Kohinoor: भगवान जगन्नाथ का है 'कोहिनूर' हीरा! राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिख ब्रिटेन से वापस लाने की मांग
पुरी स्थित संगठन श्री जगन्नाथ सेना ने राष्ट्रपति मुर्मु को एक ज्ञापन सौंप कोहिनून को वापस भगवान जगन्नाथ के पास लाने की मांग की है। ज्ञापन में कहा गया है कि महाराजा रणजीत सिंह ने कोहिनूर हीरे को अपनी इच्छा से भगवान जगन्नाथ को दान कर दिया था।

भुवनेश्वर, एजेंसी। ओडिशा के एक सामाजिक संगठन ने एक बड़ा दावा किया है। संगठन के अनुसार कोहिनूर हीरा भगवान जगन्नाथ का है और इसके लिए उसने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के हस्तक्षेप की मांग की है ताकि ब्रिटेन इसे प्रसिद्ध पुरी मंदिर को लौटा सके। गौरतलब है कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु के बाद, उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स राजा बन गए हैं और नियमों के अनुसार 105 कैरेट का हीरा उनकी पत्नी डचेस आफ कार्नवाल कैमिला के पास जाएगा, जो अब नए राजा की पत्नी हैं।
राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग
पुरी स्थित संगठन श्री जगन्नाथ सेना ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा है। इसमें 12वीं शताब्दी के मंदिर में इतिहास में डूबे कोहिनूर हीरे को वापस लाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की गई थी। संगठन का दावा है कि कोहिनूर हीरा श्री जगन्नाथ भगवान का है और मांग की कि राष्ट्रपित मुर्मु प्रधानमंत्री से भगवान जगन्नाथ के लिए इसे भारत लाने के लिए कदम उठाने का अनुरोध करें।
महाराजा रणजीत सिंह ने किया था दान
शिवसेना संयोजक प्रिया दर्शन पटनायक ने ज्ञापन में कहा कि महाराजा रणजीत सिंह ने कोहिनूर हीरे को अपनी इच्छा से भगवान जगन्नाथ को दान कर दिया था। पटनायक ने दावा किया कि पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने अफगानिस्तान के नादिर शाह के खिलाफ लड़ाई जीतने के बाद हीरा पुरी भगवान को दान कर दिया था। हालांकि, इसे तुरंत नहीं सौंपा गया था।
इतिहासकार ने भी माना सच
इतिहासकार और शोधकर्ता अनिल धीर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि 1839 में रणजीत सिंह की मृत्यु हो गई और 10 साल बाद अंग्रेजों ने कोहिनूर को उनके बेटे दलीप सिंह से छीन लिया, हालांकि वे जानते थे कि यह पुरी में भगवान जगन्नाथ को दिया गया था।
महारानी को भी लिखा गया था पत्र
पटनायक ने जोर देकर कहा कि इस संबंध में महारानी को एक पत्र भेजने के बाद, उन्हें 19 अक्टूबर, 2016 को बकिंघम पैलेस से एक संदेश प्राप्त हुआ, जिसमें उन्हें सीधे यूनाइटेड किंगडम सरकार से अपील करने के लिए कहा गया क्योंकि प्रधानमंत्री अपने मंत्रियों की सलाह पर काम करते हैं और यह एक गैर-राजनीतिक होता है।
उन्होंने कहा कि उस पत्र की एक प्रति राष्ट्रपति को दिए गए ज्ञापन के साथ संलग्न है।
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