हर साल सिर्फ 1.60 लाख बेरोजगारों को मिलेगा राजस्थान में भत्ता
दिसम्बर में सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक मार्च से बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की घोषणा की थीं । हालांकि पहले साल में पांच लाख से ज्यदा को नहीं
जयपुर,मनीष गोधा। किसान कर्जमफी योजना के बाद राजस्थान सरकार अब बेरोजगारी भत्ता योजना के मामले में भी विपक्ष के निशाने पर आती दिख रही है। इस योजना के लिए जारी की गई गाइडलाइन्स में कहा गया है कि हर वर्ष राजस्थान के सिर्फ 1.60 लाख बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा, जबकि श्रम व रोजगार मंत्रालय के नेशनल कॅरियर सर्विस डाटा के इसी वर्ष मार्च में जारी आंकडों के अनुसार राजस्थान में फरवरी 2019 तक पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 6.89 लाख है।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि राजस्थन के शिक्षित बेरोजगारों को साढे तीन हजार रूप्ए प्रति माह बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। कांग्रेस नेताओं ने सभी रैलियों में भी इस वादे को दोहराया था।
दिसम्बर में सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक मार्च से बेरोजगारी भत्ता दिए जाने की घोषणा की थीं इस योजना को मुख्यमंत्री युवा सम्बल योजना का नाम दिया गया था, लेकिन घोषणा के तुरंत बाद ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई और बेरोजगारी भत्ते का वितरण शुरू नहीं हो पाया।
अब लोकसभा चुनाव के बाद सरकार ने योजना की गाइडलाइन्स जारी की है। इनके अनुसार हर वर्ष सिर्फ 1.60 लाख बेरोजगारों को यह भत्ता दिया जाएगा और दो वष्र्र के लिएही मिलेगा। जबकि राजस्थान की पिछली सरकार के समय चल रही ऐसी ही योजना में करीब ढाई लाख लोगों को बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा था।
इसके अलावा फरवरी 2019 के श्रम व रोजगार मंत्रालय के नेशनल कॅरियर सर्विस डाटा के अनुसार राजस्थन में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 6.89 लाख है। ऐसे में सरकारी आंकडों को भी आधार माना जाए तो पहले वर्ष ही पांच लाख से ज्यादा पंजीकृत बेरोजगार इस योजना से बाहर हो जाएंगे।
योजना की गाइडलाइन्स सामने आने के बाद प्रतिपक्ष् ने सरकार को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। आने वाले विधानसभा सत्र में भी इसे लेकर सरकार घिरती नजर आएगी। राजसथान में अब विपक्ष में आ चुकीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज का कहना है कि सरकार ने किसान कर्ज माफी के बाद इस योजना में भी वादाखिलाफी की है।
चुनाव के दौरान कांगे्रस के नेता वाद करते थे कि सभी बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। ये नेता खुद ही राजस्थान में बेरोजगारों की संख्या 25 लाख तक बताते थे और अब सिर्फ 1.60 लाख बेरोजेगारों को भत्ता देने की बात कही जा रही हैं। इसमें भी कई ऐसी शर्तें लगा दी गई है कि जिनस लगता है कि सरकार ने सिर्फ वोट लेनेे के लिए घोषणा की थी। सरकाार नेचुनाव से पहले जो वादा किया था, उसे पूरा करना चाहिए।
यह हैं बेरोजगारी भत्ते की शर्ते
स्रकार ने अधिकतम लाभान्वितों कीसंख्या तो तय कर ही दी है। इसके अलावा भी योजना की शर्तो में कई ऐसे प्रावधान है, जिनके चलते बहुत कम बेरोजगारों को इस योजना का लाभ मिल पाएगा।
- हर वर्ष अधिकतम 1.60 लाख बेरोजागरों को ही बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। यानी नए उतने ही जुउेंगे, जितने बाहर हो चुके है।
- परिवर की आय अधिकतम दो लाख रूप्ए प्रतिवर्ष होनी चाहिए।
- एक परिवार में अधिकतम दो लोगों को मिलेगा।
- राजस्थान का मूल निवासी हो और यही के विश्वविदयालय से स्नातक उपाधि प्राप्त हो। बाहर के विश्वविदयालय में सिर्फ उन महिलाओ को दिया जाएगा, जिनका राजस्थान के मूल निवासी से विवाह हुआ हो
- भतते के लिए अभ्यर्थी का पूरी तरह बेरोजगार होना जरूरी है।
- सबसे अजीब शर्त यह है कि यदि वह स्नातक से आगे की पढाई कर रहा है तो भी उसे बेरोजगारी भत्ता नहीं मिलेगा।
- इसके अलावा यदि उसे कोई छात्रवृत्ति या अन्य किसी सरकारी योजना का लाभ मिल रहा होगा तो भी भत्ता नहीं मिलेगा।
- भत्ता अधिकतम दोवर्ष के लिए मिलेगा, यदि इस दौरान कोईकाम मिल जाता है तो भत्ता बंद हो जाएगा।
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