दार्जिलिंग में भारी वर्षा से तबाही, भूस्खलन और पुल ढहने से अब तक 30 की मौत; बचाव कार्य जारी
उत्तर बंगाल में भारी बारिश और भूस्खलन से दार्जिलिंग मिरिक और डुवार्स में भारी तबाही हुई है। 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई है जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। दार्जिलिंग और कालिम्पोंग में रेड अलर्ट जारी किया गया है। भूटान द्वारा हाइड्रोपावर डैम से पानी छोड़े जाने से स्थिति और बिगड़ने की आशंका है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा की है।

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी। कोलकाता के बाद उत्तर बंगाल में बादल कहर बनकर टूटे। शनिवार देर रात से शुरू हुई मूसलधार वर्षा ने दार्जिलिंग, मिरिक और डुवार्स के बड़े हिस्से में भारी तबाही मचाई। लगातार 12 घंटों में 300 मिमी से अधिक वर्षा से कई स्थानों पर भूस्खलन हुआ, घर बह गए और नदियां उफान पर आ गईं। अब तक 30 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिनमें कई बच्चे भी शामिल हैं।
दार्जिलिंग जिले में 20 लोगों की मौत हुई, जबकि सीमा पर नेपाल के गांवों और जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा में पांच-पांच लोग मारे गए। मौसम विभाग ने दार्जिलिंग और कालिम्पोंग जिलों के लिए सोमवार तक रेड अलर्ट जारी किया है। चेताया है कि पहाड़ी इलाकों में मिट्टी ढीली होने के कारण भूस्खलन हो सकते हैं।
भूटान ने अपने हाइड्रोपावर डैम से पानी छोड़ा
उधर, भूटान ने अपने हाइड्रोपावर डैम से पानी छोड़े जाने की सूचना दी है, जिससे अलीपुरदुआर, कूचबिहार और मालदा जिलों में स्थिति बिगड़ने की आशंका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घटना पर दुख जताया और शोक संतप्त परिवारों के प्रति मेरी संवेदना व्यक्त की है।
अगले 24 घंटे तक और बिगड़ सकते हैं हालात
दार्जिलिंग, मिरिक और कालिम्पोंग में रविवार देर रात तक लगातार वर्षा जारी थी। दार्जिलिंग में 261 मिमी, गाजोलडोबा में 302.0 और मालबाजार में 233 मिमी वर्षा दर्ज की गई। तीस्ता नदी के किनारे बसे गांवों को खाली कराया जा रहा है। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटे तक हालात और बिगड़ सकते हैं।
आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा कि भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण सड़क संपर्क बहाल करने में समय लग सकता है। सबसे ज्यादा तबाही मिरिक मेंदार्जिलिंग जिले का मिरिक प्रखंड में भूस्खलन से 11 लोगों की मौत हुई और कई घर मलबे में दब गए। दुधिया ब्रिज टूटने से सिलीगुड़ी-मिरिक मार्ग पूरी तरह बाधित है।
प्रशासन की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में जुटीं
दार्जिलिंग उपमंडल के सुखियापोखरी और बिजनबाड़ी इलाकों में सात और लोगों की जान गई है। कई लोग अब भी लापता हैं। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और स्थानीय प्रशासन की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में लगी हैं। उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने बताया कि स्थिति बेहद गंभीर है। राहत कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है, लेकिन लगातार वर्षा से दिक्कत आ रही है।
40 लोगों से अधिक को बचाया गया
दार्जिलिंग के एसडीओ रिचर्ड लेपचा ने कहा कि एनडीआरएफ और पुलिस के संयुक्त प्रयास से कई लोगों को मलबे से जिंदा निकाला गया है। एनडीआरएफ के अनुसार, धरगांव और नगराकाटा क्षेत्रों से 40 से अधिक लोगों को बचाया गया है। पर्यटक फंसे, सड़क संपर्क टूटादुर्गापूजा की छुट्टियों में बड़ी संख्या में कोलकाता और अन्य जिलों से आए सैकड़ों पर्यटक दार्जिलिंग, घूम, लेपचाजगत और मिरिक में फंसे हुए हैं। मिरिक-सुखियापोखरी रोड और एनएच-10 पर भूस्खलन के कारण यातायात पूरी तरह ठप है।
पर्यटकों की सुरक्षा के लिए नार्थ बंगाल स्टेट ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (एनबीएसटीसी) ने विशेष बस सेवाएं शुरू की हैं। जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा में बामनडांगा चाय बागान के माडल गांव में तेज बहाव में पांच लोगों की मौत हुई, जिनमें दो माह की बच्ची भी शामिल है। साढ़े पांच घंटे में 325 मिमी से अधिक वर्षा होने से पूरा गांव जलमग्न हो गया। कई पुल और सड़कें बह गईं।
रेल लाइन में पानी भरने से कई ट्रेनें रद
उधर, भूटान की ओर लगातार वर्षा के कारण डायना, गाठिया, सुखानी झोरा और तीस्ता नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। भूटान सरकार ने अपने हाइड्रो डैम का पानी छोड़े जाने को लेकर अलर्ट जारी किया है। इससे अलीपुरदुआर और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। अलीपुरदुआर में रेल लाइन पर पानी चढ़ने से कई ट्रेनें रद करनी पड़ी हैं, जबकि कुछ का मार्ग बदला गया है।
मुख्यमंत्री ममता ने की मुआवजे की घोषणा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मृतकों के स्वजन को सरकारी मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। कहा कि यह एक प्राकृतिक आपदा है। हजारों पर्यटक फंसे हैं, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं। होटल मालिकों से अनुरोध है कि वे ज्यादा शुल्क न लें। राज्य सरकार सभी को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने की जिम्मेदारी लेगी।
बंगाल की खाड़ी में बने दबाव से हो रही वर्षा
मौसम विज्ञान केंद्र, गंगटोक के निदेशक गोपीनाथ राहा ने कहा कि बंगाल की खाड़ी में 30 सितंबर को एक गहरा दबाव क्षेत्र विकसित हुआ था। ये सिस्टम धीरे-धीरे उत्तर-उत्तर पश्चिम दिशा में बढ़ा। इसने 4-5 दिनों में उत्तर बंगाल तक पहुंच बना ली। रास्ते में यह मानसूनी हवाओं और पश्चिमी उत्तर-पश्चिमी धाराओं के प्रभाव में और भी नमी इकट्ठा करता गया।
जब यह दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी क्षेत्रों के पास पहुंचा, तो यहां की पहाडि़यों पर टकराने के कारण बहुत तेज वर्षा हुई। पहाड़ी इलाकों में हवा के ऊपर उठने और ठंडी होने से बादल और भारी वर्षा पैदा होती है, यही कारण है कि 4 अक्टूबर की रात इतनी भयंकर बारिश हुई। छह अक्टूबर तक यह स्थिति रहने की आशंका है।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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