अब बार-बार आंखों में लेंस लगाने से मिलेगी मुक्ति, हट जाएगा चश्मा
आईसीएल बहुत पतला लेंस होता है जिसे आंख की पुतली के पीछे प्राकृतिक लेंस के आगे लगाया जाता है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। इस खूबसूरत दुनिया को देखने का एकमात्र जरिया आंखें ही हैं। इसलिए शरीर के इस नाजुक अंग को सहेजकर रखना बहुत जरूरी है। अस्वस्थ जीवनशैली व खानपान के चलते लोगों की आंखों की रोशनी कम हो रही है, जिसे चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के जरिए ठीक कर लिया जाता है। रोज-रोज चश्मे व लैंस के झंझट से बचने के लिए आमतौर पर लोग लेसिक सर्जरी भी करवाते हैं, लेकिन इस क्रम में सवाल यह उठता है कि जिन लोगों की सर्जरी नहीं हो सकती और वह चश्मा भी नहीं लगाना चाहते, तो उनके लिए क्या विकल्प है?
गौरतलब है कि अगर आपकी आंखों का कॉर्निया (आंखों की काली पुतली) बहुत पतला है, आंखों का नंबर लगभग माइनस 10 या इससे ज्यादा है, आंखें ड्राई रहती है या कोई अन्य समस्या है तो इस कारण आपकी लेजर सर्जरी संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में आपके लिए इंप्लांटेबल कॉन्टैक्ट लैंस (आईसीएल) बेहतर विकल्प हो सकता है।
क्या है आईसीएल
आईसीएल बहुत पतला लेंस होता है जिसे आंख की पुतली के पीछे प्राकृतिक लेंस के आगे लगाया जाता है। इसलिए यह कॉन्टैक्ट लैंस की तरह दिखाई नहीं देता लेकिन यह काम बिल्कुल कॉन्टैक्ट लेंस की तरह ही करता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें आंखों के अंदरूनी भाग में कोई छेड़छाड नहीं की जाती। लगभग 20 से अधिक उम्र वाले लोग आईसीएल लगवा सकते हैं।
प्रक्रिया का समय
यह बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है जिसे पूरा करने में करीब लगभग 20 मिनट लगता है, किंतु इसमें एक समय में एक आंख में ही लेंस लगाया जाता है। दूसरी आंख की प्रक्रिया करने के लिए कम से कम दो दिन का अंतराल होना जरूरी है। आईसीएल के बाद मरीज उसी दिन घर जा सकते हैं और करीब तीन से चार दिन में वे सामान्य रूटीन में आ सकते है।
हटवा सकते हैं कभी भी
वैसे तो आईसीएल एक बार लगवाने के बाद इसे बार-बार बदलने की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन अगर व्यक्ति इसे हटवाना चाहते हैं, तो वह इसे कभी भी हटवा सकते हैं। जिन रोगियों को उम्र के साथ मोतियाबिंद की समस्या हो जाती है तो मोतियाबिंद के इलाज में इसे हटा दिया जाता है क्योंकि अब मोतियाबिंद के लेंस में ही पॉवर का नंबर भी होता है।
ये लाभ हैं
- आईसीएल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस से छुटकारा मिल जाता है और एक बार लगने के बाद इसे दोबारा लगवाने या हटाने की जरूरत नहीं पड़ती।
- आंखों के किसी भी भाग को नुकसान नहीं पहुंचता और किसी को पता भी नहीं चलता कि आपने लेंस पहने हैं।
- सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आईसीएल बहुत सुरक्षित है और इसके रखरखाव के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं होती।
- आईसीएल के बाद लोग आराम से कोई भी काम कर सकते हैं, जो सामान्य लोग करते हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।