'अरावली पहाड़ियों का सिर्फ 9% हिस्सा 100 मीटर से ज्यादा ऊंचा...' FSI ने दावे का किया खंडन
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) ने अरावली पहाड़ियों को लेकर आई मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है। रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि अरावली का सिर्फ 9% हि ...और पढ़ें

FSI ने अरावली पहाड़ियों पर मीडिया रिपोर्ट का किया खंडन
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) ने हालिया मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है, जिनमें दावा किया गया था कि अरावली पहाड़ियों का सिर्फ 9% हिस्सा ही 100 मीटर से ज्यादा ऊंचा है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस रेंज का 90% हिस्सा सुरक्षा खो देगा।
FSI ने X पर एक पोस्ट में कहा, 'हम मीडिया के कुछ हिस्सों में किए गए उन दावों का साफ खंडन करते हैं जिसमें कहा गया कि हमने कोई ऐसी स्टडी की है जिसमें कहा गया है कि केवल 9% अरावली ही 100 मीटर से ऊपर है।'
संगठन ने आगे कहा, 'हमने ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया है जिसमें दिखाया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद अरावली की 90% पहाड़ियां असुरक्षित रह जाएंगी।'
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और रेंजों में खनन और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मामलों पर ऐतिहासिक फैसला दिया था।
कोर्ट ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत एक उच्च-स्तरीय समिति द्वारा सुझाई गई एक समान परिभाषा को स्वीकार किया, जो भू-आकृतियों को अरावली पहाड़ियों के रूप में वर्गीकृत करती है, अगर वह स्थानीय आसपास के इलाके से 100 मीटर या उससे अधिक ऊंची हैं।
जिसमें आस-पास के क्षेत्र और ढलान शामिल हैं। साथ ही अरावली रेंज के रूप में ऐसी पहाड़ियों के समूहों को जो एक-दूसरे से 500 मीटर के दायरे में हैं।
क्या है विवाद की वजह?
विवाद इस बात को लेकर है कि अलग-अलग राज्यों द्वारा अरावली को परिभाषित करने के तरीके में लंबे समय से भिन्नता है. अरावली रेंज राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और दिल्ली तक फैली हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स और पर्यावरण समूहों ने आंतरिक आकलन का हवाला दिया है, जिसमें दिखाया गया है कि अकेले राजस्थान में, 12,081 मैप की गई पहाड़ी संरचनाओं में से केवल 1,048 ही 100 मीटर की सीमा को पूरा करती है।
क्या है सरकार का मानना?
पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि अगर नई परिभाषा पूरे पहाड़ी सिस्टम, कंटूर और आसपास के इलाकों पर लागू की जाएगी तो वास्तव में अरावली क्षेत्र के 90% से अधिक हिस्से को संरक्षित दर्जा मिलेगा।
अधिकारियों ने 100-मीटर के मानदंड को विश्व स्तर पर स्वीकृत भूवैज्ञानिक मानक बताया है, जिसका उद्देश्य दुरुपयोग को रोकना और वस्तुनिष्ठ, मानचित्र-सत्यापन योग्य सीमाओं को सुनिश्चित करना है।

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