कक्षा छह के सिर्फ 53 प्रतिशत छात्र को ही आता है दस तक पहाड़ा, शिक्षा मंत्रालय रिपोर्ट में खुलासा
स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को जांचने के लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से देश भर में कराए गए सर्वेक्षण में पाया गया है कि कक्षा छह में पढ़ने वाले सिर्फ 53 प्रतिशत छात्र को ही दस तक का पहाड़ा आता है वहीं कक्षा तीन में पढ़ने वाले सिर्फ 55 प्रतिशत बच्चे 99 तक के अंकों को घटने-बढ़ने क्रम में पढ़ और लिख सकते है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को जांचने के लिए शिक्षा मंत्रालय की ओर से देश भर में कराए गए सर्वेक्षण में पाया गया है कि कक्षा छह में पढ़ने वाले सिर्फ 53 प्रतिशत छात्र को ही दस तक का पहाड़ा आता है, वहीं कक्षा तीन में पढ़ने वाले सिर्फ 55 प्रतिशत बच्चे 99 तक के अंकों को घटने-बढ़ने क्रम में पढ़ और लिख सकते है।
शहरी बच्चों ने ग्रामीण बच्चों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया
इसके साथ ही सर्वेक्षण में जो एक और महत्वपूर्ण पहलू देखने को मिला है, उनमें बच्चों के बीच ग्रामीण-शहरी विभाजन भी देखा गया। ग्रामीण क्षेत्रों में कक्षा 3 के छात्रों ने जहां गणित व भाषा विषयों में शहरी बच्चों से बेहतर प्रदर्शन किया, वहीं शहरी क्षेत्रों में कक्षा छह और नौ के बच्चों ने सभी विषयों में ग्रामीण बच्चों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है।
राष्ट्रीय सर्वेक्षण के जरिए यह निष्कर्ष सामने आया
स्कूली बच्चों के समग्र विकास को जांचने के लिए कराए गए 'परख' राष्ट्रीय सर्वेक्षण के जरिए यह निष्कर्ष सामने आया है। जिसमें बच्चों के ज्ञान का प्रदर्शन का आंकलन, समीक्षा और विश्लेषण किया जाता है। इससे पहले स्कूलों में यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) के रूप में कराया जाता था। लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आने के बाद इसे नए स्वरूप में शुरू किया गया है।
मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो वह स्कूली शिक्षा के प्रदर्शन को अब इसी मानक के आधार पर परखेगा। मंत्रालय ने यह सर्वेक्षण पिछले साल चार दिसंबर को देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 781 जिलों के 74,229 स्कूलों में आयोजित किया था। जिसमें कक्षा तीन, छह और नौवीं के सरकारी और निजी दोनों स्कूलों के 21 लाख से अधिक छात्र शामिल हुए थे।
सर्वेक्षण रिपोर्ट-2024 में यह बात सामने आई
सर्वेक्षण रिपोर्ट-2024 के मुताबिक कक्षा छह में भाषा और गणित के साथ-साथ एक अतिरिक्त विषय 'हमारे आसपास की दुनिया' जिसमें पर्यावरण व सामाजिक विज्ञान शामिल है, को लेकर मूल्याकंन किया गया था। इनमें छात्रों ने गणित में सबसे कम अंक औसतन 46 प्रतिशत प्राप्त किए, जबकि भाषा में औसतन 57 प्रतिशत व हमारे आसपास की दुनिया में राष्ट्रीय स्तर पर 49 प्रतिशत अंक प्राप्त है।
मंत्रालय के मुताबिक जिन विषयों में छात्रों का प्रदर्शन पचास प्रतिशत से कम रहा है, वह उनके सीखने की क्षमता में कमी को दर्शाता है। जिन भी स्कूलों में यह कमी देखी गई है, उन सभी इसमें सुधार के लिए निर्देश दिया जाएगा।
सरकारी स्कूलों के बच्चों का गणित में कमजोर रहा प्रदर्शन
सर्वेक्षण के मुताबिक कक्षा तीन में केंद्र सरकार के स्कूलों ने गणित में प्रदर्शन सबसे कम रहा है जबकि कक्षा छह में सरकारी सहायता प्राप्त और राज्य सरकार के स्कूलों ने विशेष रूप से गणित में कमजोर प्रदर्शन किया। कक्षा नौ में केंद्र सरकार के स्कूलों के छात्रों ने सभी विषयों में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया, जिसमें भाषा में स्पष्ट बढ़त थी।
वहीं निजी स्कूल विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में दूसरे स्थान पर रहे, लेकिन गणित में कम अंक प्राप्त किए। सभी प्रकार के स्कूलों के लिए भाषा सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाला विषय था, जबकि गणित में कमजोर प्रदर्शन रहा।
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