एनआरएचएम घोटाला: पर्दा उठाने में जुटी सीबीआइ
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। चर्चित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले के आरोपी महेन्द्र नाथ पाण्डेय से सीबीआइ सीएमओ के तबादलों का सच जानने में जुट गई है। सीबीआइ ने दो पहले से ही मंत्रियों की कारगुजारियों के बारे में भी पूछताछ शुरू कर दी है। इन दोनों पूर्व मंत्रियों का नाम घोटाले से जुड़ा है। महेन्द्र नाथ के इन दोनों पूर्व मंि
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। चर्चित राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले के आरोपी महेन्द्र नाथ पाण्डेय से सीबीआइ सीएमओ के तबादलों का सच जानने में जुट गई है। सीबीआइ ने दो पहले से ही मंत्रियों की कारगुजारियों के बारे में भी पूछताछ शुरू कर दी है। इन दोनों पूर्व मंत्रियों का नाम घोटाले से जुड़ा है। महेन्द्र नाथ के इन दोनों पूर्व मंत्रियों से करीबी रिश्ते रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ जानना चाह रही है कि किन जूनियर डाक्टरों को सीएमओ बनाया गया और उनसे कितनी रकम उगाही गई। इसके अलावा दवा आपूर्ति में किस तरह गोरखधंधा किया गया। इस धंधे में संबंधित पूर्व मंत्रियों को कितनी रकम दी गई। ऐसे कई सवालों का जवाब सीबीआइ महेन्द्र नाथ पाण्डेय से जानने में जुटी है। लखनऊ के सीबीआइ कार्यालय में पाण्डेय से पूछताछ चल रही है।
आरोप यह भी है कि बसपा सरकार में एनआरएचएम की धनराशि की बंदरबांट के लिए मनचाहे सीएमओ की तैनाती कराई गई। इसमें जूनियर डाक्टरों को भी सीएमओ बनाया गया और उनसे मनमानी रकम वसूली गई। सूत्रों के मुताबिक इस कार्य में पाण्डेय की अहम भूमिका रही। एक ऐसा भी दौर रहा जब सूबे के सभी सीएमओ पाण्डेय के इशारों पर काम करने लगे थे। पाण्डेय ने न केवल खुद दवा सप्लाई का काम दूसरी फमरें के नाम पर किया बल्कि अपने चहेतों को भी खूब काम दिलाया। शासन सत्ता में ऊंची पहुंच का लाभ लेकर सीएमओ के तबादलों और ठेका दिलवाने का काम करने वाले इस शख्स को घोटाले के और भी कई राज मालूम हैं।
सूत्रों की माने तो महेन्द्र ने लगातार सफाई ही दी है और कहा कि दवाओं के बिल गायब होने की वजह से उसे दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। पाण्डेय ने सीएमओ की तैनाती की बात स्वीकार की, लेकिन अपनी भूमिका से इन्कार किया है। सीबीआइ की दूसरी टीम भी पाण्डेय से पूछताछ करेगी।