अखिल भारतीय बार परीक्षा परीक्षा शुल्क में नहीं मिलेगी राहत, SC ने खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई) शुल्क में राहत देने से इनकार कर दिया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा 3500 रुपये शुल्क लेने के खिलाफ याचिका खारिज कर दी गई है। अदालत ने कहा कि बीसीआई को परीक्षा आयोजित करने में भारी खर्च आता है और यह शुल्क संविधान का उल्लंघन नहीं है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआइबीई) शुल्क में राहत नहीं मिलेगी। एआईबीई के आयोजन के लिए बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ) द्वारा 3,500 रुपये शुल्क लेने के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दी।
जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि बीसीआइ को परीक्षा आयोजित करने में भारी खर्च करना पड़ता है। शुल्क लेना संविधान के किसी भी प्रविधान का उल्लंघन नहीं है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले अधिवक्ता संयम गांधी की याचिका पर बीसीआइ को नोटिस जारी किया था।
याचिका में फीस वापस करने का अनुरोध
याचिका में दलील दी गयी थी कि बीसीआइ ने सामान्य/अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों से अन्य शुल्कों के अलावा 3,500 रुपये और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति उम्मीदवारों से अन्य शुल्कों के अलावा 2,500 रुपये लिए। याचिका में भविष्य में ऐसी राशि लेने पर रोक लगाने और अखिल भारतीय बार परीक्षा-2025 के लिए आवेदन प्रक्रिया के तहत पहले से ली गई राशि को वापस करने का अनुरोध किया गया था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि वर्तमान शुल्क प्रणाली भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19(1)(जी) (व्यवसाय करने के अधिकार) के साथ-साथ अधिवक्ता अधिनियम का उल्लंघन करती है।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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