'केवल एक मोदी काफी हैं', जयशंकर ने खुद को बताया हनुमान; गूंजने लगी तालियां
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम में खुद को हनुमान बताते हुए पीएम मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि 'केवल एक मोदी काफी हैं।' जयशंकर के इस बयान ...और पढ़ें

विदेश मंत्री एस. जयशंकर। (पीटीआई)
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि आज दुनिया भारत को ज्यादा सकारात्मक नजर से देखती है, और देश की छवि में यह बदलाव एक ऐसी सच्चाई है जिसे नकारा नहीं जा सकता। दुनिया में सत्ता और प्रभाव के कई नए केंद्र उभरे हैं। कोई भी देश चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, सभी मुद्दों पर अपनी मर्जी थोप नहीं सकता।
भारत ने मानव संसाधन के क्षेत्र में सफलतापूर्वक तरक्की की है, जबकि कई विकसित देश ठहराव तथा जनसांख्यिकीय संकट का सामना कर रहे हैं। पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल (डीम्ड यूनिवर्सिटी) के 22वें दीक्षा समारोह को संबोधित करते हुए जयशंकर ने यह भी कहा कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था में काफी बदलाव आया है।
जयशंकर ने क्यों किया हनुमान का जिक्र?
जब पूछा गया कि क्या देश के लिए एक जयशंकर काफी हैं, तो विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, "आपका सवाल गलत है। आपको मुझसे पूछना चाहिए था: एक मोदी हैं। क्योंकि आखिरकार, हनुमान ही सेवा करते हैं। देश नेताओं और विजन से पहचाने जाते हैं। कुछ लोग होते हैं जो इसे लागू करते हैं। लेकिन आखिरकार, यह विजन, नेतृत्व और आत्मविश्वास ही है जो आज फर्क पैदा करता है।"
#WATCH | Pune, Maharashtra: When asked if one Jaishankar is enough for the country, EAM Dr S Jaishankar says, "Your question is wrong. You should have asked me: there is one Modi. Because ultimately, shri Hanuman finally serves... Countries are defined by leaders and vision.… pic.twitter.com/qtIKI8pEUt
— ANI (@ANI) December 20, 2025
हमारे नेशनल ब्रांड में सुधार हुआ है- जयशंकर
''दुनिया अभी हमें कैसे देखती है? इसका सीधा जवाब है कि पहले के मुकाबले बहुत ज्यादा सकारात्मक और बहुत ज्यादा गंभीरता से, और इसके कारण हैं हमारा नेशनल ब्रांड और हमारी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा - जिसमें काफी सुधार हुआ है।'' आज दुनिया भारतीयों को ऐसे लोगों के तौर पर देखती है, जिनकी कार्य नीति बहुत अच्छी है, जिनमें टेक्नोलाजी की काबिलियत है और जो परिवार-केंद्रित संस्कृति को मानते हैं।
हमारी छवि में बदलाव एक ऐसी सच्चाई- जयशंकर
जयशंकर ने कहा, ''विदेश में बातचीत के दौरान मुझे ज्यादातर अपने डायस्पोरा के लिए तारीफ के शब्द सुनने को मिलते हैं। जैसे-जैसे भारत में बिजनेस करने और रहने में आसानी बेहतर हो रही है, वैसे-वैसे एक देश, समाज और लोगों के तौर पर भारत के बारे में पुरानी रूढि़वादिता धीरे-धीरे पीछे छूट रही है। बेशक, प्रगति और आधुनिकीकरण की हमारी यात्रा में हमें अभी और भी बहुत कुछ करना है, लेकिन हमारी छवि में यह बदलाव एक ऐसी सच्चाई है जिसे नकारा नहीं जा सकता।''
उन्होंने कहा, ''हमारे आंकड़े इस बदलाव की गवाही देते हैं। इनमें भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स की बढ़ती संख्या, विदेशों में भारतीय टैलेंट और स्किल्स की बढ़ती मांग, और लोगों की व्यक्तिगत सफलताएं शामिल हैं। और, यह बात हम सब पर भी समान रूप से लागू होती है।''
उन्होंने कहा कि शायद दूसरे देशों के मुकाबले, आज भारत की पहचान उसके टैलेंट और स्किल से होती है। इन सबने मिलकर हमारे नेशनल ब्रांड को बनाने में मदद की है।
'जो चीज हमें अलग बनाती है, वह है मानव संसाधनों की अहमियत'
उन्होंने कहा, ''हम भारतीय दुनिया के सामने कैसे आते हैं? मैं फिर से साफ-साफ कहूंगा, ज्यादा आत्मविश्वास और ज्यादा काबिलियत के साथ। लेकिन, एक फर्क है जिस पर ध्यान देना जरूरी है। ज्यादातर देशों ने आर्थिक लेन-देन - चाहे वह व्यापार हो, निवेश हो या सेवाएं हों - के जरिये दुनिया में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। जाहिर है, हमारा रास्ता भी यही रहा है, और इनमें से हर पैमाना बढ़ रहा है। लेकिन, जो चीज हमें अलग बनाती है, वह है मानव संसाधनों की अहमियत।'
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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