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    कौन हैं SC के पूर्व जस्टिस दीपक वर्मा, क्या उनकी गवाही आएगी नीरव मोदी के काम? माल्या केस में भी थे गवाह

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 08:46 AM (IST)

    लंदन में नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले में नया मोड़ आया है। पूर्व न्यायाधीश दीपक वर्मा ने मोदी के पक्ष में राय दी है, जिसके आधार पर मोदी ने प्रत्यर्पण मामले को दोबारा खोलने की अपील की है। वर्मा ने कहा कि भारत में उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी। भारत सरकार ने ब्रिटेन को आश्वासन दिया है कि मोदी से सिर्फ मुकदमे के तहत पूछताछ होगी। नीरव मोदी पर पीएनबी से हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है।

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    पूर्व न्यायाधीश के समर्थन से प्रत्यर्पण मामले में नया मोड़ (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लंदन में चल रहे नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले में नया मोड़ आया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस दीपक वर्मा ने नीरव मोदी के पक्ष में एक विशेषज्ञ राय दी है। इसी राय के आधार पर नीरव मोदी ने अपने प्रत्यर्पण मामले को दोबारा खोलने की अपील की है।

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    हिन्दुस्तान टाइम्स ने सूत्रों ने अनुसार बताया कि, वर्मा ने अपने मत में नीरव मोदी की इस दलील का समर्थन किया है कि अगर उसे भारत लाया गया तो कई एजेंसियां उससे पूछताछ करेंगी और उसे भारत की न्यायिक व्यवस्था में निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी।

    दीपक वर्मा की गवाही के बाद भी माल्या की हुई थी हार

    दीपक वर्मा पहले भी लंदन में विजय माल्या के दिवालियापन केस में भारतीय बैंकों के खिलाफ गवाही दे चुके हैं। माल्या उस केस में हार गए थे। एक अधिकारी ने बताया कि विशेषज्ञ गवाह ने हमारी जेल व्यवस्था और न्यायिक प्रणाली पर सवाल उठाए हैं। जब इस पर दीपक वर्मा ने पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मैं चल रहे मामलों पर टिप्पणी नहीं करता।"

    जैसा 19 सितंबर को रिपोर्ट हुआ था, लंदन की वेस्टमिन्सटर कोर्ट ने अगस्त में मोदी की अपील स्वीकार कर ली है और अब इस पर सुनवाई 23 नवंबर को होगी। भारत सरकार ने इस मामले को खत्म करने की मांग करते हुए ब्रिटेन को आश्वासन पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि यदि नीरव मोदी को भारत भेजा गया तो उससे केवल मुकदमे के तहत पूछताछ की जाएगी और कोई अन्य एजेंसी उसे हिरासत में नहीं लेगी।

    नीरव मोदी पर आरोप

    बता दें, नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से 6498 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है, जो कुल 13578 करोड़ रुपये के घोटाले का हिस्सा है। मोदी का चाचा मेहुल चोकसी भी इस मामले में आरोपी है। नीरव मोदी 19 मार्च 2019 से लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है। उसे स्कॉटलैंड यार्ड ने भारत के अनुरोध पर गिरफ्तार किया था।

    25 फरवरी 2021 को वेस्टमिन्स्टर कोर्ट के जज सैम गूज ने मोदी के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था, जिसे बाद में यूके हाई कोर्ट ने 9 नवंबर 2022 को मंजूारी दी। हाई कोर्ट ने उसकी सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति भी ठुकरा दी थी।

    मार्कंडेय काटजू की गवाही भी नहीं आई काम

    इससे पहले, नीरव मोदी ने अपनी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू की गवाही पेश की थी। लेकिन जज गूज ने कहा था कि मैं काटजू की राय को ज्यादा महत्व नहीं देता, क्योंकि उनका बयान व्यक्तिगत मतभेदों और आलोचना से भरा था।

    नीरव मोदी को फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफिंडर (FEO) घोषित किया जा चुका है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उसकी 2598 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है, जिसमें से 981 करोड़ रुपये बैंकों को लौटाए गए हैं। भारत भी यूके में 130 करोड़ रुपये की विदेशी संपत्ति को भी वापस लाने की कानूनी प्रक्रिया में है।

    मेहुल चोकसी पर फैसला

    पिछले हफ्ते बेल्जियम की एंटवर्प कोर्ट ऑफ अपील्स ने मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। कोर्ट ने कहा कि चोकसी को भारत में न तो राजनीतिक मुकदमे का सामना करना पड़ेगा और न ही यातना या अन्याय का खतरा है। कोर्ट ने उसकी यह दलील भी खारिज कर दी कि उसे एंटिगा से अगवा किया गया था।

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