू स्टार में भारतीय सेना के 83 सैनिक मारे गए, जबकि 249 घायल हुए। इसके अलावा, 493 अन्य लोगों की भी मौत की पुष्टि हुई। एक हजार 592 लोगों को हिरासत में लिया गया था। इस ऑपरेशन से विश्व में सिख समुदाय की भावनाएं आहत हुईं। इसकी टाइमिंग, रणनीति और क्रियान्वयन पर भी सवाल उठे। आखिरकार इंदिरा गांधी को अपनी जान देकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी।

ऑपरेशन ब्लू स्टार की मुख्य बातें

  • ऑपरेशन ब्लू स्टार केंद्र सरकार और सिख अलगाववादियों के बीच महीनों के तनाव के बाद एक जून 1984 को शुरू किया गया था।
  • भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर पर हमला करने के लिए टैंकों, तोपखाने और हेलीकाप्टरों का इस्तेमाल किया।
  • ऑपरेशन चार दिनों तक चला और इसके परिणामस्वरूप कई नागरिकों सहित सैकड़ों लोगों की मौत हो गई।

  • ऑपरेशन के कारण भारत में सिखों के खिलाफ हिंसा की लहर चल पड़ी, जिसमें हजारों लोग मारे गए।
  • केंद्र सरकार ने ऑपरेशन को सही ठहराते हुए दावा किया कि भिंडरावाले और उसके अनुयायी स्वर्ण मंदिर परिसर का उपयोग राज्य पर हमला शुरू करने के लिए कर रहे थे।
  • भिंडरावाले 1980 के दशक की शुरुआत में सिख अलगाववादी आंदोलन में एक प्रमुख शख्स के रूप में उभरा था।
  • स्वर्ण मंदिर परिसर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है और इसे सिख धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है।
  • केंद्र सरकार ने कभी भी ऑपरेशन के लिए आधिकारिक तौर पर माफी नहीं मांगी है।

लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बरार कौन थे?

लेफ्टिनेंट जनरल कुलदीप सिंह बरार 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के हीरो थे। वे 16 दिसंबर 1971 को ढाका में प्रवेश करने वाले पहले भारतीय सैनिकों में से एक थे। उन्हें जमालपुर की लड़ाई में असाधारण वीरता दिखाने के लिए वीर चक्र दिया गया, जो भारत का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

ऑपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा स्वर्ण मंदिर, अमृतसर से दमदमी टकसाल के नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके अनुयायियों को हटाने के लिए चलाया गया विशेष सैन्य ऑपरेशन था।

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