हेरात में अगवा भारतीय का अब तक पता नहीं
अफगानिस्तान के हेरात में अगवा भारतीय प्रेम कुमार का अभी तक न तो सुराग मिल पाया है और न ही किसी आतंकी गुट ने घटना की जिम्मेदारी ही ली है। हेरात में वाणिज्य दूतावास पर हमले के एक हफ्ते बाद हुई इस घटना को भारत पर दबाव बनाने की साजिश के रूप में भी देखा जा रहा है। गैर सरकारी संगठन से जुड़े प्रेम कुमार का अज्ञात बंदूकधारियों ने सोमवार को हेरात से 25 किमी दूर सोहादत गांव से अपहरण कर लिया था।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अफगानिस्तान के हेरात में अगवा भारतीय प्रेम कुमार का अभी तक न तो सुराग मिल पाया है और न ही किसी आतंकी गुट ने घटना की जिम्मेदारी ही ली है। हेरात में वाणिज्य दूतावास पर हमले के एक हफ्ते बाद हुई इस घटना को भारत पर दबाव बनाने की साजिश के रूप में भी देखा जा रहा है। गैर सरकारी संगठन से जुड़े प्रेम कुमार का अज्ञात बंदूकधारियों ने सोमवार को हेरात से 25 किमी दूर सोहादत गांव से अपहरण कर लिया था।
हेरात में पहले भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला और भारतीय नागरिक के इस अपहरण ने नई सरकार पर दबाव बनाने को लेकर रची जा रही साजिशों के संकेत गहरा दिए हैं। महत्वपूर्ण है कि 26 मई को नरेंद्र मोदी सरकार के शपथ ग्रहण से पहले 24 मई को भारतीय दूतावास पर हुए हमले में आतंकी कर्मचारियों को बंधक बनाने की साजिश रचकर आए थे। हालांकि, सुरक्षा बलों ने यह हमले को नाकाम करते हुए चारों आतंकियों को मार गिराया था। अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई वाणिज्य दूतावास पर हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका पर अंगुली उठा चुके हैं।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक प्रेम कुमार की तलाश को लेकर भारत विभिन्न स्तर पर सक्रिय है। इसी क्रम में काबुल स्थित दूतावास और हेरात स्थित वाणिज्य दूतावास अफगान एजेंसियों के संपर्क में हैं। अभी तक अफगान पुलिस ने 47 वर्षीय प्रेम कुमार की तलाश से जुड़ा ठोस सुराग भारत के साथ साझा नहीं किया है।
इस बीच, विदेश मंत्रालय ने इस बात का खंडन किया है कि अपहृत का भारतीय दूतावास से कोई संबंध है। तमिलनाडु के मूल निवासी प्रेम कुमार शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाले जेसुइट रिफ्यूजी सर्विस नामक एनजीओ से जुड़े थे। एनजीओ के निदेशक पद पर प्रेम कुमार बीते तीन सालों से अफगानिस्तान में थे।
अफगानिस्तान में भारतीय प्रतिष्ठानों की बढ़ी सुरक्षा
नई दिल्ली। अफगानिस्तान के हेरात में बने भारतीय वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गई है। आइटीबीपी के प्रमुख सुभाष गोस्वामी ने बताया कि काबुल स्थित दूतावास के अलावा हेरात, कंधार, जलालाबाद और मजार-ए-शरीफ में बने वाणिज्य दूतावास की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है।