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    Nimisha Priya Case: क्या है निमिषा प्रिया के सजा-ए-मौत की सजा टलने का कारण? अभी भी बचा है एक रास्ता

    Updated: Tue, 15 Jul 2025 05:00 PM (IST)

    Nimisha Priya Case भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में होने वाली सजा-ए-मौत की सजा को फिलहाल टाल दिया गया है। निमिषा प्रिया पिछले आठ सालों से यमन की जेल में बंद है। उन्हें हत्या के जुर्म में वहां की सर्वोच्च अदालत ने सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है। विदेश मंत्रालय के अनुसार भारतीय दूतावास लगातार स्थानीय प्रशासन के संपर्क में है।

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    Nimisha Priya Case निमिषा को मिली राहत। (फोटो - जागरण ग्राफिक्स)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यमन में भारतीय नर्ष निमिषा प्रिया की फांसी की सजा फिलहाल टल गई है। निमिषा प्रिया पिछले आठ वर्षों से यमन की जेल में बंद है और वहां की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें हत्या के जुर्म मं फांसी की सजा सुनाई है।

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    भारत सरकार की तरफ से उन्हें रिहा कराने के तमाम कोशिशों के बावजूद पिछले दिनों निमिषा प्रिया को 16 जुलाई, 2025 को फांसी दे देने की तारीख तय की गई थी।

    सुप्रीम कोर्ट में दायर हुआ था मामला

    विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि स्थानीय प्रशासन ने भारतीय नर्स को बुधवार को दी जाने वाली फांसी की सजा फिलहाल स्थगित कर दी है। इस बारे में भारत के सुप्रीम कोर्ट में भी एक मामला दायर किया गया था। केंद्र सरकार ने कोर्ट में बताया था कि चूंकि यह दूसरे देश में दायर मामला है, इसलिए सरकार बहुत कुछ नहीं कर सकती।

    विदेश मंत्रालय ने की काफी मदद

    विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है, “निमिषा प्रिया मामला में भारतीय दूतावास लगातार स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में है। खास तौर पर निमिषा प्रिया के परिजनों को हर तरह से सुझाव दिया जा रहा था और उन्हें यमन के कानूनी पहलुओं के बारे में भी जानकारी दी जा रही थी।

    निमिषा प्रिया के परिजनों को पीड़ित परिवार के लोगों से संंपर्क कराने में भी दूतावास ने अपनी भूमिका निभाई है ताकि इनके बीच सीधी बात हो सके। यह बेहद संवेदनशील मामला है। फिर भारतीय अधिकारी लगातार स्थानीय प्रशासन व जेल के अधिकारियों के साथ संपर्क में है जिसकी वजह से फांसी की तिथि अभी टाल दी गई है।”

    “ब्लड मनी” से बच सकती है जान

    सनद रहे कि निमिषा प्रिया को फांसी की सजा पर वहां के सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगने के बाद उनके बचने का एकमात्र तरीका इस्लामिक कानून के मुताबिक “ब्लड मनी” ही रह गया है। इसके तहत पीड़ित परिवार एक राशि ले कर निमिषा प्रिया को माफी दे सकते हैं।

    केरल निवासी निमिषा प्रिया पढ़ाई के बाद यमन में नौकरी करने चली गई थी। वहां उन्होंने यमनी नागरिक तलत अबोद मेंहदी के साथ क्लीनिक शुरू की थी। मेंहदी उनका आर्थिक व शारीरिक शोषण करता था।

    प्रिया का पासपोर्ट व अन्य दस्तावेज पर भी उसने कब्जा कर रखा था। बाद में प्रिया ने अपने पति व बच्चे को भारत भेज दिया था। यमन अदालत में दर्ज मामले के मुताबिक अपना पासपोर्ट हासिल करने के लिए भारतीय नर्स ने मेंहदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया था लेकिन इसकी वजह से उसकी मौत हो गई थी।

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