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    NCR के सभी चार राज्यों में अब डबल इंजन की सरकार, प्रदूषण, कचरा और यमुना की बदल सकती है सूरत

    Updated: Tue, 11 Feb 2025 08:03 PM (IST)

    NCR के सभी चार राज्यों में अब डबल इंजन की सरकार है। इसके चलते अब दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शहरी परिवहन यमुना कचरा और प्रदूषण पर एनसीआर की सूरत बदल सकती है। एनसीआर के सभी चार राज्यों में डबल इंजन की सरकारों से बड़े परिवर्तन की आस बंधी है। एक सुझाव एनसीआर से संबंधित मुख्यमंत्रियों की एक परिषद बनाने का भी है।

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    NCR के सभी चार राज्यों में बीजेपी की डबल इंजन की सरकार

    मनीष तिवारी, नई दिल्ली। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत ने पहली बार पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के राज्यों में एक ही पार्टी की सरकार सुनिश्चित होने के साथ ही शहरी विकास की नई संभावनाएं भी जगाई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भाजपा की जीत के बाद इसका उल्लेख भी किया था और अब शहरी विकास के विशेषज्ञों ने वे प्राथमिकताएं भी बताई हैं, जिन पर दिल्ली के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की भाजपा सरकारें सहमति बनाकर आपस में काम कर सकती हैं।

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    एक सुझाव एनसीआर से संबंधित मुख्यमंत्रियों की एक परिषद बनाने का भी है। शहरी सुधार के विशेषज्ञ हितेश वैद्य के अनुसार जो स्थिति उभरी है, वह एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की वास्तविक अवधारणा को साकार कर सकती है। बोर्ड नियोजित विकास ही नहीं, इस क्षेत्र को रोजगार और आर्थिक विकास का हब भी बना सकता है।

    बीजेपी को राजनीतिक खींचतान की गुंजाइश नहीं

    दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भाजपा की अकेले बहुमत वाली सरकारों के होने के कारण न तो अपने-अपने एजेंडे वाली राजनीतिक खींचतान की गुंजाइश है और न ही गठबंधन की मजबूरियों का बहाना हो सकता है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के समय एनसीआर को रैपिड रेल वाली परियोजनाओं के साथ ही प्रदूषण के मोर्चे पर राजनीतिक असहमति के दुष्परिणाम भोगने पड़े।

    रैपिड रेल की तीन परियोजना ही धरातल पर

    रैपिड रेल के तीन प्राथमिकता वाले कारिडोर दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-पानीपत और दिल्ली-एसएनबी (शाहजहांपुर-नीमराना-बहरोर) में से केवल दिल्ली-मेरठ की परियोजना ही धरातल पर उतर सकी है। इसलिए, क्योंकि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने केंद्र सरकार का साथ देने के लिए न केवल तेजी दिखाई, बल्कि जरूरी आर्थिक सहयोग भी किया।

    ...तो सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार

    इसके विपरीत केजरीवाल सरकार ने रैपिड रेल के प्रोजेक्टों में दिल्ली के हिस्से का पैसा देने पर तब तक सहमति नहीं जताई जब तक सुप्रीम कोर्ट ने उसे फटकार लगाते हुए बचने के सारे दरवाजे बंद नहीं कर दिए। मनोहर लाल के केंद्रीय शहरी कार्य मंत्री बनने के बाद से बाकी दोनों कारिडोर पर काम तेज हुआ है।

    पार्वती-कालीसिंध नदी जोड़ो परियोजना के लिए समझौता

    समान दल की सरकारों के सहयोग का दूसरा उदाहरण मध्य प्रदेश और राजस्थान की भाजपा सरकारों के बीच पार्वती-कालीसिंध नदी जोड़ो परियोजना के लिए समझौता हो जाना भी है। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ अर्बन अफेयर्स के पूर्व प्रमुख हितेश वैद्य ने कहा कि एनसीआर के लिए बहुत बड़ा संकट बन चुके प्रदूषण की रोकथाम एनसीआर से जुड़े राज्यों के बीच सहयोग का सबसे पहला बिंदु बनना चाहिए।

    इसका कारण पंजाब में पराली का जलना भी है, जहां आम आदमी पार्टी की ही सरकार है, लेकिन चार राज्य अपने स्तर पर इसका समाधान निकाल सकते हैं। बेशक इनके बीच सहमति और सुधार की इच्छाशक्ति का विषय शहरी परिवहन भी बनना चाहिए। यह लोगों की समस्याएं हल करने के साथ ही रोजगार के नए अवसर भी खोल सकता है।

    क्षेत्रीय विकास का नया फ्रेमवर्क बने

    अगर मुख्यमंत्रियों की कोई परिषद बनती है तो वे साझा परिवहन, पर्यटन, आर्थिक विकास और शहरी नियोजन का न्यूनतम कार्यक्रम तय कर सकती है। उदाहरण के लिए अब पर्यटन के लिहाज से दिल्ली, आगरा और जयपुर को पैकेज के रूप में देखने की जरूरत है। हितेष वैद्य ने कहा कि एनसीआर के प्लान और डीडीए के मास्टर प्लान 2041 को मिलाकर क्षेत्रीय विकास का नया फ्रेमवर्क बनाने पर विचार किया जाना चाहिए।

    क्षेत्रीय इकाई के गठन की दरकार

    शहरी कार्य मंत्रालय इसका संरक्षक हो सकता है। वैद्य ने केशव वर्मा की अध्यक्षता वाली समिति की इस सिफारिश के अमल पर भी जोर दिया कि महानगरीय विकास के लिए एक बड़ी क्षेत्रीय इकाई के गठन की जरूरत है ताकि उससे सटे इलाके भी उसी अनुपात में विकसित हो सकें और महानगरों में आबादी का दबाव कम हो।

    यमुना की सफाई में अब कोई बाधा नहीं

    शहरी नीतियों के विशेषज्ञ संतोष नरगुंड ने कहा

    यह मौका प्रशासनिक ढंग से ही एनसीआर में सुधार की शुरुआत का है। यमुना की सफाई में अब कोई बाधा नहीं है, दिल्ली में कूड़े के पहाड़ खत्म करने में राजनीतिक विरोध की कोई अड़चन नहीं है। अगर सभी राज्यों की भाजपा सरकारें ठान लें तो अगले दो साल में एनसीआर एक आदर्श क्षेत्र के रूप में विकसित हो सकता है।