यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा समेत 9 राज्यों के शहर बनेंगे अब और स्मार्ट, सरकार ने बनाया खास मास्टरप्लान
देश के नौ राज्य अपने यहां मेयर के लिए पांच साल का सुनिश्चित कार्यकाल और उसकी सहायता के लिए नगर निकाय परिषद का गठन करेंगे। शहरी सुधारों के प्रति राज्यों की अरुचि और कोरी बयानबाजी से इतर यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम है जिसमें राज्यों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति के साथ विचार-विमर्श के दौरान जरूरी सुधारों के प्रति संकल्प व्यक्त किया है।
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा समेत नौ राज्य केंद्र सरकार की अपेक्षा के अनुरूप अपने यहां शहरी सुधारों के लिए कानून में संशोधन करने या नए कानून बनाने के लिए सहमत हो गए हैं।
इन तीन राज्यों के अतिरिक्त जिन अन्य ने इसके लिए सहमति व्यक्त की है, उनमें असम, केरल, राजस्थान, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं। ये सुधार नगर निकायों के प्रशासनिक कामकाज से लेकर नागरिक सुविधाओं का ढांचा दुरुस्त करने पर आधारित हैं। इनमें सबसे अहम है नगरीय निकायों का माडल शासकीय ढांचा बनाना।
नगर निकाय परिषद का गठन करेंगे नौ राज्य
इसका मतलब है कि नौ राज्य अपने यहां मेयर के लिए पांच साल का सुनिश्चित कार्यकाल और उसकी सहायता के लिए नगर निकाय परिषद का गठन करेंगे। शहरी सुधारों के प्रति राज्यों की अरुचि और कोरी बयानबाजी से इतर यह महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जिसमें राज्यों के प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार द्वारा गठित उच्च अधिकार प्राप्त समिति के साथ विचार-विमर्श के दौरान जरूरी सुधारों के प्रति संकल्प व्यक्त किया है।
नागरिक सुविधाओं के लिए राज्यों ने नया ढांचा बनाने पर सहमति व्यक्त की है। इसमें यूजर चार्ज को लेकर पूरे राज्य में एकसमान नीति का निर्माण भी शामिल है। राज्य शहरी सुधार के रूप में लैंड पूलिंग की नीति बनाने के साथ जरूरी जमीन के रिकार्ड का डिजिटाइजेशन भी करेंगे।
तीन राज्यों ने दीर्घकालिक योजना के लिए शहरी सुधार आयोगों का गठन किया
शहरी सुधारों के संदर्भ में यह भी उल्लेखनीय है कि हाल में राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर शहरीकरण की चुनौतियों से निपटने की तैयारी शुरू की है। तीन राज्यों ने दीर्घकालिक योजना के लिए शहरी सुधार आयोगों का गठन किया है और उन्हें अगले 20-30 वर्षों के लिए शहरी नियोजन की रूपरेखा बनाने के लिए कहा है।
केरल के आयोग ने अपनी रिपोर्ट भी पिछले सप्ताह राज्य सरकार को दे दी, जबकि महाराष्ट्र और गुजरात में इस तरह के आयोग अभी काम कर रहे हैं। उनकी रिपोर्ट तीन माह में आने के आसार हैं। यह कवायद अगले साल प्रस्तावित 16वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के पहले होना अहम है, क्योंकि शहरी विकास के लिए राज्यों को धन का आवंटन काफी कुछ शहरी सुधारों के प्रति उनकी इच्छा पर निर्भर करेगा।
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