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    Old Parliament Building: कैसे हुआ था डिजाइन... कितना आया खर्च; कहानी विदा लेते पुराने संसद भवन की

    By Mohammad SameerEdited By: Mohammad Sameer
    Updated: Tue, 19 Sep 2023 07:59 AM (IST)

    Old Parliament Building साल 1911 में भारत की नई राजधानी के रूप में दिल्ली (Delhi) को चुना गया। आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) और हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) को दिल्ली को बसाने की जिम्मेदारी मिली। दोनों ब्रिटिश नागरिक थे। इन दोनों ने ही भारत की पहली संसद को डिजाइन किया था। तब इसे काउंसिल हाउस के रूप में जाना जाता था।

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    कहानी विदा लेते पुराने संसद भवन की (फाइल फोटो)

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्कः भारतीय संसद प्रणाली के इतिहास में आज मंगलवार 19 सितंबर 2023 का दिन ऐतिहासिक है। आज से संसद की कार्यवाही नए संसद भवन (New Parliament House) में होगी। ये समय की जरूरत भी थी और आधुनिकता की मांग भी। 

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    नए संसद भवन की तमाम बातें आपने सुनी होंगी, लेकिन आज हम चर्चा कर रहे हैं पुराने संसद भवन (Old Parliament House) से जुड़ी कुछ अहम बातों की...

    इस लेख के जरिये हम जानेंगे कि भारत के लोकतंत्र का मंदिर रहे पुराने संसद भवन को बनाने के लिए किस तरह जगह को चुनाव किया गया... कैसे पत्थर इस्तेमाल किया गया... किसने डिजाइन किया... वगैरह...वगैरह!

    लोकसभा की वेबसाइट के अनुसार, ब्रिटिश हुकुमत के दौरान साल 1911 में भारत की नई राजधानी के रूप में दिल्ली (Delhi) को चुना गया। आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) और हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) को दिल्ली को बसाने की जिम्मेदारी मिली। दोनों ब्रिटिश नागरिक थे। इन दोनों ने ही भारत की पहली संसद को डिजाइन किया था। तब इसे काउंसिल हाउस के रूप में जाना जाता था।

    क्या किसी मंदिर से प्रभावित है डिजाइन?

    माना जाता है कि 1927 में बनकर तैयार हुए गोलाकार संसद भवन का डिजाइन मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित चौसठ योगिनी के मंदिर से प्रभावित है, आप अगर पुराने संसद भवन और इस मंदिर को देखेंगे तो आपको काफी समानताएं नजर आएंगी, हालांकि इसका कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। 

    कैसे चुनी गई जगह?

    पुराने संसद भवन के निर्माण के लिए जगह चुनने के लिए बकायदा कमेटी बनाई गई जिसने अलग-अलग तरीकों से इसके लिए जगह की खोज की। कमेटी ने शाहजहां के बसाए शाहजहानाबाद के पास उस वक्त मौजूद मालचा गांव और उसके पास मौजूद एक किले के बीच की जगह, जिसे रायसिना की पहाड़ियां (Raisina Hills) कहा जाता था, को इसके लिए चुना। इसे समतल किया गया और फिर शुरू हुआ भवन का निर्माण।

    रायसिना हिल्स में ही राष्ट्रपति भवन, नया संसद भवन नॉर्थ-साउथ ब्लॉक जैसी खूबसूरत इमारतें मौजद हैं।

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    इस जगह को समतल कर पुराने संसद भवन का डिजाइन बनाया गया और 1921 में इसका निर्माण शुरू कर दिया गया। 6 सालों बाद ये भवन बनकर तैयार हुआ। 

    कितना खर्च आया था? कौन से पत्थर हुए इस्तेमाल?

    96 साल पहले बने संसद भवन को बनाने में उस वक्त 83 लाख रुपये खर्च हुए थे। इस शानदार इमारत को बनाने में लाल और Beige बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया।