महिला सुरक्षा के नाम पर बने 'निर्भया फंड' की आधी राशि भी नहीं हुई खर्च
महिला सुरक्षा के नाम पर बनाए गए निर्भया फंड की शुरुआत तो बड़ी बड़ी बातों से हुई थी लेकिन पिछले चार वर्षों में महज चार सौ करोड़ रुपये ही खर्च हो सके हैं।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। निर्भया गैंगरेप के बाद महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर बनाए गए निर्भया फंड में हर वर्ष राशि तो बढ़ाई गई लेकिन इस राशि का अधिकतर हिस्सा खर्च ही नहीं किया गया। दिल्ली में दिसंबर 2012 में हुए जघन्य गैंगरेप कांड के बाद इस फंड को वर्ष 2013 में एक हजार करोड़ रुपये की राशि से बनाया गया था। मौजूदा वित्तीय वर्ष में इस फंड के तहत आने वाली राशि को बढ़ाकर तीन हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है।
खर्च हुई महज 400 करोड़ रुपये की राशि
इतने बड़ा फंड होने के बाद भी पिछले चार वर्षों में महज 400 करोड़ रुपये की राशि ही अब तक खर्च हो सकी है। हालांकि महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी का कहना है कि करीब 2100 करोड़ रुपये की राशि के प्रोजेक्ट अगले कुछ माह के अंदर शुरू होने हैं। उनके मुताबिक पिछले एक वर्ष में इस फंड के इस्तेमाल में तेजी आई है। साथ्ा ही कुछ प्रोजेक्ट जल्द ही सामने आ जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने भेजा नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने इस फंड की राशि के खर्च न होने को लेकर केंद्र समेत सभी राज्य सरकारों को नोटिस भेजकर इस बारे में सवाल पूछा है। कोर्ट ने जानना चाहा है कि मई 2016 तक कितनी राशि खर्च की गई और कितनी शेष रही। मंत्रालय ने जनवरी में कहा था कि निर्भया फंड के तहत 2195 करोड़ रुपये के करीब 18 प्रोजेक्ट्स के प्रपोजल आए थे, जिनमें से करीब 2187.47 करोड़ रुपये की राशि के 16 प्रोजेक्ट्स को एंपावर्ड कमेटी ने मंजूरी दी है।
मुआवजा राशि में राज्यों ने नहीं दी राशि
इस फंड के तहत पीडि़त को दी जाने वाली मुआवजा राशि की बात करें तो इसकी हालत और दयनीय है। इसके लिए सरकार ने करीब 200 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान रखा है। साथ ही केंद्र ने एसिड अटैक की शिकार महिला या युवती को तीन लाख की मुआवजा राशि देने की बात कही है। इसकी नोडल एजेंसी बनी राज्य सरकारों को भी इसमें 50 फीसद की राशि अदा करनी है। लेकिन आज तक भी राज्य सरकारों ने ऐसा नहीं किया है।
कई योजनाओं पर चल रहा है काम
मंत्रालय का कहना है कि महिलाओं के लिए कई योजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। इसमें महिला पुलिस वॉलेंटियर, वन स्टॉप सेंटर (ओएससी), वूमेन हैल्पलाइन योजना शामिल है। योजना के तहत करीब 186 ओएससी को मंजूरी दे दी गई है। इनमें से करीब 121 शुरू भी किए जा चुके हैं, बाकियों के इस वर्ष जुलाई तक शुरू होने की उम्मीद है। मंत्रालय के मुताबिक यूनिवर्सल हैल्पलाइन को सभी राज्यों में शुरू किया जा चुका है। हरियाणा ऐसा पहला राज्य बना है जिसमें महिला वॉलेंटियर काम कर रही हैं।
(साभार: मुंबई मिरर)
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