मप्र में जाति विशेष की आबादी के हिसाब से आरक्षण नहीं, राज्य शासन ने हाई कोर्ट में पेश किया आंकड़ा
जनहित याचिका लगाने वाले ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने बताया कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) की राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2019 में आरक्षित श्रेणी के ओबीसी आवेदकों को संशोधित प्रविधान के तहत 27 फीसद आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है।

जबलपुर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व निर्देश के पालन में राज्य शासन की तरफ से जातिगत आंकड़ा पेश कर दिया गया है। इसके मुताबिक, राज्य में 50.09 फीसद यानी आधी आबादी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की है। इसी तरह प्रदेश में अनुसूचित जाति (एससी) की आबादी 15.6 फीसद है। इस वर्ग को 16 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है। आबादी के अनुपात में 0.4 फीसद आरक्षण अधिक मिल रहा है। अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 21.1 फीसद है। इस वर्ग को 20 फीसद आरक्षण मिल रहा है। यानी जनसंख्या के अनुपात में 1.1 फीसद आरक्षण का लाभ कम हासिल हो रहा है। अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 50.09 फीसद के मुकाबले इस वर्ग को पुराने प्रविधान के तहत महज 14 फीसद आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।
यह जानकारी जनहित याचिका लगाने वाले ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दी। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) की राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2019 में आरक्षित श्रेणी के ओबीसी आवेदकों को संशोधित प्रविधान के तहत 27 फीसद आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। इसी रवैये को चुनौती दी गई है। इसी मामले में जारी नोटिस के जवाब में राज्य शासन की ओर से जातिगत आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। ये आंकड़े वर्ष 2011 की जनगणना पर आधारित हैं। कोरोना की वजह से 2021 की जनगणना नहीं हो पाई है।
रामेश्वर ठाकुर के मुताबिक, ओबीसी को संशोधित प्रविधान के तहत 27 फीसद आरक्षण न मिल पाने की सबसे ब़ड़ी वजह सुप्रीम कोर्ट का वह आदेश है, जिसके तहत किसी भी सूरत में आरक्षण 50 फीसद से अधिक नहीं दिया जा सकता। बहरहाल, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने राज्य शासन की जानकारी को रिकॉर्ड पर ले लिया है। आगामी सुनवाई के दौरान आंकड़ो की रोशन में विचार कर आदेश पारित किए जाने की संभावना है।
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