यहां भगवान के अस्तित्व को नकारने पर मिलती है क्रूर सजा
वर्ष 2011 की जनगणना में 33,000 ऐसे भारतीय थे जिन्होंने अपना धर्म नहीं बताया। पूरी दुनिया में 13 ऐसे देश हैं जहां नास्तिकता के लिए मृत्यु दंड दी जाती है।
नई दिल्ली। भारत में किसी भी धर्म को मानें- भगवान, अल्लाह या किसी और को या फिर नहीं भी माने... इसका स्वतंत्र अधिकार हर नागरिक को है पर इस दुनिया में कुछ ऐसे भी देश हैं जहां धर्म को न मानने पर सीधे मौत की सजा दी जाती है।
अनेकों धर्म और कई देवी देवताओं वाले इस देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो नास्तिक हैं। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है। 2011 की जनगणना में केवल 0.002 फीसद भारतीय ऐसे थे जिन्होंने खुद को नास्तिक बताया था। 1.21 बिलियन भारतीयों में से केवल 33,000 नास्तिक हैं।
अंग्रेजी अखबार के रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण भारत में 10 में से 7 नागरिक नास्तिक हैं और इसमें महिलाओं की संख्या आधी है। नास्तिकों की लिस्ट में महाराष्ट्र सबसे ऊपर है, यहां 9,652 लोगों ने खुद को नास्तिक करार दिया। इसके बाद मेघालय (9,089), केरल (4,896) और तमिलनाडु है। लक्षद्वीप में एक ही नास्तिक मिला व दादर और नागर हवेली में चार।
यहां यह मायने नहीं रखता कि संख्या कितनी बड़ी या छोटी है, अन्य देशों की तुलना में भारत सेक्युलर देश है। लोगों को धर्म के मामले में छूट दी गयी है और उन्हें यह भी अधिकार है कि वे धर्म को मानने या न मानने के अपने विचार को खुले तौर पर रख सकते हैं। लेकिन कुछ अन्य देशों के लिए यह जिंदगी और मौत का विषय है।
पूरी दुनिया में, नास्तिकों को काफी परेशानियों का सामना करना होता है और करीब 13 देशों में नास्तिकों के लिए कानूनन सजा भी मुकर्रर है।
इंडिया टूडे के अनुसार, जहां नास्तिकों व धर्म बदलने वालों के लिए मौत की सजा मुकर्रर करने वाले देश हैं- अफगानिस्तान, इरान, मलेशिया, मालदीव्स, नाइजीरिया, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, सोमालिया, सूडान, दुबई, यमन।
बांग्लादेश, मिस्र, इंडोनेशिया, कुवैत व जोर्डन में नास्तिकों पर धर्म संबंधित अपने विचार देने पर प्रतिबंध लगाया गया है। हाल में ही धर्म के खिलाफ वैज्ञानिक तथ्यों को रखने वाले तीन नास्तिक ब्लॉगरों की हत्या कर दी गयी।
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