Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    DATA STORY: सर्दियों में उत्तर भारतीय शहरों में दक्षिणी राज्यों के शहरों के मुकाबले तीन गुना अधिक प्रदूषण, दिल्ली-NCR सबसे बेहाल

    By Vineet SharanEdited By:
    Updated: Thu, 25 Feb 2021 10:27 AM (IST)

    रिपोर्ट के अनुसार सर्दियों के मौसम में इंवर्जन और ठंड की वजह से रोजाना के प्रदूषण में बढ़ावा होता है। इसकी वजह से इंडो-गैंगेटिक प्लेन सबसे अधिक प्रभावित होता है। 2020 में पीएम 2.5 गर्मियों और मानसून के समय कम था। इसकी वजह लॉकडाउन था।

    Hero Image
    सर्दियों में जिन 99 शहरों का आकलन किया गया, उनमें से 43 शहरों में पीएम 2.5 का स्तर खराब रहा।

    नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। सर्दियों के मौसम में दक्षिण भारत के शहरों के मुकाबले उत्तर भारत के शहरों में प्रदूषण अधिक पाया गया। औसत आधार पर देखा जाए तो उत्तर भारत के शहरों में दक्षिण भारत के शहरों के मुकाबले तीन गुना अधिक प्रदूषण पाया गया। यह खुलासा सेंटर फॉर साइंस एंड इन्वायरमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट में हुआ है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रिपोर्ट के अनुसार, सर्दियों के मौसम में इंवर्जन और ठंड की वजह से रोजाना के प्रदूषण में बढ़ावा होता है। इसकी वजह से इंडो-गैंगेटिक प्लेन सबसे अधिक प्रभावित होता है। 2020 में पीएम 2.5 गर्मियों और मानसून के समय कम था। इसकी वजह लॉकडाउन था। पर सर्दियों में पीएम 2.5 प्रदूषण 2019 के मुकाबले देश के कई शहरों में अधिक रहा। सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी का कहना है कि लॉकडाउन के बाद प्रदूषण की वापसी चिंताजनक है। ऐसे में गाड़ियों, इंडस्ट्री, पावर प्लांट और कूड़ा जलाने आदि से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगानी होगी।

    इन सर्दियों में जिन 99 शहरों का आकलन किया गया, उनमें से 43 शहरों में पीएम 2.5 का स्तर खराब रहा। इसकी तुलना पिछली सर्दियों (अक्टूबर से जनवरी) से की गई है। इन शहरों में ज्यादातर टियर-वन या छोटे शहर शामिल हैं। इनमें गुरुग्राम, लखनऊ, जयपुर, विशाखापट्टनम, आगरा, नवी मुंबई और जोधपुर शामिल हैं। बड़े शहरों में केवल कोलकाता शामिल है। पिछली सर्दियों के मुकाबले इन सर्दियों में केवल 19 शहर ऐसे पाए गए, जहां की हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इनमें चैन्नई भी शामिल हैं। जबकि 37 शहरों में हवा की गुणवत्ता में कोई खास बदलाव नहीं देखा गया। सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में 2020-21 के सर्दी के सीजन में औसत पीएम2.5 218 माइक्रोग्राम घन मीटर रहा, जो 2019-20 के मुकाबले 6 फीसदी था। हालांकि, यहां सीजन का पीक स्तर 529 माइक्रोग्राम घन मीटर रिकॉर्ड किया गया। जबकि बुलंदशहर में 195 माइक्रोग्राम घन मीटर रहा, जो पिछली सर्दियों के मुकाबले 32 फीसदी अधिक था।

    इन शहरों में रहा स्थायी ट्रेंड : उत्तरी भारत में 15 शहर ऐसे रहे जिनमें ट्रेंड स्थायी रहा। यहां पर बीते सर्दियों के मुकाबले 8 फीसदी प्रदूषण के स्तर में बदलाव हुआ। ये शहर फरीदाबाद, वाराणसी, जालंधर, खन्ना, नोएडा, अंबाला, पटियाला, अमृतसर, रूपनगर, गाजियाबाद, नरनौल, दिल्ली, मुरादाबाद, ग्रेटर नोएडा और कानपुर हैं।

    इन शहरों में बढ़ा प्रदूषण : उत्तर भारत के 26 शहर ऐसे हैं, जहां प्रदूषण का स्तर पिछली सर्दियों के मुकाबले आठ फीसदी बढ़ा। हरियाणा के फतेहाबाद में 228 फीसदी औसतन सीजनल बढ़ोतरी हुई। इसके बाद आगरा में 2019 की सर्दियों के मुकाबले 2020 में 87 फीसदी बढ़ा। इसके अलावा बागपत, लुधियाना, गुरुग्राम, कुरुक्षेत्र, हिसार, मेरठ, भटिंडा, यमुना नगर, जींद, मानेसर, लखनऊ, लखनऊ, रोहतक, अलवर, भिवंडी, बुलंदशहर, पंचकुला, कैथल, धारूहेड़ा और सोनीपत में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई। मध्य और पश्चिमी भारत के 32 शहरों में प्रदूषण का विश्लेषण किया गया। पिछली सर्दियों के मुकाबले इस सर्दी में पीएम2.5 के औसत स्तर में सबसे अधिक 122 फीसदी सागर में रिकॉर्ड किया गया। हालांकि यहां पीएम2.5 का स्तर 53 माइक्रोग्राम घन मीटर था।

    इन शहरों में कम हुआ प्रदूषण : उत्तर भारत के 12 शहरों में प्रदूषण के स्तर में कमी देखने में आई। 2019 की सर्दियों के मुकाबले इसमें आठ फीसदी की कमी आई। हरियाणा के भिवानी और पलवल में प्रदूषण के स्तर में काफी कमी देखी गई। सीजनल इसमें 60 फीसदी की कमी आई। इसके अलावा पानीपत, हापुड़, मंडीखेड़ा, करनाल, बल्लभगढ़, सिरसा, चंडीगढ़ और मंडी गोविंदगढ़ में प्रदूषण के स्तर में कमी आई।

    प्रदूषण ने लीली इतनी जिंदगी

    दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर में वायु प्रदूषण भयावह रूप लेता जा रहा है। हर प्रयास के बावजूद दमघोंटू हवा जिंदगियां लील रही है। आलम यह है कि वर्ष 2019 में देश के विभिन्न हिस्सों से 16.7 लाख लोग असमय काल के ग्रास बने। इनमें आधी से अधिक मौतें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में दर्ज की गई हैं। अकेले दिल्ली में ही 17,248 लोगों ने वायु प्रदूषण से दम तोड़ दिया। चौंकाने वाले ये तथ्य सामने आए हैं सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की वार्षिक रिपोर्ट स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट 2021 से। यह रिपोर्ट बताती है कि इतनी अधिक संख्या में हुई इन मौतों से देश की अर्थव्यवस्था को भी 36,803 अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है। यह नुकसान देश की जीडीपी के 1.36 फीसद के बराबर है।