सिक्किम और त्रिपुरा के सभी जिले विकास की दौड़ में आगे, नीति आयोग ने जारी किए उत्तर-पूर्व के सतत विकास के आंकड़े
सतत विकास के मानदंडों (एसडीजी) को प्राप्त करने में पूर्व सिक्किम जिला शिखर पर रहा है। जबकि नगालैंड का किफायर सबसे नीचे। सिक्किम और त्रिपुरा के सभी जिलों ने विकास के मानदंडों पर बेहतर प्रदर्शन किया है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

नई दिल्ली, पीटीआइ। सतत विकास के मानदंडों (एसडीजी) को प्राप्त करने में पूर्व सिक्किम जिला शिखर पर रहा है। जबकि नगालैंड का किफायर सबसे नीचे। सिक्किम और त्रिपुरा के सभी जिलों ने विकास के मानदंडों पर बेहतर प्रदर्शन किया है। यह बात नीति आयोग की उत्तर-पूर्वी इलाके की क्षेत्रवार एसडीजी इंडेक्स रिपोर्ट 2021-22 में कही गई है। यह रिपोर्ट उत्तर-पूर्वी विकास मंत्रालय के साथ मिलकर तैयार की गई है।
यह रिपोर्ट उत्तर-पूर्व के आठ राज्यों- असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के जिलों में सतत विकास के मानदंडों पर आधारित है। सिक्किम का पूर्व सिक्किम जिला 75.87 अंकों के साथ शिखर पर रहा है। इसके बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर गोमती और उत्तर त्रिपुरा जिले हैं। उत्तर-पूर्वी प्रदेशों के कुल 103 जिलों में सतत विकास के मानदंडों की समीक्षा की गई है। इनमें से 64 जिले अग्रणी माने गए हैं जबकि 39 का प्रदर्शन औसत से कम रहा है।
सिक्किम और त्रिपुरा के सभी जिले अग्रणी श्रेणी में हैं। इन सभी ने विकास के सभी मानदंडों को काफी हद तक पूरा किया है। एसडीजी इंडेक्स रिपोर्ट जिन बिंदुओं पर तैयार की गई है उनमें वन भूमि बनाए रखते हुए विकास, निष्प्रयोज्य भूमि, वन्य जीव संरक्षण, स्वच्छ जल, शौचालय, भूख, गरीबी आदि हैं।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से के जिलों में एसडीजी इंडेक्स हमारी विकास यात्रा के महत्वपूर्ण अंग हैं। ये विकास की योजनाओं के क्रियान्वयन और उनके आमजन पर होने वाले असर को दर्शाते हैं।
केंद्रीय उत्तर-पूर्व मामलों, पर्यटन और सांस्कृतिक मामलों के मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि एसडीजी इंडेक्स विकास के सुबूत हैं। इनसे संतुलित विकास की झलक मिलती है। इनसे पता चलता है कि समाज के सभी वर्गो को विकास का लाभ मिल रहा है। जो इलाके विकास में पिछड़ रहे हैं। उनके हालात की समीक्षा कर पिछड़ेपन के कारणों को दूर किया जाएगा।
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