Oil Prices in India: अगर ईरान बंद कर देता है 'Strait of Hormuz' तो भारत के पास क्या है Plan B, पेट्रोलियम मंत्री ने बता दी स्ट्रेटजी
Israel Iran War: पश्चिमी एशिया में बढ़ते तनाव और हॉर्मुज जलडमरूमध्य के संभावित बंद होने के कारण भारत सरकार तेल और गैस की आपूर्ति तथा कीमतों पर कड़ी नजर रख रही है। यह जलडमरूमध्य भारत की तेल जरूरतों का एक प्रमुख मार्ग है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया है कि आपूर्ति बनी रहेगी और भारत तेल स्रोतों में विविधता ला रहा है।
भारत इस रास्ते से अपनी तेल जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है। अगर ये बंद होता है तो इससे प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है। (जागरण)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिमी एशिया में बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार तेल और गैस की आपूर्ति और कीमतों (Oil Prices) पर पैनी नजर रखे हुए है। खबरों के मुताबिक, अमेरिका की ओर से ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद ईरान हॉर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने की योजना बना रहा है। यह जलडमरूमध्य दुनिया के पांचवें हिस्से के तेल और गैस की आपूर्ति का अहम रास्ता है।
भारत इस रास्ते से अपनी तेल जरूरतों का बड़ा हिस्सा आयात करता है। अगर ये बंद होता है तो इससे प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है। हालांकि, सरकार ने भरोसा दिलाया है कि जनता को ईंधन मिलता रहेगा और आपूर्ति में कमी नहीं होगी।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत पिछले दो हफ्तों से मध्य पूर्व के हालात पर नजर रख रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तेल आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाने की बात कही।
हमने पिछले कुछ सालों में अपनी आपूर्ति के रास्ते बदल लिए हैं और अब हमारी बड़ी मात्रा में तेल आपूर्ति हॉर्मुज जलडमरूमध्य से नहीं आती। हमारी तेल विपणन कंपनियों के पास कई हफ्तों का स्टॉक है और हमें कई रास्तों से ऊर्जा आपूर्ति मिल रही है। हम अपने नागरिकों को ईंधन की स्थिर आपूर्ति के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे।
हरदीप सिंह पुरी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री
कीमतों पर अटकलें मुश्किल, लेकिन बाजार संभल सकता है
एएनआई से बातचीत में हरदीप सिंह पुरी ने कहा, "कीमतों के बारे में अटकलें लगाना बहुत मुश्किल है। लंबे समय तक तेल की कीमत 65 से 70 डॉलर के बीच थी, फिर 70 से 75 डॉलर के बीच रही। जब सोमवार को बाजार खुलेंगे, तो हॉर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने का असर कीमतों में दिखेगा। लेकिन जैसा कि मैं लंबे समय से कह रहा हूं, वैश्विक बाजारों में पर्याप्त तेल उपलब्ध है। खास तौर पर पश्चिमी गोलार्ध से तेल की आपूर्ति बढ़ रही है।"
उन्होंने कहा, "पारंपरिक आपूर्तिकर्ता भी आपूर्ति बनाए रखने में रुचि रखेंगे, क्योंकि उन्हें भी राजस्व चाहिए। उम्मीद है कि बाजार इसे ध्यान में रखेगा। मोदी सरकार ने पिछले कई सालों में न केवल आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित की है, बल्कि कीमतों को किफायती भी रखा है। हम हर जरूरी कदम उठाएंगे।"
हालांकि, जानकार मानते हैं कि तेल और गैस एक "बेहद संवेदनशील" क्षेत्र है, और छोटी-सी रुकावट भी वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में बड़ा उछाल ला सकती है। अगर हॉर्मुज जलडमरूमध्य का बंद होना "एक हफ्ते से ज्यादा" चलता है, तो यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका दे सकता है और भारत भी इसके असर से अछूता नहीं रहेगा।
स्थिति जल्द सामान्य होने की उम्मीद
भारत रूस से कच्चा तेल आयात कर रहा है, लेकिन इसका फायदा छूट और कीमतों के रुझान पर निर्भर करता है। एनडीटीवी ने एक सूत्र के हवाले से कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमत 105 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाती है, तो सरकार ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की समीक्षा कर सकती है।
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