अब सुधरेगी स्वास्थ्य विभाग की स्थिति, निजी मेडिकल कालेज से जिला अस्पतालों को जोड़े जाने का सुझाव
सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने बुधवार को पीपीपी गाइडलाइन दस्तावेजों के तहत समझौते के मसौदे में कहा कि गुजरात और कर्नाटक में ऐसे ही पीपीपी प्रावधान चल ...और पढ़ें

नई दिल्ली, प्रेट्र। चिकित्सकीय शिक्षा में उच्च शिक्षा प्राप्त डॉक्टरों की कमी की खाई को पाटने के लिए नीति आयोग ने पीपीपी (Public-Private Partnership Model) अपनाने का सुझाव दिया है। इसके जरिये नए या मौजूदा निजी मेडिकल कालेजों को जिला अस्पतालों के साथ मिल-जुल कर काम करेगा ताकि जिला अस्पताल में मेडिकल की सीटें बढ़ जाएं।
गुजरात और कर्नाटक में पहले से ही है पीपीपी प्रावधान
सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने बुधवार को पीपीपी गाइडलाइन दस्तावेजों के तहत समझौते के मसौदे में कहा कि गुजरात और कर्नाटक में ऐसे ही पीपीपी प्रावधान चलन में हैं। भारत में क्वालिफाइड डॉक्टरों की खासी कमी है। इसलिए व्यवहारिक रूप से केंद्र व राज्य सरकारों को चिकित्सकीय शिक्षा में आई खाई को मौजूदा संसाधनों और धन से नहीं पाटा जा सकता है।
बढ़ेंगी मेडिकल की सीटें
दस्तावेज में कहा गया है कि इससे ना सिर्फ मेडिकल की सीटें ही बढ़ेंगी बल्कि चिकित्सा शिक्षा की कीमतों में भी तार्किक कमी आएगी। इसमें सुझाव दिया गया है कि जिला अस्पतालों से संबद्ध मेडिकल कालेजों में हर साल 150 एमबीबीएस स्टूडेंट्स का दाखिला हो सकेगा। मुफ्त इलाज वाले मरीजों से दस रुपये की रजिस्ट्रेशन फीस लेने का भी सुझाव दिया गया है।

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