अब टैक्सी बुक करते समय अचानक नहीं बढ़ेगा किराया, सरकार के इस धांसू कदम से Ola-Uber को लगेगा तगड़ा झटका
भारत में अब टैक्सी बुकिंग के दौरान सर्ज प्राइसिंग का सामना नहीं करना पड़ेगा। सहकारिता मंत्रालय द्वारा समर्थित भारत टैक्सी सेवा शुरू हो रही है, जो ड्राइवरों और यात्रियों के बीच विश्वास बनाएगी। यह सेवा दिल्ली से शुरू होगी और बाद में अन्य शहरों में भी उपलब्ध होगी। इसमें ड्राइवरों को कंपनी में हिस्सेदारी मिलेगी और उन्हें राइड का पूरा पैसा मिलेगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी।

भारत टैक्सी देगी सर्ज प्राइसिंग से मुक्ति
जागरण, नई दिल्ली। टैक्सी बुकिंग के समय अचानक बढ़े हुए किराया यानी 'सर्ज प्राइसिंग' का झटका अब यात्रियों को नहीं लगेगा। नवंबर से सड़कों पर दौड़ने जा रही भारत टैक्सी इस खेल पर विराम लगा देगी। यह देश की पहली सहकारी टैक्सी सेवा होगी, जिसे सहकारिता मंत्रालय एवं नेशनल ईगवर्नेंस डिवीजन के सहयोग से विकसित किया गया है।
सहकार टैक्सी कोआपरेटिव लिमिटेड द्वारा संचालित यह सेवा ड्राइवरों और यात्रियों के बीच भरोसे का नया पुल बना सकती है। इसके लिए अभी तक दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के 614 टैक्सी ड्राइवरों ने पंजीकरण कराया है। नवंबर में पायलट के रूप में दिल्ली से शुरुआत होगी, जिसमें 650 ड्राइवर-मालिक शामिल होंगे। दिसंबर से अहमदाबाद एवं मुंबई तक विस्तार करने की तैयारी है। सब ठीक रहा तो फरवरी 2026 तक इसे राष्ट्रीय सहकार टैक्सी नेटवर्क का दर्जा मिल सकता है।
“नो सर्ज प्राइसिंग'' प्रणाली के चलते किराया अचानक नहीं बढ़ेगा
ओला या उबर जैसी निजी कंपनियां मांग बढ़ने पर किराया कई गुना तक बढ़ा देती हैं। यात्री उसी दूरी और समय के लिए अलग-अलग रकम चुकाते हैं, जबकि ड्राइवरों को बहुत कम लाभ मिलता है। भारत टैक्सी इस माडल को खत्म करते हुए न्यूनतम किराये का फार्मूला लागू करेगी। किराया पारदर्शी और डिजिटल प्लेटफार्म पर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होगा।
ऐप आधारित बुकिंग प्लेटफार्म का टेस्ट रन जारी
किराया निर्धारण, भुगतान प्रणाली और ग्राहक सेवा के हर पहलू को सहकारी ढांचे में ढाला जा रहा है। किराया भुगतान के लिए यूपीआई और सहकारी बैंकों से साझेदारी पर काम चल रहा है। भारत टैक्सी का ऐप नवंबर 2025 के अंत तक प्ले स्टोर और ऐप स्टोर दोनों पर उपलब्ध होगा, जो हिंदी, गुजराती, मराठी एवं अंग्रेजी में सेवाएं देगा। सहकारिता मंत्रालय के अनुसार भारत टैक्सी का माडल ओला-उबर जैसी कंपनियों से अलग है। प्रत्येक ड्राइवर को सदस्यता पूंजी (शेयर कैपिटल) के रूप में छोटी हिस्सेदारी मिलेगी।
यानी टैक्सी चालक ही कंपनी का मालिक रहेगा। उसे सारथी कहा जाएगा, जो इस सहकारी संस्था का सदस्य होगा। हर राइड से सौ प्रतिशत कमाई होगी। मामूली सदस्यता शुल्क देना होगा। कोई कमीशन भी नहीं कटेगा। सरकार का उद्देश्य इस पहल के जरिए ड्राइवरों की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करना और देशी डिजिटल प्लेटफार्म को मजबूत बनाना है। अगले साल तक इसे देश के दस बड़े शहरों में शुरू किया जाएगा। लंबी अवधि में योजना है कि 2030 तक 15 हजार महिला ड्राइवरों को भी इसमें जोड़ा जाएगा। उनके लिए विशेष प्रशिक्षण और बीमा सुविधा की व्यवस्था होगी।
कमीशन राज होगा खत्म
सरकार का मानना है कि कमाई का नियंत्रण उसी के हाथ में हो जो मेहनत करता है। वर्तमान टैक्सी उद्योग में ओला और उबर जैसी कंपनियां 20 से 30 प्रतिशत तक कमीशन काट लेती हैं। ड्राइवरों को इससे आय का बड़ा हिस्सा गंवाना पड़ता है, जबकि यात्रियों को सर्ज प्राइसिंग के कारण ज्यादा किराया देना पड़ता है। प्रयोग सफल हुआ तो भारत टैक्सी न केवल देश के शहरी परिवहन परिदृश्य को बदल देगी, बल्कि सहकारी परिवहन व्यवस्था का वैश्विक उदाहरण बन सकती है। विदेशी ऐप कंपनियों पर निर्भरता घटाएगा। साथ ही आत्मनिर्भर भारत की पहल को भी प्रोत्साहित करेगा।

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