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    General Mohammad Zia ul-Haq: भुट्टो ने प्रमोट कर बनाया था जनरल, उन्हीं का तख्तापलट कर जिया-उल-हक ने किया कब्जा

    By Babli KumariEdited By: Babli Kumari
    Updated: Tue, 04 Jul 2023 05:28 PM (IST)

    पाकिस्तान में 5 जुलाई को तख्तापलट के दौरान देश का राजनीतिक परिदृश्य नाटकीय रूप से बदल गया। जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक के नेतृत्व में इस सैन्य अधिग्रहण मेंप्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के नेतृत्व वाली सरकार को उखाड़ फेंका गया और सैन्य शासन का दौर शुरू हुआ। इस लेख के माध्यम से तख्तापलट के पहले की घटनाओं और इसके परिणाम की जानकारी दी गयी है।

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    Pakistan General Mohammad Zia ul-Haq (जागरण ग्राफिक्स)

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। साल 1977 पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था जब जनरल मोहम्मद जिया उल-हक ने नाटकीय रूप से पाकिस्तानी सरकार का तख्तापलट कर देश पर कब्ज़ा कर लिया। पाकिस्तान की राजनीति में शुरू से ही उथल-पुथल मचती रही है और यह तख्तापलट भी उन्हीं में से एक माना जाता है। पाकिस्तान की राजनीति में वहां की सेना का शुरू से ही दखल रहा है।

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    पाकिस्तानी सेना प्रमुख की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाक में तीन बड़े सैन्य तख्तापलट (Military Coup) देखने को मिले। यहां आजादी के बाद से कई जनरलों ने देश की सत्ता संभाली है। 1947 से अब तक लगभग 75 वर्षों में से 30 से ज्यादा साल तो सीधे तौर पर पाकिस्तान सेना के नियंत्रण में रहे हैं। इसके अलावा जब भी वहां चुनी हुई सरकार बनी उसमें सेना की दखलंदाजी देखने को मिली।

    सेना ने राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो से छीनी सत्ता 

    5 जुलाई 1977 के दिन जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक के नेतृत्व में पाकिस्तान की सेना ने राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो से सत्ता छीन ली। जिया को खुद प्रधानमंत्री भुट्टो ने सेना प्रमुख के पद पर पदोन्नत किया था, लेकिन समय के साथ उनके रिश्ते में खटास आ गई थी। यह लेख तख्तापलट से पहले और उसके बाद की घटनाओं पर प्रकाश डालता है, और उन राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक कारकों की जांच करता है, जिन्होंने जनरल जिया को प्रेरित किया और पाकिस्तान के इतिहास की दिशा बदल दी। यह घटना पाकिस्तान के इतिहास में महत्वपूर्ण है, क्योंकि मोहम्मद जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान की राजनीति और सामाजिक मानदंडों में कई परिवर्तन हुए थे।

    आइए जानते हैं, पाकिस्तान में हुए अब तक के सबसे भयावह अंजाम वाले सैन्य तख्तापलट के बारे में जब सेना प्रमुख जनरल जिया-उल-हक ने ताज पहनाने वाले प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्‌टो को बदले में किस तरह सजा-ए-मौत दी। उसके बाद जनरल जिया-उल-हक ने पाकिस्तान पर सबसे लंबे समय तक कैसे राज किया...

    भारत में हुई थी जिया-उल-हक की पढ़ाई

    जनरल जिया-उल-हक का जब जन्‍म हुआ था तब वह भारत में ही थे। जिया-उल-हक की पढ़ाई भी भारत से हुई है। जनरल जिया-उल-हक का जन्म भारत के पंजाब प्रांत में हुआ। साल 1924 में 12 अगस्त को पंजाब के जालंधर में हुआ। इनकी पढ़ाई दिल्ली के सेंट स्‍टीफंस कॉलेज में हुई थी। जब दोनों देशों का 1947 में बंटवारा हुआ तो वह पाकिस्तान चले गए। जिया-उल-हक ने भारत के खिलाफ दो जंग भी लड़े थे। 

