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    भारत के लिए नीति निर्धारण में पाक सेना की भूमिका अहम: अब्दुल बासित

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Sun, 09 Oct 2016 11:46 AM (IST)

    अब्‍दुल बासित का कहना है कि भारत के लिए बनने वाली किसी भी पॉलिसी में पाक सेना की अहम भूमिका होगी। एेेसा पहले भी होता आया है। ऐसा भारत भी करता है और अमेरिका भी करता है।

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    नई दिल्ली। भारत में पाकिस्तान के राजदूत अब्दुल बासित ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया है जिसमें यह कहा गया था कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने सेना पर लगाम लगाने की बात कही थी। उन्होंने साफतौर पर कहा है कि इन रिपोर्ट्स को पाकिस्तान पीएम ऑफिस से पहले ही खारिज किया जा चुका है, लिहाजा इस संबंध में अब किसी सवाल-जवाब की जरूरत नहीं रह जाती है। एक अंग्रेजी अखबार काेे दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्हाेंने यह भी साफ कर दिया कि भारत-अफगानिस्तान और पाकिस्तान की पॉलिसी पाक सेना एक अहम भूमिका निभाती है। इस दौरान उन्होंने कहा कि सेना भारत और अफगानिस्तान के संबंध में सभी जरूरी इनपुट सरकार को देती है, लिहाजा उसकी भूमिका इस दौरान बनने वाली पॉलिसी में भी बेहद अहम होती है।

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    सभी सरकारें करती हैं सेना से विचार

    इस इंटरव्यू में पाक राजदूत ने यह भी कहा कि दोनोंं देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच हुई वार्ता के संबंध में पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जनता द्वारा चुनी गई सरकार के मुखिया हैं। इस नाते फैसला लेने का अधिकार उनके पास है। लेकिन ऐसा नहीं होता है कि वह भारत के संबंध में कोई नीति बनाने या फैसला लेने से पहलेे सेना से विचार विमर्श नहीं करेंगे। ऐसा कहीं भी नहीं होता है। न तो भारत में और न ही अमेरिका में ही ऐसा कभी होता है। अमेरिका भी पेंटागन से विचार कर ही कोई नीति बनाता या फैसला लेता है। उनका कहना था कि पीएम नवाज ने देश में मौजूद आतंकियों पर नकेल कसने की बात की है।

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    सर्जिकल स्ट्राइक से इंकार

    पीओके में भारतीय कमांडो द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक से बार-बार इंकार करने के सवाल पर बासित का कहना था कि यदि भारत क्रॉस बॉर्डर फायरिंग को ही सर्जिकल स्ट्राइक कहता है तो ठीक है, हम उसको नहीं रोंकेंगे। लेकिन यह साफ कर दें कि इस तरह का कुछ नहीं हुआ है। उनका कहना था कि यदि ऐसा कुछ भी होता तो पाकिस्तानी सेना भी उसका पूरा जवाब देती, इसके लिए हमें किसी भी तरह की तैयारी करने की जरूरत नहीं थी। लेकिन यहां पर इस तरह की बातें करना इसलिए गैरवाजिब है क्योंकिे दोनों ही देशों के बीच मौजूदा समय में संबंध बेहद निचले दर्जे पर पहुंच गए हैं। लिहाजा इस तरह का खतरा नहीं लेना ही समझदारी होगी।

    उड़ी हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच की वकालत

    बासित ने कहा कि यहां यह भी जरूरी है कि झूठी उम्मीदें पाल कर न रखी जाएं। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक को केवल क्रॉस बॉर्डर फायरिंग बताया और कहा कि इसमेंं पाक सेना के दो जवान मारे गए थे। इस दौरान उन्होंने उड़ी हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच कराने की भी बात कही। उनका कहना था कि भारत पाकिस्तान पर इस हमले को लेकर झूठा आरोप लगा रहा है।

    भारत का वो दबाव जब पाक को कहना पड़ा जंग किसी समस्या का हल नहीं

    2005 के करार के मुताबिक आगे बढ़ने को तैयार

    दोनों देशों के बीच वार्ता शुरू करने को लेकर पाक राजदूत ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और तत्कालीन पाक विदेश मंत्री के बीच वर्ष 2005 में इस्लामाबाद में एक समझौता हुआ था। यह करार दोनों देशों के बीच वार्ता के मुद्दों को लेकर ही किया गया था। लेकिन इस पर आगे नहीं बढ़ा गया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस करार के अंतर्गत आगे बढ़ने को पूरी तरह से तैयार है।