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    Justice Ramana Farewell: कार्यकाल के अंतिम दिन एन.वी. रमणा ने मांगी माफी, लंबित मामलों को बताया बड़ी चुनौती

    By Ashisha Singh RajputEdited By:
    Updated: Fri, 26 Aug 2022 05:06 PM (IST)

    Justice Ramana Farewell देश के 48 वें मुख्य न्यायाधीश एन वी रमणा शुक्रवार को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस अवसर पर एनवी रमणा ने शुक्रवार को समारोह पीठ को संबोधित किया। उन्होंने इस दौरान अपने कार्यकाल में सूचीबद्ध मामलो पर ध्यान केंद्रित न कर पाने के लिए माफी मांगी।

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    न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि न्यायपालिका की जरूरतें बाकी की जरूरतों से अलग थीं

    नई दिल्ली, एजेंसी।‌ देश के चीफ जस्टिस एनवी रमणा के कार्यकाल का आज अंतिम दिन है।‌ 48वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने शुक्रवार को समारोह पीठ को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने लंबित मामलों को एक बड़ी चुनौती बताया। इसके साथ ही उन्होंने और मामलों की सूची और मामलों की सुनवाई के कार्यक्रम के मुद्दों पर ज्यादा ध्यान नहीं देने पर खेद व्यक्त किया।

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    चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने अपने संबोधन में कहा

    मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा ने अपने कार्यकाल की आखिरी समारोह पीठ में सभी से माफी मांगी। CJI ने समारोह पीठ को संबोधित करते हुए कहा कि आई एम सॉरी, सोलह महीनों में सिर्फ पचास दिन ही प्रभावी और पूर्णकालिक सुनवाई कर पाया हूं। उन्होंने आगे कहा कि कोविड-19 के कारण कोर्ट पूरी तरह काम नहीं कर पाया, लेकिन उन्होंने पूरी कोशिश की, ताकि सुप्रीम कोर्ट का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे।‌

    वहीं औपचारिक पीठ ने कहा, 'संबंधित लोगों ने मॉड्यूल विकसित करने का प्रयास किया, हालांकि सुरक्षा मुद्दों और अनुकूलता के कारण, बहुत प्रगति नहीं हुई थी, और इस मुद्दे को हल करने के लिए आधुनिक तकनीक को तैनात करने की आवश्यकता है।

    न्यायमूर्ति रमणा ने कहा, 'आम हम सभी आम आदमी को त्वरित और किफायती न्याय देने की प्रक्रिया में चर्चा और संवाद के साथ आगे बढ़ें।' उन्होंने कहा कि वह देश के संस्थान‌ के विकास में योगदान देने वाले पहले या आखिरी नहीं होंगे। न्यायमूर्ति रमणा ने कहा कि लोग आएंगे और जाएंगे, लेकिन संस्था हमेशा के लिए बनी हुई है।‌ इसके साथ ही उन्होंने संस्था की विश्वसनीयता की रक्षा करने पर जोर दिया।

    न्यायमूर्ति ने कहा- न्यायपालिका की जरूरतें बाकी की जरूरतों से अलग

    न्यायमूर्ति रमणा ने कहा कि न्यायपालिका की जरूरतें बाकी की जरूरतों से अलग थीं, और इस बात पर जोर दिया कि जब तक बार सहयोग नहीं करता, तब तक आवश्यक बदलाव लाना मुश्किल होगा, और कहा कि भारतीय न्यायपालिका समय के साथ विकसित हुई है और इसे परिभाषित या न्याय नहीं किया जा सकता है।

    एक ही आदेश या निर्णय से उन्होंने कहा, 'हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि पेंडेंसी हमारे सामने एक बड़ी चुनौती है। मुझे यह स्वीकार करना होगा कि मामलों को सूचीबद्ध करने और पोस्ट करने के मुद्दे उन क्षेत्रों में से एक हैं जिन पर मैं ज्यादा ध्यान नहीं दे सका। मुझे इसके लिए खेद है।'

    आपको मालूम हो कि हाल ही में, वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा था कि सीजेआई को मामलों को सौंपने और सूचीबद्ध करने की शक्ति नहीं होनी चाहिए, और शीर्ष अदालत के पास मामलों के आवंटन के लिए एक स्वचालित प्रणाली होनी चाहिए। अपने पहले विदाई भाषण का समापन न्यायमूर्ति रमणा ने कहा, 'मैं अपने सभी सहयोगियों और बार के सभी सदस्यों को उनके सक्रिय समर्थन और सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूं। मैं निश्चित रूप से आप सभी को याद करूंगा।'