महिला एसएससी अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने में कोई भेदभाव नहीं, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिया जबाव
केंद्र और सेना की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि स्थायी कमीशन देने में नीतिगत निर्णय का पालन किया जा रहा है। याचिका दायर करने वाली महिला अधिकारियों के तर्कों का जवाब देते हुए भाटी ने कहा कि अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) लैंगिक रूप से तटस्थ होती है और उसमें भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं होती।

पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया कि शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के जरिये सेना में शामिल महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने में पुरुष समकक्षों की तुलना में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है। इस संबंध में सभी मापदंडों का उचित पालन किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में कहा, इस संबंध में सभी मापदंडों का किया जा रहा पालन
केंद्र और सेना की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ को बताया कि स्थायी कमीशन देने में नीतिगत निर्णय का पालन किया जा रहा है।
याचिका दायर करने वाली महिला अधिकारियों के तर्कों का जवाब देते हुए भाटी ने कहा कि अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) लैंगिक रूप से तटस्थ होती है और उसमें भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं होती।
पीठ ने भाटी से कही ये बात
पीठ ने भाटी से कहा कि महिला अधिकारियों के मन में यह विचार नहीं आना चाहिए कि स्थायी कमीशन के लिए उनके नाम पर विचार नहीं किया जाएगा। भाटी ने कहा कि ऐसी धारणा बनाई गई, लेकिन 1991 से आंकड़े बताते हैं कि महिला अधिकारियों के साथ उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में कोई भेदभाव नहीं किया गया। सेना में बहुत सख्त नियमों का पालन किया जाता है और चयन बोर्ड के पास अधिकारी का नाम नहीं होता है।
महिला अधिकारियों की एसीआर में 'मानदंड नियुक्ति' या मुश्किल क्षेत्र में तैनाती को नहीं मानने के तर्क पर भाटी ने कहा कि ऐसी नियुक्तियां महत्वहीन थीं और एसीआर में अधिकारियों को औसत अंक दिए गए थे। स्थायी कमीशन देने में एसीआर के कई पहलुओं को देखा जाता है।
'मानदंड नियुक्ति' एकमात्र मानदंड नहीं है
'मानदंड नियुक्ति' एकमात्र मानदंड नहीं है। महिला अधिकारियों का तर्क था कि मुश्किल क्षेत्रों में तैनाती और गलवन, बालाकोट व ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में भाग लेने के बावजूद उन्हें स्थायी कमीशन नहीं दिया गया। 'मानदंड नियुक्ति' का मतलब आमतौर पर ऐसे अधिकारी से होता है जिसे कठिन और शत्रुतापूर्ण क्षेत्र में किसी पोस्ट की कमान दी जाती है।
भाटी ने कहा कि अच्छे अधिकारियों की कमी है और 250 अधिकारियों की सीमा का उल्लेख किया, जिन्हें एसएससी बैच के अधिकारियों से मेरिट के आधार पर स्थायी कमीशन दिया जाता है। पीठ ने कहा कि यह पालिसी दोषपूर्ण लगती है।
भाटी की दलीलें गुरुवार को जारी रहेंगी
साथ ही कहा कि 'बहुत होनहार' अधिकारियों के एक बैच में 80 अंक वाले कुछ एसएससी अधिकारियों का चयन किया जा सकता है, जबकि दूसरे बैच में 65 अंक वाले अधिकारी भी चुने जा सकते हैं। भाटी की दलीलें गुरुवार को जारी रहेंगी।
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