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    'कोविड वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई संबंध नहीं', कर्नाटक की विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कही ये बात

    कर्नाटक के हासन में हाल ही में दिल के दौरे से हुई मौतों की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने भी कहा है कि इन मौतों का कोविड-19 संक्रमण या कोविड टीकों के बीच कोई संबंध नहीं है और बताया कोविड-19 के टीके लंबे समय में हृदय संबंधी बीमारियां से बचाते हैं। सीएम सिद्दरमैया ने दिल के दौरे से होने वाली मौतों को कोरोना रोधी वैक्सीन से जोड़ा था।

    By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 06 Jul 2025 07:01 AM (IST)
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    'कोविड वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई संबंध नहीं'- कर्नाटक की विशेषज्ञ समिति (सांकेतिक तस्वीर)

     पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक के हासन में हाल ही में दिल के दौरे से हुई मौतों की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने भी कहा है कि इन मौतों का कोविड-19 संक्रमण या कोविड टीकों के बीच कोई संबंध नहीं है। रिपोर्ट में यहां तक कहा गया है कि कोविड-19 के टीके लंबे समय में हृदय संबंधी बीमारियां से बचाते हैं।

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    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय जारी किया था बयान

    इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा था कि कोरोना रोधी वैक्सीन और दिल के रोगों से मौतों के बीच कोई संबंध नहीं है। राज्य सरकार ने यह समिति हासन जिले में दिल के दौरे से 20 से अधिक लोगों की मौतों की जांच के लिए जयदेव हृदय विज्ञान और अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. रविद्रनाथ की अध्यक्षता में बनाई थी।

    कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने उठाए थे सवाल

    गौरतलब है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने दिल के दौरे से होने वाली मौतों को कोरोना रोधी वैक्सीन से जोड़ा था। उन्होंने कहा था कि कोरोनारोधी वैक्सीन को जनता के लिए जल्दबाजी में मंजूरी देना और इन्हें लोगों को लगाया जाना इन मौतों का एक कारण हो सकता है। उनके बयान की भाजपा और बायोकाॉन की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने तीखी आलोचना की थी।

    युवाओं में दिल के रोगों की वृद्धि के लिए लांग कोविड जिम्मेदार

    समिति ने दो जुलाई को सरकार को पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान डाटा के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि युवाओं में दिल के रोगों की वृद्धि के लिए लांग कोविड जिम्मेदार है।

    लांग कोविड जिसे पोस्ट-कोविड के रूप में भी जाना जाता है, स्वास्थ्य समस्याओं को संदर्भित करता है जो प्रारंभिक कोविड-19 संक्रमण के बाद बनी रह सकती है या विकसित हो सकती है। ये लक्षण हफ्तों, महीनों या सालों तक रह सकते हैं।

    हृदय रोग और कोविड वैक्सीनेशन के बीच कोई संबंध नहीं

    रिपोर्ट में कहा गया है, अध्ययन में समय से पहले होने वाले हृदय रोग और कोविड-19 संक्रमण या कोविड वैक्सीनेशन के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया।

    दुनिया के अन्य हिस्सों में प्रकाशित अधिकांश अध्ययन/रिपोर्टों ने भी कोविड वैक्सीनेशन और अचानक हृदय संबंधी घटनाओं के बीच कोई संबंध नहीं पाया है। इसके विपरीत, कोविड वैक्सीनेशन को लंबे समय में हृदय संबंधी घटनाओं के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने वाला पाया गया है।

    रिपोर्ट के अनुसार, दिल के रोगों से होने वाली मौतों में अचानक वृद्धि के पीछे कोई एक कारण नहीं है। इसके कई कारण है, जिसमें व्यावहारिक, आनुवंशिक और पर्यावरणीय जोखिम शामिल हैं। कोविड के तुरंत बाद अचानक हृदय संबंधी समस्याओं में वृद्धि होती है, लेकिन इसे लंबे समय में (एक वर्ष से कम) सही नहीं ठहराया जा सकता। महामारी के समाप्त होने के तीन वर्ष हो चुके हैं।

    अधिकांश मरीजों में मिले हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज

    रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, डिस्लिपिडेमिया और धूमपान जैसे पारंपरिक जोखिम कारक अधिकांश मरीजों में पाया गया, लेकिन कुछ मरीजों में इनमें से कोई कारण नहीं पाया गया। इससे नए या कम पहचाने गए तंत्रों की संभावित संलिप्तता का संकेत मिलते हैं।

    समिति ने बहुआयामी सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति की सिफारिश की

    समिति ने यह रिपोर्ट एक अप्रैल, 2025 से 31 मई, 2025 के बीच श्री जयदेव इंस्टीट्यूट आफ कार्डियोवैस्कुलर साइंसेज में हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित 45 वर्ष से कम आयु के 251 मरीजों का अवलोकन करने के बाद तैयार किया। समिति ने बहुआयामी सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीति की सिफारिश की है।