'एक नहीं हैं कुनबी और मराठा', महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल का मनोज जरांगे को स्पष्ट संदेश
महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण को लेकर छगन भुजबल ने कहा कि कुनबी और मराठा एक नहीं हैं और ओबीसी के 27% कोटे को नहीं छुआ जा सकता। उन्होंने मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा की। भुजबल ने कहा कि मराठों को ओबीसी कोटे में शामिल नहीं किया जा सकता

राज्य ब्यूरो, मुंबई। अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय (ओबीसी) ने सोमवार को विवादास्पद आरक्षण मुद्दे पर अपना रुख कड़ा कर दिया और राज्य के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि कुनबी और मराठा एक समान नहीं हैं और मौजूदा 27 प्रतिशत ओबीसी कोटा को किसी भी परिस्थिति में नहीं छुआ जा सकता।
वरिष्ठ ओबीसी नेता और अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष 77 वर्षीय भुजबल ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ओबीसी (27 प्रतिशत), अनुसूचित जाति (13 प्रतिशत) और अनुसूचित जनजाति (7 प्रतिशत) के मौजूदा कोटे को नहीं छुआ जा सकता। इसमें किसी को भी (मराठों सहित) शामिल नहीं किया जा सकता।
फडणवीस और शिंदे से मिले भुजबल
उन्होंने कहा कि अगर ओबीसी कोटा में बदलाव किए बिना मराठों को आरक्षण मिलता है तो हमें कोई समस्या नहीं है। इससे पहले दिन में, भुजबल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप-मुख्यमंत्रियों एकनाथ शिंदे और अजीत पवार से मुलाकात कर मराठा बनाम ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा की। इसके अलावा, उन्होंने मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में मराठों द्वारा शुरू किए गए आंदोलन के मद्देनजर राज्य भर से आए शीर्ष ओबीसी नेताओं से भी मुलाकात की।
भुजबल ने कहा कि बॉम्बे उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व के फैसले स्पष्ट करते हैं कि मराठा और कुनबी एक ही जाति नहीं हैं। उनके अनुसार, महाराष्ट्र में मराठों, गुजरात में पटेलों, राजस्थान में गुर्जरों और हरियाणा में जाटों द्वारा आरक्षण की मांग को लेकर किए गए विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए कोटा लेकर आई है। इसके बाद अन्य लोगों ने विरोध प्रदर्शन बंद कर दिया है। लेकिन मराठा अलग आरक्षण की मांग कर रहे हैं।
EWS का किया जिक्र
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा में से आठ प्रतिशत लाभार्थी मराठा समुदाय से हैं। इसके अलावा, विधानमंडल ने महाराष्ट्र राज्य सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा आरक्षण अधिनियम पारित किया है, जो मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देता है।
उन्होंने मनोज जरांगे पाटिल की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे अभी भी 27 प्रतिशत ओबीसी कोटे से आरक्षण चाहते हैं, जिसमें 374 समूह शामिल हैं। जबकि वास्तव में ओबीसी को मिलनेवाला आरक्षण 17 प्रतिशत ही है। अन्य में खानाबदोश जनजातियां, वंजारी, धनगर आदि शामिल हैं।
विरोध प्रदर्शन की चेतावनी
वरिष्ठ राजनेता ने कहा कि हमने पहले ही विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। हम तहसीलदार कार्यालयों और जिला कलेक्ट्रेट के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे। हम जागरूकता पैदा करेंगे। अगर ओबीसी कोटा कमजोर किया गया तो लाखों लोग (मुंबई में) आएंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे।
जब उनसे कहा गया कि जरांगे-पाटिल कह रहे हैं कि कुनबी किसान हैं, इसलिए ओबीसी में शामिल हैं, तो उन्होंने कहा कि, तो फिर ब्राह्मण भी किसान हैं। भुजबल ने कहा कि मराठा आर्थिक रूप से पिछड़े या शैक्षणिक रूप से पिछड़े हो सकते हैं, लेकिन वे सामाजिक रूप से पिछड़े नहीं हैं।
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