    तख्तापलट के पीछे क्या था राजनीतिक कारण

    तख्तापलट से पहले, पाकिस्तान को व्यापक राजनीतिक अशांति और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। प्रधान मंत्री भुट्टो की सरकार भ्रष्टाचार, राजनीतिक दमन और अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन के आरोपों से घिरी हुई थी। पाकिस्तान नेशनल अलायंस (पीएनए) सहित विपक्षी दल पारदर्शी और निष्पक्ष चुनाव की मांग कर रहे थे, जिससे देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और आंदोलन शुरू हो गए थे। 1970 के दशक के मध्य में पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिति में उथल-पुथल और अशान्ति का माहौल था।

    देश ने हाल ही में चुनावी धांधली के आरोपों के कारण प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की नागरिक सरकार का पतन देखा था। भुट्टो की सरकार को व्यापक विरोध प्रदर्शनों और हड़तालों का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण देश के कई हिस्सों में आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई थी। विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व मुख्य रूप से धार्मिक दलों ने किया, जिन्होंने भुट्टो की सरकार पर भ्रष्ट होने और इस्लामी सिद्धांतों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया।

    इन बिंदुओं से समझें आखिर कैसे भुट्टो की सरकार को जनरल मोहम्मद जिया-उल-हक ने उखाड़ फेका- 

    • 5 जुलाई 1977 को, पाकिस्तान के तत्कालीन सेनाध्यक्ष (सीओएएस) जनरल जिया-उल-हक ने प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार के खिलाफ सैन्य तख्तापलट किया।
    • तख्तापलट के बाद, भुट्टो की सरकार पर चुनावी धांधली और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया, जिसके परिणामस्वरूप राजनीतिक उथल-पुथल और नागरिक अशांति फैली।
    • जब भुट्टो सरकार पर 1977 के आम चुनावों में धांधली का आरोप लगाया गया तो पूरे देश में बड़े स्तर पर  विरोध और प्रदर्शन हुए।
    • जनरल जिया-उल-हक के अनुसार, देश अराजकता में डूब गया था जिसकी वजह से उन्होंने मार्शल लॉ घोषित किया था।
    • भुट्टो का मुकदमा मार्च 1978 में समाप्त हुआ और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई। 
    • जिया-उल-हक के सैन्य शासन द्वारा इस्लामीकरण को लागू किया गया, जिसमें शरिया कानून की शुरूआत और अधिक रूढ़िवादी इस्लामी पहचान को बढ़ावा देना शामिल था।

    तख्तापलट और जनरल जिया-उल-हक का सत्ता में उदय

    5 जुलाई 1977 की सुबह, जनरल जिया-उल-हक ने भुट्टो की सरकार को उखाड़ फेंकते हुए तख्तापलट किया। भुट्टो को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की हत्या की साजिश का आरोप लगाया गया, जिससे राजनीति से प्रेरित मुकदमे के आरोपों और आरोपों की वैधता के बारे में व्यापक अटकलें लगाई गईं। जिया-उल-हक ने मुख्य मार्शल लॉ प्रशासक के रूप में नियंत्रण ग्रहण किया, जो जल्द ही राष्ट्रपति में बदल गया, जिससे सत्ता पर उसकी पकड़ मजबूत हो गई।

    ऑपरेशन फेयर प्ले 5 जुलाई 1977 को पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल जिया-उल-हक द्वारा प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए किए गए सैन्य तख्तापलट का कोड नाम था।

    इस्लामीकरण नीतियाों के थे समर्थक

    जनरल हक शरिया कानून के कट्टर समर्थक थे, लिहाजा उन्‍होंने सत्‍ता संभालते ही संविधान को दरकिनार करते हुए शरिया कानून को लागू किया था। उन्‍हें अफगानिस्‍तान में छिड़े युद्ध सोवियत रूस को वहां से बाहर खदेड़ने के लिए भी जाना जाता है। यह सब उन्‍होंने अमेरिका के सहयोग से बेहद गुपचुप तरीके से किया था। लेकिन इसके साथ ही पाकिस्तान और उसके पड़ोसी इलाकों में धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा मिला।

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