आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही हो जाएगा छठ का चार दिवसीय महापर्व का समापन
देश के अधिकांश हिस्सों में छठ पूजा की धूम मची है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आस्था का यह पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान गुरुवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ हुआ। दूसरे दिन शुक्रवार को खरना की पूजा के बाद शनिवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया। रविवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का समापन हो जाएगा। प्रात:कालीन अर्घ्य का मुहूर्त रविवार सुबह 6.29 बजे के बाद का है। शुक्रवार की शाम को खरना के बाद निर्जला व्रत शुरू हुआ था जो शनिवार की रात तक जारी रहा। छठी मइया की पूजा का व्रत 36 घंटे निर्जला रखा जाता है जो काफी कठिन माना जाता है।
छठ पूजा का सबसे महत्व पूर्ण अंग व्रत के दौरान पवित्रता और भगवान सूर्य को अर्घ्य देना है। इस पूरे व्रत में दो बार अर्घ्य दिया जाता है। पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है। दूसरा अर्घ्य सूर्य उदय होने पर दिया जाता है। ऐसे में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय जानना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि कई बार धुंध व बदली के चलते सूर्य भगवान दिखाई नहीं देते ऐसे में सूर्योदय का टाइम देखकर ही अर्घ्य देने की रस्म पूरी की जाती है।
छठ पूजा का ऊर्ध्वागामी अर्घ्य
अब रविवार सुबह सूर्योदय के दौरान छठ पूजा का ऊर्ध्वागामी अर्घ्य दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड समेत देशभर में रह रहे पूर्वांचलवासी छठ पूजा को धूम धाम से मना रहे हैं. श्रद्धालु खासकर महिलाएं छठी मैया की पूजा कर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. शनिवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद रविवार को सुबह सूर्योदय के समय दिया जाएगा. यहां यूपी-बिहार पूर्वांचल समेत देश के दिल्ली, मुंबई, पटना, रांची, बनारस, जयपुर एवं अन्य शहरों में उगते सूरज को अर्घ्य देने का सही समय और मुहूर्त दिया जा रहा है.
सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
छठी मइया देती हैं संतान की प्राप्ति का आशाीर्वाद: मान्यता है कि छठी मइया का पवित्र व्रत रखने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। यश, पुण्य और कीर्ति का उदय होता है। दुर्भाग्य समाप्त हो जाते हैं। निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है।
दिल्ली एनसीआर और यूपी में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय
दिल्ली में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 6:35 am
फरीदाबाद में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 6:33 am
नोएडा में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 6:33 am
गोरखपुर में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 6:07 am
लखनऊ में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 6:17 am
कानपुर में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 6:19 am
वाराणसी में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 6:07 am
बिहार के शहरों में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय
पटना में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 5:58 am
छपरा में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 6:00 am
दरभंगा में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 5:56 am
मधुबनी में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 5:56 am
भागलपुर में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 5:51 am
बेगुसराय में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 5:54 am
गोपालगंज में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 6:02 am
अररिया में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 5:50 am
समस्तीपुर में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 5:56 am
औरंगाबाद में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 6:31 am
कटिहार में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 5:49 am
पूर्णिया में छठ पूजा उगते सूर्य को अर्घ्य देने का सूर्योदय समय- 5:49 am
सूर्योदय अर्घ्य का समय
03 नवंबर: दिन रविवार- चौथा दिन: ऊषा अर्घ्य, पारण का दिन।
सूर्योदय: सुबह 06:34 बजे, सूर्यास्त: शाम 05:35 बजे।
अर्घ्य देने की विधि
सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांबे के पात्र का प्रयोग करें। इसमें दूध और गंगा जल मिश्रित करके पूजा के पश्चात सूर्य देव को अर्घ्य दें।
सूर्य को अर्घ्य देने का मंत्र
सूर्य को अर्घ्य देते समय ओम सूर्याय नमः या फिर ओम घृणिं सूर्याय नमः, ओम घृणिं सूर्य: आदित्य:, ओम ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा मंत्र का जाप करें।
सूर्यदेव देते हैं निरोग का वरदान
सूर्यदेव सभी प्राणियों पर समान रूप से कृपा करते हैं। वे किसी तरह का भेदभाव नहीं करते। सूर्यदेव प्रत्यक्ष दिखते हैं और सभी प्राणियों के जीवन के आधार हैं। उनकी पूजा वैदिक काल से भी पहले से होती आई है। भगवान सूर्य अपने उपासक को आयु, आरोग्य, तेज, यश, वैभव और सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। भगवान सूर्य की उपासना से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिल जाती है। कहा जाता है कि जो लोग सूर्यदेव की उपासना करते हैं, वे दरिद्र, दुखी और अंधे नहीं होते।
सूर्यदेव के साथ छठ मैय्या की पूजा
इस त्योहार में सूर्यदेव के साथ छठ मैय्या की पूजा की जाती है। सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी के एक प्रमुख अंश को देवसेना कहा गया है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इन देवी का प्रचलित नाम षष्ठी है। षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा गया है। पुराणों में देवी का नाम कात्यायनी भी है। षष्ठी देवी को ही स्थानीय बोली में छठ मैय्या कहा गया है।
छठ पूजा का त्योहार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से 3 दिन तक मनाएं जाने वाला त्योहार है। छठ पूजा पूर्वांचल व बिहार, झारखंड में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह पूजा नहाए खाए के साथ शुरू होती है और 3 दिनों तक चलती है। इस त्योहार में सूर्य भगवान की छोटी बहन छठी मैय्या की पूजा की जाती है। मान्यता है कि छठी मैय्या बहुत जल्द ही क्रोधित हो जाती हैं। इसीलिए छठ पूजा में कुछ विशेष बातें ध्यान रखना आवश्यक हैं।
देश के अधिकांश हिस्सों में छठ पूजा की धूम मची है। हिन्दू पंचांग के अनुसार आस्था का यह पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को छठी माई, डाला छठ और अन्य नामों से भी जानते हैं। मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य देव और छठी माई को समर्पित है। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य अथवा देवी-देवताओं की पूजा शुभ मुहूर्त में की जाती है। तभी जातक साधक को उसकी साधना का वास्तविक और शुभ फल प्राप्त होता है। इसलिए छठ पूजा के लिए भी शुभ मुहूर्त आवश्यक है।
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