Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एनआइए के गवाह को बेंगलुरु से मिली धमकी, पुलिस ने 11 महीने बाद दर्ज किया मामला

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Tue, 28 May 2019 03:46 PM (IST)

    इंदौर पुलिस की बड़ी लापरवाही हुई उजागर। गवाह की गाड़ी पर एक बार हो चुका है जानलेवा हमला। बावजूद पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की। ...और पढ़ें

    Hero Image
    एनआइए के गवाह को बेंगलुरु से मिली धमकी, पुलिस ने 11 महीने बाद दर्ज किया मामला

    इंदौर, जेएनएन। देश की शीर्ष जांच एजेंसी, नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआइए) के गवाह को धमकी देने का मामला सामने आया है। इसके साथ ही इंदौर पुलिस की एक बड़ी लापरवाही भी उजागर हुई है। बताया जा रहा है कि मामले में एनआईए के सरकारी गवाह ने पुलिस को धमकी मिलने की शिकायत दी, लेकिन उसकी रिपोर्ट दर्ज नही हुई। इस दौरान गवाह पर एक बार जानलेवा हमला भी हो चुका है। काफी दबाव पड़ने के बाद आला अधिकारियों के निर्देश पर पुलिस ने 11 महीने बाद पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज की है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए के गवाह को 'ओसामा बिन लादेन इज अवर गॉड' और 'ज्वॉइन हैंड्स विथ टैरेरिज्म' जैसे मैसेज भेजकर बेंगलुरु से एक व्यक्ति धमकी दे रहा था। आरोपित ने कई बार मैसेज भेजे और गवाह को फोन कॉल कर भी धमकाया। इसकी शिकायत मध्य प्रदेश में इंदौर के सर्राफा कारोबारी ने थाने सहित बड़े अधिकारी से की थी।

    पुलिस उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने की जगह उन्हें अब तक टरकाती रही। अब करीब 11 महीने की जांच के बाद पुलिस ने सोमवार को केस दर्ज किया है। पुलिस ने आनंद राज कटारिया निवासी बड़ा सर्राफा की शिकायत पर चंद्रशेखर पिता आर गोविंद राजू निवासी बेंगलुरु के खिलाफ केस दर्ज किया है। आनंद राज ने बताया कि वह सर्राफा कारोबारी हैं। वह पत्नी और दो छोटी बेटियों के साथ रहते हैं।

    आनंद राज के अनुसार वह समझौता ब्लास्ट, मालेगांव ब्लॉस्ट, हैदराबाद मस्जिद ब्लास्ट, अजमेर दरगाह ब्लास्ट जैसे देश के कई बड़े मामलों में जांच एजेंसी एनआइए का गवाह रह चुका है। वह देवास में हुए सुनील जोशी हत्याकांड का आरोपित भी रहा है। उक्त मामले में एक फरवरी 2017 को कोर्ट ने उसे बरी कर दिया था। 2018 में उसे किसी ने दो से अधिक बार मैसेज करके धमकाया। कई बार फोन लगाकर भी धमकी दी।

    पीड़ित के अनुसार इसकी शिकायत उसने करीब 11 महीने पहले पुलिस से की थी। पुलिस को उसने मैसेज और फोन की रिकॉर्डिग भी सौंपी थी। पुलिस को जांच करने में 11 महीने का समय लग गया, जबकि इस बीच उसकी गाड़ी पर एक बार हमला हो चुका है। बड़े मामलों में गवाह होने के बाद भी पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई और जांच में कई महीने लगा दिए। पुलिस के अनुसार आरोपित की तलाश की जा रही है।

    लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप