Move to Jagran APP

अब पीओके की बारी! पाक ने नर्क से बदतर बनाए हालात, यह है गुलाम कश्‍मीर की हकीकत

पीओके के हालात पर नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस ने एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के खुलासे वैश्विक जगत को अवाक करने के लिए काफी हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 11:22 AM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 09:41 AM (IST)
अब पीओके की बारी! पाक ने नर्क से बदतर बनाए हालात, यह है गुलाम कश्‍मीर की हकीकत
अब पीओके की बारी! पाक ने नर्क से बदतर बनाए हालात, यह है गुलाम कश्‍मीर की हकीकत

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। अब भारत का अपने अखंड भूभाग जम्मू कश्मीर पर दावा और पुख्ता होता जा रहा है। जब हम अखंड जम्मू कश्मीर की बात करते हैं तो स्वाभाविक रूप से उसमें गुलाम कश्मीर यानी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) शामिल होता है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) को गुलाम कश्मीर कहा जाता है। वहां के सामाजिक, आर्थिक और मानवाधिकारों की स्थिति पर नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस ने साल 2011 में एक शोध रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में किए गए खुलासे वैश्विक जगत को अवाक करने के लिए काफी हैं।

loksabha election banner

शासन व्यवस्था
पाकिस्तान ने इस भूभाग पर अवैध कब्जा कर रखा है। अपनी भेदभाव पूर्ण नीतियों से पूरे क्षेत्र को बदहाल और आतंकवाद की नर्सरी बना रखा है। 1947 के बाद से जम्मू-कश्मीर के भारत शासित भाग में लोकतांत्रिक व्यवस्था थी। जबकि पीओके का भाग जिसमें दो हिस्से (पहला गुलाम जम्मू और कश्मीर व दूसरा गिलगित-बाल्टिस्तान के क्षेत्र) थे, दोनों ही दिशाहीन रहे। गुलाम कश्मीर के नेताओं ने उत्तरी क्षेत्र पाकिस्तान को अप्रैल 1949 में समझौते के तहत सौंप दिया था।

प्रशासनिक रूपरेखा
अक्टूबर 1947 को गुलाम कश्मीर में सरकार का गठन हुआ। यह सरकार युद्ध समिति की तरह काम कर रही थी। राष्ट्रपति के पास विधि और कार्यकारिणी संबंधी सभी अधिकार थे। मुस्लिम कॉन्फ्रेंस की वर्किंग कमेटी का विश्वास जीतने वाले व्यक्ति को ही राष्ट्रपति पद के लिए नामित किया जाता था। सेंट्रल पाकिस्तान में एक सर्वोच्च प्रशासकीय कार्यालय खोला गया था जो कि गुलाम कश्मीर के राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णयों को अंतिम स्वीकृति प्रदान करता था।

मानवाधिकार उल्लंघन
पाकिस्तान यहां की स्थिति को दुनिया के सामने न आने के लिए सभी कोशिशें करता रहा है। वहां पर बड़ी संख्या में अंदरूनी आंदोलन चल रहे हैं। राष्ट्रवादी लोग वहां पर पाकिस्तानियों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों का खुलासा कर रहे हैं। एमा निकोलसंस की रिपोर्ट के अनुसार वहां पर स्थानीय प्रशासन दिशाहीन है और पाकिस्तानी सेना और सरकार का ही नियंत्रण है। लोगों को रहन-सहन, शिक्षा और अन्य चीजों के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

बढ़ती जिहादी गतिविधि
1990 के बाद से पीओके बढ़ती आतंकी गतिविधियों का गढ़ बन गया है। लश्करए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन वहां के लोगों को जिहाद के लिए उकसा कर अपने संगठन में शामिल कर रहे हैं। यह सिलसिला वर्ष 2005 में इलाके में भूकंप से मची तबाही के बाद अधिक हो गया है। जमात-उद-दावा आतंकी संगठन भी लोगों को अपने संगठन में भर्ती कर रहा है। आतंकी संगठनों के लिए वहां काम करना ज्यादा आसान है क्योंकि वहां के आर्थिक और राजनीतिक हालात खराब हैं। तहरीक-ए-तालिबान के द्वारा भी कई आतंकी संगठनों को मदद मुहैया होती है। दर्जनों आतंकी संगठन हैं जो इस क्षेत्र में अपनी पैठ बनाए हुए हैं।

बढ़ता चीनी प्रभाव
पाकिस्तान और चीन के बीच काराकोरम हाईवे का 1978 में निर्माण हुआ। यह करीब 1280 किमी लंबा है। यह हाईवे पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वां प्रांत को जेजियांग क्षेत्र के कश्गर से जोड़ता है। करीब 800 किमी का हाईवे क्षेत्र पाकिस्तान में है जो पीओके के गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से होकर गुजरता है। इस हाईवे का रखरखाव चीन ही करता है इसके जरिये चीन से पाकिस्तान में परमाणु हथियार भी पहुंचाए जाते हैं। चीन पीओके में कई तरह की परियोजनाओं पर भी काम कर रहा है। चीनी कंपनियां वहां पर मौजूद नदियों पर ऊर्जा परियोजनाएं बना रही हैं। इसके अलावा भी गुलाम कश्मीर में पानी से जुड़ी कई योजनाओं पर चीन काम कर रहा है।

प्राकृतिक संपदा
गुलाम कश्मीर में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं। वहां पर महंगे रत्न के बड़े भंडार हैं। वहां विश्व का सबसे अच्छा रूबी और मार्बल पाया जाता है। बड़ी मात्रा में पानी मौजूद है। पनबिजली भी बड़ी मात्रा में बन सकती है। प्रचुर संसाधन ही चीन की दिलचस्पी की वजह हैं। पाकिस्तान वर्षों से यहां के संसाधनों का दोहन करता आया है।

भारतीय प्रयासों की सराहना
बेरोनेस एम्मा निकोलसन ने अपनी रिपोर्ट ‘कश्मीर प्रेजेंट सिचुएशन एंड फ्यूचर प्रोस्पेक्ट्स’ में इस क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक दशाओं की तस्वीर पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक ‘गुलाम कश्मीर में स्थानीय प्रशासन निष्क्रिय है और पाकिस्तान एवं उसकी सेना का इस क्षेत्र पर पूरा कब्जा है। कथित आजाद कश्मीर संप्रभु क्षेत्र नहीं हैं। इस्लामाबाद में कश्मीर मामलों के मंत्रालय द्वारा आजाद कश्मीर पर शासन किया जाता है। 2007 में प्रकाशित इस रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक प्रक्रिया पर टिप्पणी करते हुए ‘राज्य को विशेष पैकेज के जरिये सामाजिक-आर्थिक विकास के भारतीय प्रयासों की सराहना की गई है।’  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.