रजिस्ट्री के फर्जीवाड़े पर केंद्र का प्रहार, राज्यों को भी बदलने होंगे कानून; जानिए क्या है सरकार का मास्टर प्लान
Online Property Registration तहसीलों में फैले भ्रष्टाचार और संपत्ति विवादों से अदालतों पर बढ़ता बोझ कम करने के लिए सरकार ने भूमि संसाधन व्यवस्था को पारदर्शी बनाने का बीड़ा उठाया है। संपत्ति पंजीकरण को ऑनलाइन करने के लिए केंद्र सरकार ने नया पंजीकरण कानून का मसौदा तैयार किया है और राज्यों को भी भूमि संबंधी कानूनों में बदलाव के सुझाव दिए जाएंगे।

जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। Online Property Registration: तहसीलों में फैला भ्रष्टाचार संपत्ति विवादों को बढ़ाता रहा और अदालतें उसके बोझ तले दबती रहीं, लेकिन किसी सरकार ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। अब पहली बार भूमि संसाधन से जुड़ी व्यवस्था को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए मिशन मोड पर काम शुरू किया गया है।
संपत्ति के पंजीकरण की व्यवस्था को ऑनलाइन करने में जानबूझकर खड़ी की जा रही कानूनी बाधा को ढेर करने के लिए केंद्र सरकार ने नए पंजीकरण कानून का मसौदा तैयार कर लिया है। अब केंद्र सरकार राज्यों को भी सुझाने जा रही है कि उन्हें अपने भूमि संबंधी कानूनों में क्या बदलाव करने चाहिए।
रजिस्ट्रेशन सिस्टम को ऑनलाइन करने की कवायद
मोदी सरकार की यह कवायद राजस्व न्यायालय, लैंड रिकॉर्ड सेंटर और रजिस्ट्रेशन सिस्टम के ऑनलाइन एकीकरण की आदर्श व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से जुड़ी है, जिसके बाद रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा आसान नहीं होगा। रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा और संपत्ति विवाद देश में कितना विकराल रूप ले चुके हैं, उसे इन आंकड़ों से ही समझा जा सकता है कि निचली अदालतों में 66 प्रतिशत तो उच्च न्यायालयों में एक चौथाई मुकदमे संपत्ति विवाद से ही जुड़े हैं। इसे देखते हुए ही केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग ने वर्ष 2016 में डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (डीआईएलआरएमपी) शुरू किया।
लैंड रिकॉर्ड का किया जाएगा कम्प्यूटराइजेशन
इस कार्यक्रम के तहत मुख्य रूप से लैंड रिकॉर्ड का कम्प्यूटराइजेशन, रजिस्ट्रेशन का कम्प्यूटराइजेशन, भूमि का सर्वेक्षण-पुन: सर्वेक्षण, तहसील स्तर पर मॉडर्नलैंड रिकॉर्ड मैनेजमेंट सेंटर और राजस्व न्यायालयों का कम्प्यूटराइजेशन शामिल था। योजना में केंद्र सरकार ने राज्यों के लिए अलग-अलग योजनाओं में प्रोत्साहन राशि रखी, जिसके बाद कई राज्यों ने रुचि ली और लैंड रिकॉर्ड को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने का लगभग काम पूरा हो चुका है।
मगर, इसके अगले कदम में आवश्यक है कि संपत्ति पंजीकरण की व्यवस्था को भी ऑनलाइन सिस्टम से जोड़ दिया जाए, क्योंकि अभी लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि रजिस्ट्री ऑफिस में न भूमि का स्वामित्व देखा जाता है, न भौतिक स्थिति का पता किया जाता है और न ही संपत्ति से संबंधित किसी विवाद की चिंता की जाती है।
पहले एक ही संपत्ति की कई बार होती थी रजिस्ट्री
एक ही संपत्ति की रजिस्ट्री कई-कई बार कर दी जाती है। भूमि संसाधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र के प्रयास से राज्यों ने पंजीकरण को डिजिटल रिकॉर्ड के साथ ऑनलाइन करने की दिशा में कदम भी बढ़ाया, लेकिन कई जगह कानूनी पेच फंसा दिया गया कि भारत सरकार के पंजीकरण अधिनियम- 1908 में ऑनलाइन पंजीकरण का प्रविधान नहीं है। इसे देखते हुए 117 वर्ष बाद पंजीकरण विधेयक- 2025 तैयार कर इसमें ऑनलाइन पंजीकरण का प्रविधान शामिल किया है। इसके बाद रजिस्ट्रेशन कार्यालय कानूनी आधार पर इससे इनकार नहीं कर सकेंगे।
कानूनों में किए जाएंगे कई परिवर्तन
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भूमि संबंधी कानून राज्य का विषय हैं, इसलिए अब राज्य सरकारों को भी सुझाव देने जा रहे हैं कि उन्हें अपने कानूनों में किस तरह के संशोधन करने होंगे। यदि राज्य इच्छाशक्ति दिखाएंगे तो केंद्र सरकार का उद्देश्य राजस्व न्यायालय, लैंड रिकॉर्ड सेंटर और रजिस्ट्रेशन सिस्टम को ऑनलाइन जोड़कर एकीकरण करने का है।
इसके बाद जैसे ही कोई रजिस्ट्री कराने जाएगा तो लैंड रिकॉर्ड सेंटर से डिजिटल दस्तावेज नक्शे सहित अपने आप सामने आ जाएंगे कि उस संपत्ति का मालिकाना हक किसका है और उसका पहले पंजीकरण हुआ है या नहीं। यदि राजस्व न्यायालय में कोई विवाद लंबित होगा तो वह भी तुरंत पता चल जाएगा। सरकार का मानना है कि इससे संपत्ति विवाद रोकने में बड़ी सफलता मिलेगी।
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