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    देश में सिर्फ 13 प्रतिशत नेशनल हाईवे की ही इलेक्ट्रानिक निगरानी, साल दर साल बढ़ रहे सड़क हादसे

    तमाम प्रयासों के बावजूद देश में होने वाले सड़क हादसे और असुविधाजनक यातायात के पीछे कई कारण हैं। निस्संदेह वाहन चालक यातायात नियमों के प्रति जागरूक नहीं हैं या कहें कि बेपरवाह हैं। इसके साथ ही रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर में खामियां और प्रवर्तन की ढिलाई भी बड़ा कारण है। एटीएमएस से अभी तक सिर्फ 13.68 प्रतिशत नेशनल हाईवे ही लैस हो सका है।

    By jitender sharma Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 04 May 2025 06:52 AM (IST)
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    देश में सिर्फ 13 प्रतिशत नेशनल हाईवे की ही इलेक्ट्रानिक निगरानी (सांकेतिक तस्वीर)

     जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। यह तथ्य कई बार सामने आ चुका है कि दुनिया में सर्वाधिक सड़क हादसे भारत में होते हैं और कड़वा सच यह भी है सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के तमाम दावे और वादों की पोल हर वर्ष बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े खोल रहे हैं।

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    एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से दूर हाईवे

    सुधार की दिशा में सुस्त चाल और वर्तमान स्थिति का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि जिस एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने अपनी नीति में 2016 में शामिल किया था, उस एटीएमएस से अभी तक सिर्फ 13.68 प्रतिशत नेशनल हाईवे ही लैस हो सका है।

    खामियां और प्रवर्तन की ढिलाई भी बड़ा कारण

    तमाम प्रयासों के बावजूद देश में होने वाले सड़क हादसे और असुविधाजनक यातायात के पीछे कई कारण हैं। निस्संदेह वाहन चालक यातायात नियमों के प्रति जागरूक नहीं हैं या कहें कि बेपरवाह हैं। इसके साथ ही रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर में खामियां और प्रवर्तन की ढिलाई भी बड़ा कारण है।

    ऐसी तमाम समस्याओं के समाधान के उद्देश्य से ही एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से नेशनल हाईवे की इलेक्ट्रानिक निगरानी को विशेषज्ञों ने आवश्यक माना। इसे देखते हुए एनएचएआइ की नीति में वर्ष 2016 में इसे शामिल करते हुए देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को एटीएमएस से लैस करने का निर्णय लिया गया।

    नई तकनीक के कैमरे लगाने का भी निर्णय लिया गया

    फिर 2023 में वर्तमान चुनौतियों और आवश्यकताओं को देखते हुए नीति को अद्यतन करते हुए इसमें नई तकनीक के कैमरे लगाने का भी निर्णय लिया गया। मंत्रालय दावा कर रहा है कि चरणवार तरीके से सभी नेशनल हाईवे पर इस प्रणाली को लागू करने के लिए काम किया जा रहा है। मगर, इतने वर्षों में मंत्रालय सुधार के लिए कैसी कछुआ चाल से चला है, यह खुद मंत्रालय के आंकड़े बयां करते हैं।

    नेशनल हाईवे की कुल लंबाई करीब 146195 किलोमीटर

    दरअसल, देश में नेशनल हाईवे की कुल लंबाई करीब 146195 किलोमीटर है। इसमें से एटीएमएस के माध्यम से इलेक्ट्रानिक निगरानी मात्र 20 हजार किलोमीटर की हो रही है।

    विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि सभी हाईवे इस तकनीक से लैस कर दिए जाएं तो यातायात को सुगम बनाने और सड़क हादसों पर कुछ अंकुश लगाने में मदद मिल सकती है। दरअसल, एटीएमएस ऐसी प्रणाली है, जो यातायात की निगरानी और नियंत्रण के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करती है।

    एटीएमएस प्रणाली के सकारात्मक परिणाम आए

    यह यातायात प्रवाह में सुधार, सुरक्षा में वृद्धि और भीड़भाड़ को कम करने में सहायक होती है। सरकार खुद भी दावा कर चुकी है कि बंगलुरू-मैसूर एक्सप्रेसवे पर एटीएमएस प्रणाली के सकारात्मक परिणाम आए हैं। वहां अप्रत्याशित रूप से सड़क हादसों में कमी देखी गई है।