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    बूस्टर डोज पर निर्णय के लिए ब्रेकथ्रू संक्रमण के आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा एनटागी

    बूस्टर डोज किसी वैक्सीन की दोनों डोज लगाने के नियत समय बाद दी जाती है जबकि अतिरिक्त डोज उन लोगों को लगाई जाती है जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर होती है भले ही उन्हें पहली डोज कभी भी क्यों न लगाई गई हो।

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Updated: Tue, 14 Dec 2021 08:33 PM (IST)
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    वायरस के बदलते स्वरूप के अनुरूप नई वैक्सीन तुरंत तैयार करने की सुविधा होनी जरूरी

    नई दिल्ली, एएनआइ। ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में बूस्टर डोज लगाई जा रही है। कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के सामने आने के बाद तो बूस्टर डोज देने में और तेजी आ गई है। परंतु, भारत में अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका है। बूस्टर डोज देने पर निर्णय टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटागी) की सिफारिश पर किया जाना है। एनटागी इस दिशा में कोई निर्णय लेने के लिए कोरोना के ब्रेकथ्रू संक्रमण के आंकड़ों का आकलन कर रहा है।

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    जब कोरोना रोधी वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोग संक्रमित होते हैं तो उसे ब्रेकथ्रू संक्रमण कहते हैं।

    सूत्रों ने बताया कि भारत में अभी तक जितने भी ब्रेकथ्रू संक्रमण सामने आए हैं, एनटागी उनके आंकड़ों का अध्ययन कर रहा है। इसका मकसद वैक्सीन के प्रभाव का पता लगाना और उसके आधार पर बूस्टर डोज या अतिरिक्त डोज लगाने पर निर्णय करना है।

    बूस्टर डोज किसी वैक्सीन की दोनों डोज लगाने के नियत समय बाद दी जाती है, जबकि अतिरिक्त डोज उन लोगों को लगाई जाती है जिनकी प्रतिरक्षा कमजोर होती है, भले ही उन्हें पहली डोज कभी भी क्यों न लगाई गई हो।

    बूस्टर डोज और बच्चों के टीकाकरण पर निर्णय लेने के लिए एनटागी कि पिछले दिनों ही बैठक हुई थी। इसमें सभी पहलुओं पर चर्चा तो हुई थी, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया जा सका था।

    वैक्सीन का सार्वभौमिक कवरेज सर्वोच्च प्राथमिकता : वीके पाल

    इस बीच, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) और कोरोना पर टास्क फोर्स के प्रमुख वीके पाल ने कहा कि कोरोना रोधी वैक्सीन का सार्वभौमिक कवरेज सरकार की पहली प्राथमिकता है ताकि हर किसी को टीका लगाया जा सके।

    उद्योग संगठन सीआइआइ की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में पाल ने कहा कि महामारी अभी बरकरार है और विश्व भर में अभी 3.6 अरब लोगों का टीकाकरण होना बाकी है। इसके लिए 7.2 अरब डोज की आवश्यकता है और मौजूदा उत्पादन क्षमता के साथ हम इसे हासिल कर लेंगे।

    ओमिक्रोन वैरिएंट पर चिंता जताते हुए पाल ने कहा कि हमारे पास वैक्सीन बनाने के लिए ऐसे प्लेटफार्म की सुविधा होनी चाहिए जो वायरस के बदलते स्वरूप के मुताबिक कम समय में प्रभावी वैक्सीन तैयार करने में सक्षम हो।

    भारत में स्थानिकता की तरफ बढ़ रही कोरोना महामारी

    पाल ने यह भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारत में कोरोना महामारी स्थानिकता की दिशा में बढ़ रही है जहां वायरस का प्रसार निम्न या मध्यम स्तर पर चलता रहता है। इसका सीधा मतलब है कि कोरोना वायरस सर्दी जुकाम पैदा करने वाले वायरस की तरह होकर रह जाएगा और गंभीर संक्रमण नहीं पैदा करेगा।